Sunday, 29 April 2012

tum kah do to

तुम कह दो तो एक कविता तुम पर लिख दूँ ,
तुम कह दो तो उसमे मन की बात कह दूँ ,
न जाने कितनी तपती रेत गुजरी पैरो  तले,
तुम कह दो तो एक बूंद रहो पानी पर रख दूँ ,
आँखे न बंद करो इतनी बेबसी अब ऐसे आलोक ,
तुम कहो तो सपनो का रंग उनमे भी भर दूँ ,
जब आये ही थे खाली हाथ तो इतना दर्द क्यों ,
तुम कहो तो मुट्ठी में अँधेरा ही बंद कर दूँ ,
जब मिले थे इस दुनिया से क्या याद है तुमको ,
तुम हो तो यादो में नन्हा सा एक झरोखा कर दूँ ,
गुमनाम कौन न हुआ यहा चार कंधो पर चल कर ,
तुम कहो तो आज  बस आंसुओ का बसेरा कर दूँ ,
देखने कहो बस एक बार जी  भर कर मुझे  जिन्दगी ,
तुम कहो तो हर सांस में   आलोक  से सबेरा कर दूँ

4 comments:

  1. आँखे न बंद करो इतनी बेबसी अब ऐसे आलोक ,
    तुम कहो तो सपनो का रंग उनमे भी भर दूँ

    super sir ji
    maza aa gaya
    http://blondmedia.blogspot.in/

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  2. aap ke is upyogi aur gyanvardhak blog ko follow kr reha hu

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