Tuesday 25 June 2013

हमको भूलने की बीमारी है

कुछ भी भूल जाने की बीमारी ....................
इस देश की है देखो  महामारी ..................
क्या लाये थे क्या ले जायेंगे ............................
न संग आये थे न संग जायेंगे ..................
फिर कौन पड़े इन झमेले में ......................
मरते तो रोज दुनिया के मेले में ............
नेता जनता की बीमारी जब से जाने ..................
हर गलत काम किया माने न माने....................
बलात्कार ,भर्ष्टाचार ,सूखा,और भूखा .................
किसके लिए आवाज नहीं आई .....................
पर दूसरे दिन सो कर जब जागे  ...............
बीमारी ने अपनी अलख जगाई ................
हर कोई फिर रोटी को ही भागे ..................
किसी ने पूछ लिया आन्दोलन ......................
तो बोले हम है भारत के अभागे .....................
अच्छा चलता हूँ सब्जी लेनी है ..............
जिसने जो किया सबको यही देनी है ...............
तभी किसी  ने की केदारनाथ की बात .....................
बोले चलो ये मुद्दा कल ही उठाते है ....................
आखिर अपने ही देश के लोग मरे है ......................
सरकार से कुछ तो अच्छा करवाते है ......................
तभी एक फ़ोन आ जाता है और  ..................
वो बीमारी में फिर सब भूल जाता है ...............................
सब दुखो में यही सर्वोत्तम पाता है ......................
देश में प्रजातंत्र इसीलिए अभी चल रहा .....................
तभी एक डाकू नेता बन संसद में  आता है ..............................   क्या यह सही नहीं है कि हमें अंग्रेजो ने बाटो और राज करो में उलजह्या पर क्या आज भी हम रोजी रोटी के कारण अपने देश के हर संकट को सिर्फ दो दिन याद रखते है और भूल जाते है .....................शुभ रात्रि




No comments:

Post a Comment