Saturday 16 February 2013

unka sach

मेरी ख़ुशी पर वो ,
ख़ुशी का इजहार कर न सके ,
मेरी मौत पर वो ,
अपनी मौत का ऐतबार कर नहीं सके ,
कहते थे हमेशा ,
दो जिस्म में एक जान है हम ,
मेरी कब्र की बुनियाद  पे खड़े वो ,
अपने घर की दीवार गिरा, न सके .....................................यहाँ रिश्ते बाजारी हो गए है ..अगर आप रिश्ते में कोई भी बात को मानने से इंकार कर दीजिये .बस वही रिश्ते का खोखलापन सामने आ जाता है

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