Monday 2 April 2012

aao mil kar kre jatan

आओ मिल कर करे जतन,
फूलो सा प्यारा हो वतन ,
हम बढे बढ़ करके छू ले ,
प्रगति के नित नए कदम ..........
बूंद बूंद से घट है भरता ,
कर्म के पथ पर जीवन तरता ,
शस्य श्यामला धरती हो मेरी ,
आओ मिल सब करे चमन ....... यह गीत मैंने १२ नवम्बर २००६ को अखिल भारतीय अधिकार संगठन के ले लक्ष्य गीत के रूप में लिखा था जो हमारी http://www.airo.org.in/ पर पूर्ण उपलब्ध है ....डॉ आलोक चान्त्टिया

No comments:

Post a Comment