Friday 29 August 2014

गणेश चतुर्थी और अनुवांशिकता

गणेश चतुर्थी ........एक औरत की शक्ति
वैसे तो अनुवांशिकता के सिद्धांतों और खोजो से यह सिद्ध हो चुका है कि एक औरत को पुरुष की कोई आवश्यकता नहीं है अगर वो माँ बनना चाहे क्योकि एक लड़की से लड़की का जन्म हो सकता है पर ये नारी की महानता है की वो सिर्फ अपने लिए नहीं सोचती और इस दुनिया में पुरुष का अस्तित्व बनाये रखने के लिए वो उसके साथ रहना स्वीकार कर लेती है और आपको पता है कि पार्वती जी ने अपने नहाने के चन्दन से एक पुत्र को जन्म दिया और फिर तो आप जानते है कि कैसे शंकर जी ने उसका सर काट डाला , और वही से अनुवांशिकता का दूसरा अध्याय शुरू हुआ , पार्वती  जी के कहने पर भगवान ने एक संकर दिव्य पुरुष को हाथी के बच्चे के सर को काट कर बनाया जिसे हम गणेश जी के नाम से जानते है और वो दिन चतुर्थी का ही था इस लिए आज के दिनको गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाने लगा , क्षत्रपति शिवा जी , पेशवा , बल गंगाधर तिलक से लेकर आज के प्रतंत्रिक युग में गणेश का जन्मदिन तो मनाया जा रहाहै पर गमेश के जन्म और पुनर्जन्म को ना जाने क्यों हम विश्व अनुवांशिक दिवस के रूप में नहीं मना पाते ......खैर आप सभी को गणेश चतुर्थी यानि विश्व अनुवांशिक दिवस की शुभ कामना .गणपति मोरया ................वैसे जाते जाते आपको बता दूँ कि अगमेश जी की दोनों पत्नियों का नाम रिद्धि और सिद्धि है और उनके दोनों पुत्रों का नाम शुभ और लाभ है .....अब समझ गए ना की क्यों दीवारों पर शुभ लाभ लिखा जाता है ....तो कहिये न गणपति बाप्पा मोरया ...........

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