Thursday, 13 June 2013

जब पत्थर के बन जाओगे ..........................

जब पत्थर से बन जाओगे ............
भगवान तभी तुम पाओगे .............
गडों जमीं में या जलो चिता में .............
जन्नत , स्वर्ग तभी ही पाओगे ...........
जितनी गर्मी जीवन में पाई ...........
उससे कम अंत में न तुम पाओगे .........
आखिर मिलना भी है तो किससे...............
ईश्वर, अल्लाह गॉड जब गुनगुनाओगे ..............
सब रोयेंगे ले मलिन से चेहरे ............
परम तत्व से मिल तुम शांत हो जाओगे ................
छोड़ तुम्हे सब  लौटेंगे  घर जब ...........
खुद को अकेला नहीं तुम पाओगे ...................
शमशान तो कहती दुनिया है इसको ....................
यात्रा के अगले पथ तुम यही पाओगे ...............
कोई क्या जाने अब कहा गए तुम ...............
घर में मूरत सी बन जाओगे ...............
कर्मो के निशान पर चल कर ...............
लोगो में भगवान कभी कहलाओगे ................शमशान पर श्री जे पी सिंह के पञ्च तत्व में विलीन होते समय जो भाव आ रहे थे उनको आजेब तरह से उकेरा है क्योकि शमशान ही इस दुनिया से पूरी तरह जाने का रास्ता है .............क्या आप सहमत है .......शुभ रात्रि

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