Tuesday 1 October 2013

क्या कहेंगे आप ????????????

गाँधी जी या बापू जी ..................
मैं १९९७ में गुजरात  के सुरेन्द्र नगर की तहसील लिमडी में काम कर रहा था ........जिनके घर में मैं रहता था उनकी लड़की सिंदूर बिछिया लगाये रहती थी ....कई दिन बीत गए पर ना तो मैंने उसको ससुराल की बात करते देखा और ना ही उसका पति कभी आता ...........एक दिन मैंने पूछा तो पता चला कि वो अभी अविवाहित है ...........तो ये सिंदूर ...बिछिया ......पता चला कि राज घराने के या राज घराने से जुड़े लोगो को वहा बापू  कहा जाता है और अविवाहित लडकियों के लिए ये बापू लोग काफी खतरनाक होते है .इस लिए लडकिया सिंदूर लगा कर आभासी विवाहित होने का भ्रम पैदा करके अपनी गरिमा को बचाती है .............और शायद मैं सही हूँ क्योकि गाँधी जी बापू इसी लिए कहलाते थे क्योकि उनके पिता दीवान थे .......और लड़की के चक्कर में फसे बापू जी के घर भी राज घराने से सम्बंधित था .................अब हर समय यही न समझिये कि बस व्यंग्य चल रहा है .........एक ऐसा सत्य जो मैंने सुना देखा ...और विश्लेषण पर सही लगता है .............तो अब आप सोचिये कि बापू या ...........................गाँधी जी ..........गरिमा किस्मे है .सोचना है आपको ...............क्योकि कल २ अक्टूबर है ..................क्या गाँधी जी .खुद आज के दौर में बापू कहलाना पसंद करेंगे ??????????????????????

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