देश में चीटियों का मरना कभी शोक का विषय नहीं रहा ????????????? आप कहना क्या चाहते है ??????????? जी मेरा कहने का मतलब है कि हमारे देश में कभी क्या चीटियों के मरने पर शोक हुआ और क्या किसी ने खाना खाना छोड़ दिया हो !!!!!!!!!!! आप चीटी किसको कह रहे है ???????????? जी मैं किसको कहूँगा ????????? कुम्भ में मरने वालो को चीटी कैसे कह दू ?????????? पूरा देश तो शोक में डूबा है ??????????? मरने का दर्द तो इतना ज्यादा हो गया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शादी में चले गए पर वो भी क्या करे इस देश में सिखाया ही या जाता है कि दुःख में ही सुख है और गर आपको लगता है कि मैं कुम्भ में मरने वालो को चीटी कह रहा हूँ तो हो सकता है भला हो वो मनुष्य नहीं थे नहीं तो कुम्भ के मेला प्रभारी खान शहेब और रेल मंत्री को तो लेने के देने पड़ जाता वो तो भला हो कि मरने वाले सब चीटी थे इस लिए उनके मरने पर किसी ने कोई जिम्मेदारी ली ही नहीं और ये समय उनके लिए शोक करने का थोड़ी ना है ............................. जब लाखो पुण्य कमाने के बाद किसी को ऐसी मौत मिलती है उन्हें तो मोक्ष प्राप्त हो गया और जिनको मोक्ष प्राप्त हो गया हो उनके लिए देश का दर्शन दुःख का पाठ नहीं पढ़ाता बल्कि ऐसे लोगो के मरने पर तो ढोल नगाड़े बजते है और इसी लिए पूरा देश अपने काम में फसा है ..........................और ज्यादातर जो मरे वो या तो औरते थी या बच्चे थे ....................... अब आप बताइए भला औरत के लिए क्या रोना वो तो इस देश में हमेशा से देवी रही है और देवता निवास ही वह करते है जहाँ देवी की पूजा होती है और ऐसे में देविया कुचल गयी तो क्या हुआ बल्कि मिटटी का शरीर जिन्दा मिटटी में मिल गया ..............और वैसे भी आत्मा अजर अमर है तो औरते मरी कहा शरीर जिन्दा ही मिटटी में मिला और आत्मा परमात्मा में ..........सन फर्जी बात करके देश को गुमराह किया जा रहा है कि इतनी औरते मर गयी जिन्हें आप मर दिखा रहे है वो तो इस नश्वर दुनिया का एक भ्रम है बस .......और बच्चे भी भगवन की मूरत होते है ............अब आप ही बताइए की मनुष्य कितने मरे ???????????????????????? मानते है की नहीं मनष्य मरे ही नहीं जो मरे वो या तो देवी थी या फिर भगवान की मूरत !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! हा तो मैं कह रहा था कि चीटियों के मरने पर कौन शोक करता है .................न जाने कितनी ऐसे पैरो के नीचे कुचल जाती है .......................और जो चीटिया मरी उनके पास था ही क्या सिर्फ रोज खोदो और खाओ के अलावा वो क्या कर पा रही थी कोई शेर या कस्तूरी वाला हिरन मर होता तो कोई बात भी थी ......................आप बात घुमा फिरा कर क्यों कर रहे है .........सीधे सीधे कहिये कि मरने वालो में अमीर लोग नहीं थे ................अब जब आप समझदार है ही तो मैं क्या कहूँ ...............और सबसे बड़ी बात पूरे जीवन में जितना ना कमा पाते उतना तो नेता जी ने मुवावजा दे दिया .................जो गया उसका क्या शोक करना आज के बेरोजगारी के समय में इतना पैसा एक साथ मिलना किसी भाग्यशाली को ही मिलता है .और ऊपर से दोनों हाथ में लड्डू अलग ...........................एक तो कोई आपका अपना स्वर्ग ???????????? मोक्ष ( बिना किसी तपस्या के ) को प्राप्त हो गया और आपको मोती रकम मिल रही है वो अलग ....................अब बहकिये नहीं जल्दी से इस पैसे को मासिक आमदनी योजना में बैंक या डाक खाने में जमा करा दीजिये ..................पञ्च लाख पर आप को करीब ४.५ हजार रुपये मिलेंगे ................मूल भी सुरक्षित और ब्याज का मज अलग से ......है न बेरोजगारी दूर करने का नेता जी का नायाब तरीका .............................आरे बही साहेब कहा चल दिए ????????????????? क्या क्या कुम्भ जा रहे है ?????????????? क्या आपके बच्चे को भी नौकरी नहीं मिल रही है !!!!!!!!!!!!!!!! देखिये कुम्भ में नहीं रेलवे स्टेशन पर जाइये ..............वहा चीटी बनने एक मौका भी मिलेगा और मोक्ष !!!!!!!!!!!! नहीं नहीं पैसा पैसा !!!!!!!!!!!!!!!!!!! नहीं नहीं शायद परिवार का भविष्य शुधर जायेगा ????????????? कितने अच्छे है नेता जी कितना ख्याल रखते है ????????????????? कुम्भ बार बार नहीं आता ........और क्या पता आप अगले कुम्भ पर आप मनुष्य की मौत मर चुके हो और आप को मोक्ष और पैसे दोनों से हाथ धोना पड़े !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! तो देर ना करिए ...............पिल पड़िए शायद आपके मोक्ष और दरिद्रता से दूर होने का मौका मिल जाये ....जय हो गंगा मैया .............................तेरी महिमा अपरम्पार ..................भैया मुझे भी मकान बनवाना है ...मैं तो चला कुम्भ ............चीटी ???????????????? बनने???????????? आप क्यों मनुष्य होने का बोझ ढो रहे है !!!!!!!!!!!!!!! आइये आप भी
हर व्यक्ति अपने आप में एक किताब है - एक उपन्यास है। हमें पुस्तकालय में हर तरह की किताबें मिलती हैं। यह विश्व ही एक पुस्तकालय है। इन सभी किताबों का एक ही लेखक है और उसने बाज़ार भर दिया है! केवल कुछ ही, जो जागे हुए हैं, देख पाते हैं कि ये सब कहानियाँ हैं और आनंदित होते हैं। और तुम उन कुछ जनों में से हो। यदि तुम्हें लगता है कि तुम नहीं हो, तो बन जाओ। इस पुस्तकालय में तुम्हारी आजीवन सदस्यता है।
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