Sunday, 31 August 2014

जन धन योजना - दरिद्र नारायण का अवतार

जन धन योजना - दरिद्र नारायण है देश में
कुछ भी लिखने से पहले बता दूँ कि मैं नरेंद्र मोदी को एक निर्माता के रूप में देखता हूँ पर बेबाक खाने से चूकना नहीं चाहिए क्योकि मैं एक दरिद्र नारायण हूँ ?? नहीं समझ ना अरे भाई मैं इस देश का प्रजातान्त्रिक नागरिक हूँ यानि जिस नागरिक की मदद से सरकार बनती है लेकिन हल्ला होता है कि किन धन कुबेरों ने देश में सरकार बनवायी और तो और अब देश की विकास दर को ऊचा ले जाना है तो  धन कुबेरों से ये होने से रहा हा वो बात और है कि इन धनकुबरों के लिए इस देश में पुरूस्कार बहुत है | अब देखिये कैसे इस देश को दरिद्र नारायण बढ़ाने जा रहे है | सरकार ने एक योजना शुरू कि है जन धन योजना जिसमे उन लोगो के बैंक खाते खोले जायेंगे जिनके खाते है ही नहीं | करीब १५ करोड़ खाते खोले जायेंगे | खाते खोलने वालो का बीमा वो भी एक लाखका हो जायेगा यानि सरकार ने मान लिया कि मरते सबसे ज्यादा यही दरिद्र नारायण ही है और हम तो तेरहवीं पर भी खाने के लिए चले जाते है तो भला एक लाख का बीमा सुन कर क्यों न खाता खुलवाओ | यानि जो पैसा गरीबो का सरकार तक नहीं पहुंच पाता था अब आसानी से पहुंचेगा | और ख़ुशी की बात ये कि अगर छह महीने तक आपका कहता ठीक से चलता रहा !!!!!!!!! यानि आप उसमे पैसा डालते रहे तो आप को पांच हज़ार का ओवर ड्राफ्ट आप करा सकते है | केवल साल में एक बार होली के रंग खेलने के बाद के बेकार कपडे में खुश हो जाने वाले दरिद्र नारायण के लिए ये किसी करोड़पति से कम होने कि बात नहीं है पर इस से प्रजातान्त्रिक देश के पास छह महीने तक उन गरीबों का भी पैसा पहुचने लगेगा जो आज तक नहीं पहुंच पाता था तो अच्छे दिन तो आएंगे ही ना !!!!!!!!!! मरे पास न घर नही ना गाड़ी है पर आप से बता नहीं सकता कितना खुश होता हूँ जब ये पता चलता है पासबुक में कितना पैसा है तो कम से कम बेघर , अभावग्रस्त लोगो के लिए देश में ख़ुशी की एक लहर तो आई | इसकी चिंता ना करियेगा अगर आपको सरकार देश के निर्माण का अवार्ड ना दे भाई वो तो टाटा बिरला रिलायंस के लिए ही ना है | आप तो प्रजातंत्र की नीवं है बस इस देश को मजबूत बनाते रहिये | क्या गांव से शहर में आये हो रिक्शा चलाने के लिए और उसी पर सो जाते हो , शौचालय सड़क के किनारे जाते हो तो क्यों नहीं बैंक में खाता खुलवाया ??खुलवाओ भैया खुलवाओ आखिर देश का निर्माण तो तुमको ही करना है आखिर  इस देश में ही तो दरिद्र नारायण की कल्पना है | मैं तो चला खाता खुलवाने ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए )

love jehaad

लव जेहाद ................
लव एक अंग्रेजी भाषा का शब्द है और जेहाद एक अरबी भाषा का शब्द है तो ये तो आप वैसे ही समझ गए होंगे कि इसका भारत से कोई लेना देना नहीं तो फिर आज कल जो चल रहा है वो क्या है ? दो अलग भाषा से बना एक संकर शब्द इसी संकर ( हाइब्रिड )शब्द को लेकर पूरी दुनिया के कई देश यह नहीं जान पा रहे है कि भारत में रहने वाले को क्या कहा जाये ? अब हमने तो हिंदुस्तान शब्द की रचना की नहीं अरे मेरा कहने का मतलब है की हमारे हिंदी भाषी पूर्वजो ने तो किया नहीं यानि जो लोग इस देश में बाहर से आये उनको कहना पड़ा की ये देश हिन्दुओ का है | और ये बात तब और पक्की हो गयी जब १९४० में पहली बार रहमत अली जी ने पाक शब्द की रचना की और जो १९४७ में मुकम्मल देश बन गया | अब ये तो हम सब बचपन से पढ़ते आये है २ में से एक घटाओ तो क्या बचेगा तो १९४७ के बाद जो इस देश में पाक के बनने के बाद बचा उस पर आज इतनी हाय तौबा क्यों है समझ में नहीं आता !! वैसे ये देश जिन लोगो के कारण जगत गुरु कहलाया वो कौन थे ? मुझे मालूम है कि आप भी हिंदुस्तान कहेंगे | अब अगर कोई भी हिंदुस्तान में रह कर किसी से भी शादी करता है तो क्या ये जानने या बताने की जरूरत है कि वो लड़का या लड़की इस देश में क्या होगा | अब हिन्दू के अस्तान पर आने वाले ये समझते है कि जोधा शादी के बाद मूर्ति की पूजा करना छोड़ देगी तो उनका सोचना गलत है | लव भी जेहाद हो सकता है काम से काम आप ये तो जान गए | वैसे जेहाद का मतलब आपको पता है ना !!!!!! खैर प्यार , प्रेम , मोह्हबत , सब लिखने में ही अधूरे है तो इनकी मदद से शुरू की गयी कोई भी जेहादी जंग अधूरी ही रह जाएगी | अब भाई हम लोग क्या कर सकते है अगर आपको जंग के बाद के कैदी की तरह sar कटाने का ही शौक है | काश शिवा जी को इस प्यार के बारे में पता होता तो वो गौहर बनो को बेटी कह कर वापस क्यों करते | कम से कम हिन्दू के अस्तान में कुछ प्यार के संकर गीत ही लिख जाते | वैसे इस देश में आने वाले हर आक्रमणकारी के साथ कितनी औरतें आई थी !!!!! क्या आप बताएँगे मुझे | तो क्या वो लव जेहाद नहीं था ????????????माफ़ कीजियेगा शायद मैं ज्यादा बोल गया ( इसे सिर्फ व्यंग्य समझ कर पढ़े )

Friday, 29 August 2014

गणेश चतुर्थी और अनुवांशिकता

गणेश चतुर्थी ........एक औरत की शक्ति
वैसे तो अनुवांशिकता के सिद्धांतों और खोजो से यह सिद्ध हो चुका है कि एक औरत को पुरुष की कोई आवश्यकता नहीं है अगर वो माँ बनना चाहे क्योकि एक लड़की से लड़की का जन्म हो सकता है पर ये नारी की महानता है की वो सिर्फ अपने लिए नहीं सोचती और इस दुनिया में पुरुष का अस्तित्व बनाये रखने के लिए वो उसके साथ रहना स्वीकार कर लेती है और आपको पता है कि पार्वती जी ने अपने नहाने के चन्दन से एक पुत्र को जन्म दिया और फिर तो आप जानते है कि कैसे शंकर जी ने उसका सर काट डाला , और वही से अनुवांशिकता का दूसरा अध्याय शुरू हुआ , पार्वती  जी के कहने पर भगवान ने एक संकर दिव्य पुरुष को हाथी के बच्चे के सर को काट कर बनाया जिसे हम गणेश जी के नाम से जानते है और वो दिन चतुर्थी का ही था इस लिए आज के दिनको गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाने लगा , क्षत्रपति शिवा जी , पेशवा , बल गंगाधर तिलक से लेकर आज के प्रतंत्रिक युग में गणेश का जन्मदिन तो मनाया जा रहाहै पर गमेश के जन्म और पुनर्जन्म को ना जाने क्यों हम विश्व अनुवांशिक दिवस के रूप में नहीं मना पाते ......खैर आप सभी को गणेश चतुर्थी यानि विश्व अनुवांशिक दिवस की शुभ कामना .गणपति मोरया ................वैसे जाते जाते आपको बता दूँ कि अगमेश जी की दोनों पत्नियों का नाम रिद्धि और सिद्धि है और उनके दोनों पुत्रों का नाम शुभ और लाभ है .....अब समझ गए ना की क्यों दीवारों पर शुभ लाभ लिखा जाता है ....तो कहिये न गणपति बाप्पा मोरया ...........

Thursday, 28 August 2014

मैं और समय

अब मैं पौधा ,
नहीं रहा हूँ ,
अब मुझे जब ,
जहा चाहे उठाना ,
बैठना आसान ,
नहीं रहा है ,
अब मैं दरख्त ,
बन गया हूँ ,
जो छाया दे ,
सकता है , ईंधन ,
भी दे सकता है ,
मुझ पर न जाने ,
कितने आशियाने ,
बन गए है ,
पर अब मैं हिल ,
नहीं सकता ,
मैं किसी से खुद ,
मिल नहीं सकता ,
ठंडी हवा देकर ,
सुकून दे सकता हूँ, ,
आपके लिए जल ,
भी सकता हूँ ,
सब कुछ अच्छा कर,
मैं कुल्हाड़ी से ,
कभी कभी आरे से ,
कट भी सकता हूँ ,
खुद को बर्बाद कर,
आपके घर की ,
चौखट बन सकता हूँ ,
कितना बेबस आलोक ,
दरख्त बन कर भी ,
लोग टहनी ले जाते ,
क्या मिला जी कर भी ..............
जीवन में समय की कीमत को समझिए क्योकि वही आपके जीवन में दोबारा नहीं आता है ...

Wednesday, 27 August 2014

बेमेल विवाह

बेमेल विवाह .........
अक्सर कोमल सी ,
लताये ही ,
उम्र दराज़ पेड़ों ,
से लिपट जाती है ,
न जाने क्यों उनमे ,
उचाई छूने की ,
ललक जग जाती है ,
पर उम्र की मार से ,
बूढ़ा पेड़ क्या गिरा ,
कोई नन्ही सी कोपल ,
नाजुक सी लता भी ,
 खाक में मिल जाती है ............,

बेमेल विवाह रोकिये .लड़की सिर्फ दूसरो के सुख के लिए अपने को महसूस करके के लिए भी पैदा हुई है

Tuesday, 26 August 2014

औरत होने का सार बस ???????

औरत कैसी भी ........

मैं मानता हूँ ,
और जानता भी हूँ ,
कि सारी औरतें ,
एक जैसी नहीं होती ,
पर रेगिस्तान में ,
कैक्टस भी लोगो ,
के काम आते है ,
जब हम तिल तिल ,
करके मरते है ,
पानी की बून्द को ,
तरसते है तब ,
इन्ही को हम अपने ,
सबसे करीब पाते है ,
उन्ही कांटो में सरसता ,
और जिंदगी के लिए ,
पानी पाते है |
औरत कैसी भी हो पर उसका सार निर्माण ही है .............

Monday, 25 August 2014

आंसू

आंसू .........
आंसुओ को सिर्फ ,
दर्द हम कैसे कहे ,
कल तक जो अंदर रहे ,
वही आज दुनिया में बहे ,
सूखी सी जिंदगी से निकल ,
किसी सूखी जमी को ,
गीला कर गए ,
मन भारी भी होता रहा,
पर नमी पाकर ,
किसी में नयी कहानी ,
बसने  लगी आकर ,
कोपल फूटी ,
किसी को छाया मिली ,
किसी  बेज़ार जिंदगी में,
एक ठंडी हवा सी चली ,
दर्द का सबब ही नहीं ,
मेरे आंसू आलोक ,
इस पानी में भी जिंदगी ,
लेती है किसी को रोक .........
आंसू कही दर्द तो किसी के लिए सहानुभूति बन कर आते है और फिर शुरू होती जिंदगी की एक नयी कहानी


Sunday, 24 August 2014

मैली चादर ओढ़े हूँ

जो मुझे मैला ,
करते रहे हर पल ,
वो भी जब डुबकी ,
लगाते है मुझमे ,
मैं उनके दामन,
को ही उजला बनाती हूँ ,
कीचड़ तो मेरी जिंदगी ,
का हिस्सा बन गया ,
उसी को लपेट सब ,
जिंदगी पाते है ,
कभी नदी में रहकर ,
कभी गर्भ में रहकर ,
पर अक्सर ही ,
हम कभी नदी तो ,
कभी औरत के पास ,
खुद के लिए आते है |..................
हम हमेशा सच को स्वीकारने से क्यों भागते है

Saturday, 23 August 2014

मुझे भी जीना है

मेरा भी रोने को ,
मन करता है
मेरा भी सोने को ,
मन करता है ,
पर हर कंधे ,
गीले होते है ,
हर चादर मैले ,
ही होते है ,
मेरा भी जीने का ,
मन करता है ,
मेरा भी पीने को ,
मन करता है ,
पर जिन्दा लाशों ,
का काफिला मिलता है ,
पानी की जगह बस,
खून ही मिलता है |
मुझे क्यों अँधेरा ,
ही मिलता है ,
मुझमे  क्यों सपना ,
एक चलता है ,
क्यों नहीं कभी आलोक ,
आँगन में खिलता है ,
क्यों नही एक सच ,
सांसो को मिलता है ...............
जीवन में सभी के लिए एक जैसी स्थिति नही है , इस लिए जीवन को अपने तरह से जियो ( अखल भारतीय अधिकार संगठन )

Saturday, 16 August 2014

क्या ये सच नहीं है

क्या सच ये नहीं ?????
भारत गावों का देश है और यहाँ ज्यादातर गांव वाले ही रहते है |
मैं आपसे या आपके लिए नहीं कह रहा हूँ मैं जनता हूँ कि आप शहर में रहते है |
शहर में कूड़े से जमीन को पाट कर मकान बनाये जाते है |
कहते है जैसी नीव होती है वैसे ही ईमारत बनती है | कूड़े के ऊपर बने मकान में मनुष्य रहता है |
कूड़े में सूअर लोटते है | आज कल सूअर का पालन करके लोगो अमीर बन रहे है |
कल एक अमीर ने अपनी बीवी को मार डाला |
कुछ ने अमीर बनने के लिए कुछ देवी को बेच डाला |
अब उन देवियों कि पूजा करने पूरे तन मन से रोज मनुष्य आते है | शायद देवता की स्थापना के लिए ऐसा होना जरुरी है |
क्या अब भी नहीं लगता की कि पृथ्वी पर मनुष्य से ज्यादा सुन्दरतम प्राणी कोई नहीं !!! आज फिर शहर में एक मैदान कूड़े से पाटा  जा रहा है ( इसे व्यंग्य न समझे व्यंग्य की तरह पढ़े )

Friday, 15 August 2014

झूम बराबर झूम शराबी

झूम बराबर झूम ,,,,स्वतंत्रता दिवस है भाई
क्या बात है जिसे देखिये वही देश की स्वतंत्रता की बधाई देने के लिए पागल हुआ जा रहा है पर आज भगत सिंह के घर कोई बधाई देने नहीं गया ? कोई भी सुभाष चन्द्र बोसे के घर वालो को इस दिन की बधाई देने गया और बधाई मिली तो किस को जिन्होंने कुछ किया ही नहीं पर जैसा मैंने पहले कहा कि भला इसमें इनकी क्या गलती ये तो आजादी के जश्न में झूम रहे है और हमारे देश में झूमते कौन है ?????????? शराबी !!! हा हा चलिए आपको वो गण तो याद रहा झूम बराबर झूम शराबी .काली घटा है मस्त हवा है झूम झूम .क्या अब जानने की जरूरत है है की कोई क्यों नहीं भगत सिंह के घर गया |
वैसे मुझको भी झूम से याद आया झूम की खेती ...जी जी भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहाँ पर झूम की खेती होती है देश की करीब ७०० जनजातियों में से करीब ८० जनजातियां इस खेती को करती है | अब शराबी की तरह चिल्लाने के बजाये सुनिए क्या होता है इस खेती में !! इसमें बड़े बड़े जंगल के पेड़ों को जनजाति के लोग काट डालते है फिर उसमे आग लगा देते है , जलने के बाद जो रख बचती है उसमे वो लोग बीज बोते है और उसी उपज को कहते है क्या आपको पता है इसके पीछे उनका दर्शन क्या है ? वो मानते है की अगर धरती पर हल चलाया गया तो घरती को दर्द होगा और वे उसको दर्द नहीं देना चाहते है इस लिए झूम खेती होती है | और आप भी आज झूम रहे है तो क्या मैं मान लूँ  कि आप भी अपने कृत्यों से इस देश यानि अम्मा यानि धरती को कष्ट नहीं देना चाहते ? मतलब कल से चोरी , डकैती, बलात्कार , अपहरण , दहेज़ हत्या , यौन उत्पीड़न या भ्रष्टाचार बंद !!!!!!!!!!! अगर नहीं तो आज आपके झूमने का मतलब !!!!!!! काम से काम आइये थोड़ी झूम की खेती ही कर डालिये, शायद आपकी यही झूम से स्वंत्रता में कुछ सच्चा झूम आ जाये , माफ़ कीजियेगा अगर आपको कुछ गलत लगा हो क्योकि आपको सच सुनने की आदत नहीं और सच नीम सा कड़वा होता है पर आपको कड़वे पन से इतनी नफरत है कि दुनिया के सबसे ज्यादा मधुमेह के मरीज यही है तो चलिए आपके देश में रहना है तो हुआ हुआ कहना है .आप सब को स्वंत्रता दिवस की झूम .........( व्यंग्य समझ कर पढ़िए )

Thursday, 14 August 2014

यही तो है स्वतंत्रता दिवस !!!!

संतोषम परम सुखम ..स्वतंत्रता दिवस मुबारक हो
भाई अपने देश में इतनी जनसँख्या इसी लिए हो गयी क्योकि यहाँ संतोष ही संतोष है गरीब सोचता है कि उनके नसीब में गरीबी हो लिखी थी और अमीर सोचता है कि वो क्या कर सकता है जब भगवान ने ही इनको गरीब बनाया तो बच्रे क्या कर सकते है उनके लिए ? खैर स्वतंत्रता दिवस तो इनके लिए भी है वो बात अलग है की सड़क पर दौड़ती गाड़ियों  के धुएं और धूल भी स्वतंत्रता के बात इनके हिस्से में आई | मैं जनता हूँ आप कहेंगे की कम से कम
इनको ये तो मालूम हो जाता है दम घुटना किसे कहते है और बिना पैसे के आपदा प्रबंधन के बारे में सीख लेते है | और वैसे भी रुखा सुख खाए के ठंडा पानी पीयू..देख परायी चुपड़ी मत ललचावे जीव ........यही क्या कम है कि इनको स्वंत्रता सांस लेने का मौका तो मिल रहा है वरना इराक में होते तो जान भी ना पाते कि कल होगी कि नहीं ! छोड़िये नहीं तो आपको लगेगा कि मुझे स्वतंत्रता दिवस मनाना ही नहीं आता और मैं भला ऐसा मौका क्यों छोड़ू ? आखिर जब घर घर में भाई भाई में बटवारा हो जाता है तो अगर देश बाँट कर स्वतंत्रता मिली तो कौन सी हाय तौबा हो गयी पर एक बात मैं आज जाकर समझ पाया कि हम ये क्यों कहते है कि हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई .आपस में सब भाई भाई | अब बटवारा तो भाई भाई में ही होता है | और जो बटवारा हुआ था वो १९४७ वाले भाइयों के बीच हुआ था अब बीसवीं सदी वाले भाई भी तो बटवारा चाहते है और चाहे भी क्यों न आखिर जीवन जीने का अधिकार सभी को है और ये तो हमारे यह मूल अधिकार भी है | लेकिन एक बात मेरे समझ में नहीं आई कि भारत को अम्मा कहकर उसके आँचल को ही काँट डाला ! ये भी आप सही कह रहे है कि १९४७ में माँ के आँचल को काटने वाले बहुत दूर की सोचते थे और वो जानते थे कि आगे के सालों में भूमण्ड़ली करण का वो दौर आएगा कि आँचल कौन लेकर ही चलेगा भाई अब तो जमाना ही टॉप का है तो फिर आँचल के लये दर्द कैसा ? वैसे हमारे देश में स्वतंत्रता दिवस की बात है तो निराली और हो भी क्यों  ना यहाँ के लोग जो इतने निराले है , इसी लिए तो हम जगद्गुरु कहलाते थे ! यहाँ गर्भ निरोधक तो मुफ्त में बटता है पर जिस झंडे केलिए ना जाने कितनो के सर कलम हो गए वो झंडा आप खरीद कर ही पा सकते है और तो और आपको ये जान कर संतोष होगा कि उसी झंडे को बेच बेच कर ना जाने कितने स्वतंत्र देश के लोगो के घर रोटी बनती है | लेकिन मेरी ये बात सुन कर आपके पेट में खौलन  ना हो तो बात ही अधूरी रह जाएगी क्योकि सर्वोच्च न्यायलय ने इस तरह के झंडे  पर रोक लगा दी है पर स्वतंत्र देश में कानून को मान लिया तो फिर कैसी स्वतंत्रता ? और न विश्वास हो तो चले जाइये चौराहे पर झंडे में डूबा कर्न्तिकारियों का खून २ से १० रुपये में बिक रहा होगा पर आपको इससे क्या क्या क्योकि आप तो इसी से खुश है कि कम से कम अंग्रेज तो इस देश से चले गए और देश में शांति तो आई आप १५ अगस्त को झंडा तो फहरा सके | हमने हमेशा मिल बाँट कर खाने की  शिक्षा पायी है  और भले ही इसके दो चार टुकड़े और हो जाये लेकिन शांति होनी चाहिए क्योकि सबसे बड़ी निधि ही है संतोष ! जब आवें संतोष धन सब धन धूरि सामान ........तो मान गए ना कि संतोषम परम सुखम तो आइये मानते है स्वतंत्रता दिवस .......आरे भैया सुख में ही दुःख है और आज़म दुःख में भी हसि आ जाती है तो अब तो कह दो भारत माता की ........जय .............स्वत्रता दिवस अमर रहे ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए )

Sunday, 10 August 2014

काश उसका भाई रावण होता

क्या आप रावण जैसे भाई है ????
मैं जानता हूँ कि रोज हत्या , अपहरण बलात्कार के बीच और यही नहीं लौट आओ तृषा जैसे सीरियल में चचेरी बहन के साथ अननेटिक सम्बन्धो के बीच रेगिस्तान में बून्द जैसा लग रहा होगा आपको आज के दिन भाई -बहन शब्द ऐसे लगे रहा होगा चलो एक दिन तो इस देश में भाई बहन की बात हो रही है !
वैसे एक बात तो है कि जितने नेताओ ने राखी बँधाई  है उनको उन बहनो कि रक्षा के लिए तो साल भर चिंतित रहना ही चाहिए आखिर भाई बने है उनके और उन सभी लड़कियों को भी आज के बाद पूरे साल देखना चाहिए कि इस देश की सड़कों , पर वो कितनी सुरक्षित है ?
वैसे एक बात तो मजेदार है इस देश के इतिहास में और वो ये की इस देश में ना जाने कितने रजवाड़ों ने अपनी बहन बेटी का बेमर्जी से दूसरे राजाओ से विवाह करा के अपने राज्य और अपनी जान को बचाया है तो क्या अब भी बताना पड़ेगा कि बहन बही में कौन किसकी जान और सम्मान की रक्षा कर रहाहै |लीजिये इसी बात पर एक बात और याद आ गयी और वो ये कि रक्षा बंधन जैसे सुरक्षा सूत्र का वर्णन भविष्य पुराण में सबसे पहली बार आया है जब देवासुर संग्राम में इन्द्र की पत्नी शुचि ने पाने पति की युद्ध में रक्षा के लिए ये सूत्र बंधा था तो क्या आप अभी यही समझ रहे है कि बहन भाई की कलाई में राखी बांध कर अपनी रक्षा के लिए दरकार रखती है ? खैर  आपको औरत को दोयम दर्जे रखने की आदत है ! चिल्ला क्यों रहे है क्या आप जैसे भाई होने के कारण ही देश में खुले आम देश में बलात्कार हो रहे है ? क्या आप रावण जैसे भाई है जिसने सिर्फ अपनी जान साम्राज्य इस लिए गवां दिया क्योकि उसकी बहन सुपनखा की नाक काट ली गयी थी | पूरी राम रावण की कहानी का मूल सुपनखा की नाक का काटना और भाई द्वारा अपनी बहन के अपमान का बदला लेना ही तो है | खैर रावण में आप क्यों अच्छाई देखने लगे ये भी कोई भाई हुआ ? भाई का मतलब तो ये की जो लड़की के साथ हर अत्याचार होते हुए देखे और इसी लिए चुप रहे क्योकि बहन के भाग्य में हो दुःख लिखा है तो वो क्या करे ? लड़की को मार जाये तो कोई सच का साथ क्यों दे आखिर कोई वो पहली लड़की तो है नहीं जो मारी गयी | पर आप आज कलाई पर इतनी राखी जरूर बंधवा कर निकालिएगा  जिससे समाज  वाले तो जान ले कि आपके इर्द गिर्द कितनी लड़कियां माफ़ कीजियेगा बहनें है वैसे कोई माने ना माने कितने गरीब दूकान खोल कर राखी बेच कर अपने जीविकोपार्जन कर लेते है और खरीदी चीजो में रिश्ता क्या ढूँढना ? जब राखी ही बाजार की वस्तु हो गयी तो बेचारे भाई भी मजबूर हो गए और बहनो के लिए कुछ भी नहीं कर पाते | क्या आपने बाजार की राखी कलाई में बांधी है ? तब कोई बात नहीं आप चैन की नींद इस देश में सो सकते है क्योकि रिश्ते बाजार में नहीं घर में और दिल में बनते है | क्या मैं रावण बन गया आप जान पाये ?????????

Sunday, 3 August 2014

आप किस तरह के मित्र है ?

मित्र और मित्रता दिवस ...........
आज के दौर में लगता ही नहीं कोई किसी का शत्रु है जिसे देखिये वही सुबह से मित्रता  दिवस की बधाई दिए पड़ा है पर मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि आप मित्रता किसे कहते है जरा इस पर नज़र डालिये ...........
१- कृष्णा और सुदामा भी मित्र थे और अपने गरीब मित्र सुदामा के लिए कृष्णा ने दो मुट्ठी चावल खा कर उनको दो लोक दे दिए और दोनों मित्र राजसी बैभव में रहने लगे |
२- मित्र तो द्रुपद और द्रोणाचार्य  भी थे लेकिन सिर्फ विधार्थी जीवन तक जब द्रुपद राजा बने और द्रोणाचार्य आचार्य तो जब अपने पुत्र के लिए द्रोण अपने राजा मित्र द्रुपद के पास सहायता लेने पहुंचे तो उनका अपमान हुआ और उन्होंने द्रुपद से इसका बदला भी लिया
३- मित्र कुंती के अविवाहिता होने पर उत्पन्न और बाद में सूत परिवार में पोषित कर्ण और दुर्योधन भी थे जब कुंती कर्ण को बताती है कि पांडव उन्ही के भाई है इस लिए उनका साथ दो तो कर्ण ने मित्रता को प्राथमिकता दी क्योकि मित्र के कान ही वो समझ में ना सिर्फ सम्मान पाये बल्कि राजा भी बने और अंत तक उन्होंने दुर्योधन का ही साथ दिया |
४- मित्र अलाउद्दीन ख़िलजी और रत्न देव भी थे पर जब ख़िलजी से मित्रता के कारण  ही रतनदेव को न सिर्फ अपमानित होना पड़ा बल्कि रानी पद्मनी को जौहर करना पड़ा |
५- अंग्रेज तो जिसके भी मित्र बने उसको बर्बाद करके ही चैन पाये |
६- किसी शायर ने क्या खूब आज की दोस्ती को देख कर लिखा है
दोस्त ही बुनियाद के पत्थर उठा ले जायेंगे ,
इस शहर में मकान बना कर तो देखो |
अब आप खुद ही अपने विश्लेषण को करके देखिये कि जिस मित्रता दिवस को लेकर आप इतना उत्तेजित है उसमे आप कैसे मित्र है क्योकि मैंने तो मित्र बनाना कभी जाना ही नहीं जो आये भी उनके लिए सिर्फ
न जाने लोग क्या क्या भरम पाल लेते है , सांप कि जगह आदमी पाल लेते है |
खीर आप गर चाहते है कि मैं आप पर अपनी बात ना थोपु तो चुकियेगा नहीं बस यूँ ही कहते रहिये मित्र दिवस कि शुभ कामना

Friday, 1 August 2014

पंचमी से पंचनामा तक

पंचमी से पंचनामा तक ...............
आज नाग पंचमी है जिसे गुड़िया भी कहते है | बसंत पंचमी हो या ऋषि पंचमी या नाग  पंचमी , महत्त्व तो सभी का है और हो भी क्यों ना अखित हमारा शरीर भी पांच तत्वों से मिल कर बना है और हाथ में पांच उँगलियाँ भी है अब जब सब पञ्च मय है तो पांच उँगलियों का जादू कैसे पीछे रह जाये ! अक्सर लोग जानना चाहते है कि मनुष्य बन कर क्या फायदा मिला ? वैसे तो आप पृथ्वी के सबसे बुद्धिमान प्राणी है पर नमक मिर्च लगी बाते तो दूसरे से सुनने में ही मजा आता है ! अब देखिये सरे जानवर सीधे खड़े तक नहीं हो पाते एक मनुष्य ही तो है जो सीधे खड़ा हो पाया पर इसका जादू आपको पता है ? नहीं ना ! आरे उसके दोनों हाथ स्वतंत्र हो गए ! यानि इन्ही हाथो के कारण उसने दुनिया ही बदल डाली लेकिन जो कोहिनूर हीरा उसको मिला वो था किसी लड़की का बलात्कार !!!!!!!! है न अच्छी बात इन्ही पांच उँगलियों वाले हाथ से किसी लड़की का दोनों हाथ पकड़ सकते है आपका कोई मित्र लड़की का पैर पकड़ सकता है और एक मुहं दबा सकता है और आप इन्ही दो हाथो के बीच दरंदगी की का शिकार एक लड़की को बना सकते है , है ना मनुष्य के खड़े होकर चलने का मजा ! क्या मजाल जो इतना अद्भुत करतब एक शेर शेरनी के साथ दिखा सके | अब तो समझ गए ना पांच का महत्व पांच तत्व से बने शरीर और पांच उँगलियों का जादू ! पर शायद आप भूल गए की पंचमी तो स्त्री लिंग है और जब तक स्त्रीलिंग को आप अपने शौर्य , से पुल्लिंग में ना बदल दे तो मजा ही क्या और लीजिये जो लड़की आपके पांच तत्वों से तैयार शरीर और पांच उँगलियों के बीच फास कर तड़प रही थी उसने दम तोड़ दिया और आपकी इच्छा हो गयी पूरी पंचमी का अब पंचनामा होगा क्या बात है पहले जिन्दा पर चीरी गयी  अब मर कर चीरी जा रही है पर आपको इन सबसे क्या मतलब पंचमी तो पंचनामा में बदल गयी | आरे आप मेरी बातों में कहा फास गए वो देखिये गुड़िया पीटी जा रही है वहा वहा चौराहे पर आप भी जल्दी से डंडा लेकर जाइये आखिर यही से तो आपको शिक्षा मिलेगी कि घर से लेकर चौराहे तक गुड़िया कैसे पीटी जाती है यही तो है पंचमी का मजा और मजे के बाद सिर्फ पंचनामा ! अब जो बचपन से सीखा वही तो जिंदगी भर निभाएंगे ? देखिये वो एक गुड़िया अकेली जा रही है ? कर दीजिये पंचमी का आज पंचनामा और बन जाइये दो हाथो पर चलने वाले वो जानवर जो इस दुनिया में आपने अपने सिवा किसी को बनने नहीं दिया आखिर जानवर कि क्या औकात जो आदमी बने | पंचमी पर सिर्फ आपका अधिकार है क्योकि पंचनामा तो सिर्फ आदमी ही कर सकता है ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए )