Thursday, 12 September 2013

हिंदी ...............एक औरत की दुर्दशा

हिंदी या औरत की दुर्दशा

जिधर देखो बस रुदाली करते हुए लोग ........हाय हाय हमारी  हिंदी .........कितनी दुर्दशा .............अंचल में दूध ( आज कल दूध काफी महंगा हो गया है ) और आँखों में पानी ( कम कम से साफ़ पानी कही तो बचा है )....................अब कौन समझये इनको .....आ बैल मुझे मार ......पर हिंदी ठहरी स्त्रीलिंग !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! तो इस देश में औरत के लिए ढिंढोरा तो पीटा जा सकता है पर रहेगी तो वह उत्पीडन , बलात्कार , का शिकार ही तो कौन सी आफत आ गयी हिंदी के शोषण को देखकर ...........एक तरह जिसको भी रौंद( पृथ्वी ) सकते है गन्दा( गंगा ) कर सकते है अगर उन सबको स्त्रीलिंग से न नवाजे तो खाना नहीं पचता है और जब दिखावा करना होगा तो माँ बहन न जाने क्या क्या कहने लगेंगे ....................हिंदी को भी माँ कहने में आपको शर्म तो आने से रही ..............जी जी अब आप कहेंगे कि अंग्रेजी भी तो स्त्रीलिंग है .....................आ गए ने चरित्र पर जब तक चरित्र न उच्छ्ले मजा नहीं आता इस देश में ....................आपको देशी औरत पसंद कब आती है अंग्रेजी पिक्चर हो या सियारा लियोन या अंग्रेजी औरत के कपडे सब आपको अपने देश से ज्यादा अच्छे लगते है तो अंग्रेजी तो तो आप अपनी छाती , ओठ से लगायेंगे नहीं तो पता कैसे चलेगा कि आपको प्रेम करना आता है .......... तो अब तो समझ गए ना कि देशी स्त्री ( हिंदी ) की दुर्दशा क्या है ....................आरे आरे मेरी बात सुन कर भी आप बेशर्मी से उसी से चिपके है ............थैंक यू थैंक यू ..........ये क्या कर रहे है आपके घर में भी तो औरत ( हिंदी ) है कभी तो उसका ध्यान करके कह दीजिये धन्यवाद् ...............

3 comments:

  1. सही लिखते हैं.
    हिंदी दिवस पर एक दिन का सम्मान फिर वही अपमान वाली स्थिति है इस देसी स्त्री की.

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