शब्द ब्रह्म है .नव वर्ष मंगलमय हो
अब आपको ये बताने की जरूरत तो है नहीं कि शब्द ब्रह्म क्यों है पर इतना ज्ञानी होने के बाद भी आप पिछले ३ दिन से औॅर आगे १० दिन तक सबसे यही कहते मिल जायेंगे कि नव वर्ष मंगलमय हो | अब जैसा मैं समझता हूँ आप यही तो चाहते है कि सामने वाले का ३६५ दिन शुभ हो जब आप उसके इतने शुभ चिंतक है तो क्यों नहीं पूरे वर्ष सामने वाले के शुभ चिंतक बन कर रहते है ? आज जिससे नव वर्ष का मंगलगान कर रहे है कल उसी की बुराई , उसे ही गिरना और ना जाने क्या क्या करने लगेंगे यही नहीं जब वही व्यक्ति कष्ट में होगा तब उसको शुभकामना देने वाले साथ तक नहीं होंगे यानि आप मानते है कि आप फर्जी बोलते है | चलिए आज तो सीख लीजिये बोली एक अमोल है जो कोई बोलय जनि ....हिये तराजू तौल के तब मुख बाहर आनि......उसी से अपने शब्दों का प्रयोग कीजिये जिसके लिए आपके दिल में मंगल कामना हो ............क्या आपको नहीं लगता है कि शरीर है तभी शब्द बनते और निकलते है यानि जीवन का एक अंग है शब्द है तो फिर क्यों शब्द का उपहास उड़ाते है क्यों द्रौपदी की तरह उसका चीर हरण करके सिर्फ अपने दिखावे में नव वर्ष मंगल मई का नारा लगाते है ? मैं जनता हूँ कि आपको ये साडी बात फर्जी लग रही है आखिर मजा लेने में हर्ज ही क्या भले ही वो शब्द क्यों ना हो ???खैर मैं अभी तक नहीं समझ पाया कि किसके लिए मेरे मन में पूरे वर्ष कि शुभ कामना है और उस कामना को निभाने के लिए मैं क्या किसी निर्भया के लिए खड़ा हो पाउँगा ???? वैसे आप के शब्द का क्या मोल है बताइयेगा जरूर ...........२०१५ में आप सच के साथ जीना सीखे वैसे २०१५ का सामना आप करेंगे एक रात से गुजर कर ही तो अँधेरे से लड़ना तो सीख लीजिये ( अखिल भारतीय अधिकार संगठन )
अब आपको ये बताने की जरूरत तो है नहीं कि शब्द ब्रह्म क्यों है पर इतना ज्ञानी होने के बाद भी आप पिछले ३ दिन से औॅर आगे १० दिन तक सबसे यही कहते मिल जायेंगे कि नव वर्ष मंगलमय हो | अब जैसा मैं समझता हूँ आप यही तो चाहते है कि सामने वाले का ३६५ दिन शुभ हो जब आप उसके इतने शुभ चिंतक है तो क्यों नहीं पूरे वर्ष सामने वाले के शुभ चिंतक बन कर रहते है ? आज जिससे नव वर्ष का मंगलगान कर रहे है कल उसी की बुराई , उसे ही गिरना और ना जाने क्या क्या करने लगेंगे यही नहीं जब वही व्यक्ति कष्ट में होगा तब उसको शुभकामना देने वाले साथ तक नहीं होंगे यानि आप मानते है कि आप फर्जी बोलते है | चलिए आज तो सीख लीजिये बोली एक अमोल है जो कोई बोलय जनि ....हिये तराजू तौल के तब मुख बाहर आनि......उसी से अपने शब्दों का प्रयोग कीजिये जिसके लिए आपके दिल में मंगल कामना हो ............क्या आपको नहीं लगता है कि शरीर है तभी शब्द बनते और निकलते है यानि जीवन का एक अंग है शब्द है तो फिर क्यों शब्द का उपहास उड़ाते है क्यों द्रौपदी की तरह उसका चीर हरण करके सिर्फ अपने दिखावे में नव वर्ष मंगल मई का नारा लगाते है ? मैं जनता हूँ कि आपको ये साडी बात फर्जी लग रही है आखिर मजा लेने में हर्ज ही क्या भले ही वो शब्द क्यों ना हो ???खैर मैं अभी तक नहीं समझ पाया कि किसके लिए मेरे मन में पूरे वर्ष कि शुभ कामना है और उस कामना को निभाने के लिए मैं क्या किसी निर्भया के लिए खड़ा हो पाउँगा ???? वैसे आप के शब्द का क्या मोल है बताइयेगा जरूर ...........२०१५ में आप सच के साथ जीना सीखे वैसे २०१५ का सामना आप करेंगे एक रात से गुजर कर ही तो अँधेरे से लड़ना तो सीख लीजिये ( अखिल भारतीय अधिकार संगठन )