फूल वही सुंदर कहलाया ,
काँटों को जिसने गले लगाया ,
उपमा सहस की उसकी गाई,
कीचड़ को जिसने राह बनाई,
क्यों डरते उबड़ खाबड़ रस्तो से ,
बढे चलो आलोक साहस रथ से .......... जीवन कोई भी अच्छा या ख़राब नही होता है बस हम ही यह नही समझ पाते और दुखी रहते है आइये सुख दुःख के साथ जिए ....डॉ आलोक चान्टिया
काँटों को जिसने गले लगाया ,
उपमा सहस की उसकी गाई,
कीचड़ को जिसने राह बनाई,
क्यों डरते उबड़ खाबड़ रस्तो से ,
बढे चलो आलोक साहस रथ से .......... जीवन कोई भी अच्छा या ख़राब नही होता है बस हम ही यह नही समझ पाते और दुखी रहते है आइये सुख दुःख के साथ जिए ....डॉ आलोक चान्टिया
No comments:
Post a Comment