Wednesday, 26 June 2013

कौन बचेगा



जैसे जैसे जनसँख्या बढती गयी .....................
जिन्दगी अपनों से खुद सिमटती गयी .................
माँ ने जब सोचा बच्चे कितने जने...................
भला कोई बेटा क्योंफिर  उसका बने ..................
कहा हो भी  जिसने वही माँ भी माने ..................
हम तो बस खुद का परिवार ही जाने....................
लूट ले कोई माँ की अस्मत तो क्या ..................
कटाए सर वही जिसको आये ह्या .........................
माँ से तो मतलब पिता का है रहता ..............
बता दे कोई क्या हिमालय है कहता ...................
खून के आंसू लेकर  रोया अभी है .........................
हजारो को सुलाया गोद में अभी है ....................
माँ को समझो अगर अभी तुम सब ....................
खत्म हो जाये एक बार में हम सब .................................... इस देश की अस्मिता को अगर हम लोगो ने नहीं समझा तो वो दिन दूर नहीं जब भारतीयों नहीं मानव बीज का यह देश सड़ जायेगा ....................और हमारा नामो निशान नहीं होगा ................................शुभ रात्रि



No comments:

Post a Comment