Tuesday, 31 December 2013

पुल्लिंग हार गया स्त्रीलिंग से नव वर्ष में

वर्ष + आ = वर्षा
अब आप मानिये या ना मानिये पर सच यही है कि पूरा साल पुल्लिंग और स्त्रीलिंग के बीच उलझा रहा और मजेदार बात यह कि स्त्रीलिंग ने ना जाने कितनो को दिखा दिया कि नर पर दो दो मात्रा भरी है नारी | अब आप कहेंगे कि आज के दिन आप ये क्या बेसुरी बात ले बैठे ? अरे आप कहेंगे क्यों नहीं आखिर आप पुरुष जो ठहरे ! कुछ भी मान लेंगे तो नाक कट जायेगी ! पर आप यह तो मानते है कि वर्ष यानि पुल्लिंग और वर्ष को भी पुल्लिंग बन कर बड़ा नाज़ कि पूरी दुनिया उसके आने और जाने के दिन पागल हो उठती है पर लीजिये झेलिये अपनी हेकड़ी का फल वर्ष पुरुष तो महिला यानि स्त्रीलिंग कौन पीछे है जी जी वर्षा वर्षा ( स्त्रीलिंग ) अंतिम दिन पूरा दिन ऐसा बना दिया कि बस सब समझ गए कि स्त्री के आगे किसी की नहीं चली है | जहा स्त्री ने पूरे साल पुरुषो को अपनी महत्ता समझा दी तो वर्षा ( स्त्रीलिंग ) ने भी वर्ष( पुल्लिंग ) को उसकी हैसियत बता दी और सब वर्षा के आगे पुरे देश में हताश दिखे , ठण्ड में सिकुड़े और कोहरे में डूबे तो मानते है ना कि जाते जाते वर्ष +आ = वर्षा में बदल आया यानि पुल्लिंग  स्त्रीलिंग में वह क्या विज्ञानं का चमत्कार  है कि प्रकृति भी अपना लिंग बदलना मानव के साथ सीख गयी ......तो कहिये वर्ष नहीं वर्षा कि शुभकामनाये ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए )

Monday, 30 December 2013

क्या मिला इस शाम में

जो भी पाया था ,
उसके जाने का ,
वक्त आ रहा है ,
संजो भी ना सका ,
अब तो लूटने का ,
मंजर आ रहा है ,
जिंदगी आलोक में है ,
रास्ते अंधेरो में ,
गुजर रहे है ,
साँसे तो चल रही है ,
खुद हर किसी में ,
मौत जी रहे है ,
ये कैसा सिला मिला ,
किसी से मिलने का ,
फिर बिछड़ने का ,
मौका भी मिला तो ,
चार कंधो पर ,
आज संवरने का ,
ये वर्ष जो जा रहा है ,
वो वर्ष जो आ रहा है ,
कोई मुझको पा रहा है ,
कोई मुझसे जा रहा है ,
जीना इसी का नाम है ,
चलना इसी का काम है ,
मुबारक हो साल अब ये ,
कल इसकी आखिरी शाम है ....................आइये सोचे कितने आजीब है हम जो यह नहीं समझ पाते कि हम सिर्फ किसी की तलाश में इस दुनिया में नहीं आये बल्कि दुनिया हमको तलाश रही है ......कुछ करने के लिए कुछ कहने के लिए ...अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Sunday, 29 December 2013

नए साल में जिंदगी का समझिये

पौधे से न जाने कब ,
जिंदगी दरख्त बन गयी ,
किसी के लिए यह ,
ओस कि बूंद सी रही ,
तो किसी के लिए ,
मदहोश सी मिलती  रही
कोई आकर घोसला ,
अपना बना गया ,
कोई मिल कर ,
होसला ही बढ़ा गया ,
किसी को हसी मिली ,
किसी कि सांस खिली ,
कोई जिया ही देखकर ,
कोई आया दिल भेद कर ,
सभी में अपने लिए ,
 तोड़ने , मोड़ने , छूने ,
छाया पाने की ललक दिखी ,
किसी ने फूल समझा ,
तो किसी ने कलम बना ,
अपनी ही इबारत लिखी ,
सभी को आलोक मिला ,
पर आलोक का गिला ,
अँधेरे से सब डरते रहे ,
मौत से ही मरते रहे ,
कोई नहीं दिखा आलोक में ,
जोड़ी बनती है परलोक में ,
आलोक पूरा हुआ अँधेरे से ,
रात पूरी होगी सबेरे से ,
आइये चलते रहे दरख्त ,
बनने की इस कहानी में ,
फूल पत्ती शाखो से ,
महकते रहे जवानी में ......................अखिल भारतीय अधिकार संगठन आप सभी को जिंदगी के मायने समझते हुए एक नए कल की शुभ कामनाये प्रेषित करता है ............

Saturday, 28 December 2013

नमन है देश तुझको ???

भारत में नसबंदी कराने पर पूरी उम्र में एक बार ११०० रुपये मिलते है और बच्चे को जन्म देने पर १४०० ऊपर से जितने चाहे पैदा करो हर बार १४०० पाओ तो क्या अब भी आपको बताऊ कि बेरोजगारी  कैसे ख़त्म किया जा सकता है ? समझे कि नहीं जनसंख्या की महिमा इस देश में .

Thursday, 19 December 2013

ये रिश्ता क्या कहलाता है ?

क्या रिश्ता मर गया ?
आखिर लड़का नहीं पैदा होगा तो नाम लेने वाला कौन होगा और पितृ ऋण से आप कैसे मुक्त होंगे ? बिलकुल इसी लिए तो भाई साहब फुले नहीं समा रहे थे और फूल कर कुप्पा क्यों ना हो आखिर दो दो बेटे के बाप जो ठहरे ! और फिर तो ऐठ पर ऐठ क्योकि दोनों लड़के पढ़ लिख कर अमेरिका जो चले गए | लीजिये भगवान ने भी परीक्षा ले डाली और माँ की मृत्यु हो गयी अब क्या था पिता जी हो गए अकेले और पिता के जिन्दा रहते बेटो के सर पर पितृ ऋण चुकाने का मौका | पिता ने कहा कि मैं अमेरिका आ जाता हूँ पर ये क्या पिता जी को नरक का मजा तो यही मिल गया | बेटो ने साफ़ कह दिया कि वो पिता को अपने साथ अमेरिका में नहीं रख सकते | वह क्या बच्चे है ऊपर से सलाह ये कि मकान बेच कर जो पैसा मिले उससे वृद्धा आश्रम में जाकर रहिये | भला इसी से तो पता चलता है कि मात पिता गुरु नवहि माथा ....पिता तो आकाश है वही तो हिमालय है और लगता भी यही है तभी तो हिमालय को उसके बेटे ही आश्रय देने को तैयार नहीं है | पर हिमालय ने कहा वो किसी से कम नहीं है और पिता ने एक विधवा के नाम अपना घर लिख कर उससे फिर शादी कर ली | अब आप बताइये कि आपका लड़का कब अमेरिका कब जा रहा है और लड़का होने पर आपका सीना तो फूला ही होगा ! मेरी कसारी बात कोरी लग रही होगी क्योकि ऐसा आपके बेटे थोड़ी ना करेंगे खैर मुझे कोई परेशानी नहीं और आप भी ना होइए आज कल वृद्धा आश्रम का धंधा फल फूल रहा है | तो डर किस बात का ? वैसे काशी और वृंदावन से कोई न कोई तो मिल ही जायेगा | क्या आप काशी जा रहे है ? अरे ऐठ क्यों रहे है मुझे मालूम है आप भी लड़के के पिता है !!( व्यंग्य समझ कर ही पढ़िए )

Wednesday, 18 December 2013

हम मनुष्य क्यों न बने ?

क्या आप अप्राकृतिक है ?
हो सकता है कि आप को मेरी बात बुरी लगे और लगे भी क्यों ना क्योकि इसी शब्द के कारण तो उच्चतम न्यायालय को दखल देना पड़ा था | | लेकिन आप तो अप्राकृतिक  उसी दिन हो गए थे जब आपने संस्कृति बनायी थी | क्या संस्कृति प्राकृतिक  नहीं है ? भैया शादी करना भी तो अप्राकृतिक है और इसी लिए लोगो को अब यह रास नही आता है | जिसको देखो वही अप्राकृतिक होना चाहता है | क्या आपको अब भी लगता है कि जो कहा जा रहा है वह सही है और सही कहे भी क्यों ना ? जो पूरी पृथ्वी के सारे प्राणी कर रहे हो वही अगर मनुष्य भी करेगा तो भला उसको कौन अद्भुत समझेगा ? इस लिए वह वो करना चाहता है जो जानवर नहीं करते ! कोई मनुष्य बच्चा पैदा करने के लिए ही तो पैदा नहीं हुआ ? वो और भी इस शरीर से कर सकता है आखिर शरीर उसका है कोई जानवर का तो है नहीं कि उसकी कोई मर्जी ही ना हो | इस लिए शरीर की आजादी मिलेगी तभी तो वह कह सकेगा वह जानवर नहीं मनुष्य है | लेकिन भैया जानवर भी तो कह रहे है कि अगर जानवर नहीं हो तो क्यों कपडे उतारे दे रहे हो ? लेकिन नहीं वह तो आप कहेंगे कि मेरी मर्जी क्योकि मनुष्य कहलाने के लिए जरुरी है कि वो नंगा दिखायी दे , मेरा कहने का मतलब है मनुष्य को पारदर्शिता पसंद है ना तो वो हर काम में पारदर्शिता चाहता है फिर शरीर ही क्यों ढका रहे ? क्या आपको नहीं लगता कि हम जो भी कर रहे है वह तो यह सिद्ध करने के लिए कर रहे है कि सही अर्थो में हम जानवर से अलग दिखे | ये क्या कि नर और मादा रहे ! मजा तो तब जब नर और नर और मादा और मादा रहे , कम से कम मनुष्य ने कुछ तो जानवर से हट कर किया और आप है कि उसको अप्राकृतिक कह कर कोस रहे है ! क्यों नहीं मनुष्य को जानवर से ऊपर जाने दे रहे है ? क्या आप नहीं चाहते कि जानवर सा मनुष्य? ना लगे ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए )

Monday, 16 December 2013

निर्भया या निर्भय

निर्भया से निर्भय तक .........
कितनी ख़ुशी की बात है कि आज के दिन सेना वाले विजय दिवस मानते है और हम आप इस बात पर ख़ुशी मानते कि देश की बहादुर बेटी का दर्ज़ा पाने के लिए देश के सपूतों ( कपूत भला कैसे कह सकता हूँ आखिर भारत माँ का सर नीचा नहीं हो जायेगा ) से अपने शरीर को चील कौवो की तरह नोचवा कर बहन के लिए दौड़ने वाले उच्च आदर्शो वाले देश में एक लड़की नग्न पड़ी रही, वो तो भला हो देश की हिंदी पिक्चरों का जिनके कारण पूरी पिक्चर के बाद जैसे पुलिस आती है वैसे देश की जनता ने निर्भया के प्राण टूटने तक उसका साथ दिया और उसको बहादुर बेटी बना दिया | अब ये आप पर है कि आप सोचे कि इस तरह बहादुर बेटी कहलाने के लिए आप कितनी तैयार है | और इस बढ़िया उपहार हम निर्भया को और क्या दे सकता है कि अगर वो निर्भया बनी तो हम निर्भय बन गए | जी जी बिलकुल सही आप समझ रहे है आखिर आप अगर निर्भय ना हुए होते तो दिल्ली में लगभग ७०० बलात्कार हुए थे २०१२ में और २०१३ में करीब १४०० हो चुके है तो इस बढ़िया और क्या श्रद्धांजलि हो सकती है आखिर हम उस देश के वासी है जिस देश में गंगा ( उसको मैली करके ही दम लिया ) बहती है और तो और ये देश है वीर जवानो का मतवालो  का और फिर मतवाले लोग से उम्मीद क्या करेंगे कि ७०० से कम बलात्कार होते ? हम सर कटा सकते है लेकिन सर झुका सकते नहीं | देश के सम्मान का मामला है और हम कैसे पीछे रह जाते इस मामले में कि १४०० बलात्कार नहीं कर पाये ? अगर उस बहादुर बेटी को निर्भया कहा गया तो आप को कैसे सहन होता आप भी १४०० का बलात्कार करके निर्भय बन गए | आखिर अब लड़का लड़की में कोई भेद तो है नहीं और न ही कोई भेद किया जा सकता है | गर वो निर्भया बनी तो हम क्यों नही निर्भय ? (व्यंग्य समझ कर ही इसे पढ़िए )

Thursday, 12 December 2013

कितनी तरह की अम्मा ???????????

औरत कितनी तरह की, देश में बात जिरह की .....
मानवशास्त्र एक ऐसा विषय जो आपको आनुवंशिक भूत , वर्तमान और भविष्य बताता है और उसी ने बताया कि हम सब पूरी दुनिया में एक ही माँ की संतान है और ऐसा सम्भव हो सका डी एन  ए ( एक तरह का आनुवंशिक पदार्थ जो शरीर के निर्माण में जरुरी है ) की समानता के कारण तो अब तो मान लीजिये की हम सब एक ही माँ लूसी ( पहला पूरा मादा का कंकाल करीब २३ लाख साल पुराना ) की संतान है लेकिन नहीं भारत में अम्मा अलग अलग है ..........पप्पू की अम्मा अलग तरीके से बच्चे की जनती है , रघ्घू की अम्मा अलग , ताहिर की अलग और जेम्स की अलग | मुझे मालूम है कि अम्मा के लिए आप भला कहा कुछ सुन पाते है कहिये तो अभी आप मेरी जान ले ले आखिर मैं ना जाने क्या कह रहा हूँ या कहना चाहता हूँ और आप ठहरे मात्र भक्त वो बार अलग है कि आप इतने बीजी थे कि अम्मा का बटवारा हो गया और वो भी बेचारे मात्र भक्त क्या करें जिनकी अपनी बीवी के आगे नहीं चली तो अलग घर लेकर रहने लगे या फिर माँ ओ वृद्धा आश्रम  में डाल दिया लेकिन आप तो मुझसे यह जान कर ही छोड़िये कि मैंने ये कैसे कहा कि इस देश में माँ अलग अलग तरीके से बच्चे जनती है ? मेरी क्या औकात  इतने मात्र भक्तो के आगे ! मैं यह कह रहा था कि सरकार का मानना  है कि जो उसके लिए काम महिलाये करती है और सरकारी कर्मचारी का बिल्ला लगाये है उनको बच्चे को जन्म देने में सबसे ज्यादा कष्ट होता है आखिर लाल बत्ती लगा कर चलने वालो की तरह इन औरतो का भी तो कुछ जलवा होना चाहिए तो इनको पूरे वेतन के साथ १८० दिन का अवकाश मिलना चाहिए और मिलता है लेकिन अगर आप कारखाना या फैक्टरी में काम करने वाली माहि ला है तो होंगी महिला , इस देश में आप का स्तर थोडा नीचे है और आप को बच्चे को जन्म देने में उतना कष्ट नहीं होता है जितना सरकारी नौकरी करने वाली महिला को होता है तो आपको प्रसूति लाभ अवकाश मिलेगा ८४ दिन का सिर्फ | और भूल से अगर आप किसी प्राइवेट यूनिवर्सिटी में काम कर रही है तो आप जनती है कि प्राइवेट काम में कितना कचूमर निकल लेते है और फिर तो आप हुई ना बहादुर महिला और इसी लिए आपको बच्चे के जन्म में कष्ट क्या होता है ! नहीं न पर माँ का मामला है तो लीजिये आपको छुट्टी दी ४५ दिन की| अब बात कर लीजिये प्राइवेट ऑफिस की तो कोई उन्होंने सेवा आश्रम तो खोल नहीं रखा है और ना ही खैरात चलते है वो बाज़ार में बैठे ही है कमाने के लिए कोई आप ने उनसे पूछा तो नहीं ना की माँ बनूँ या न बनूँ  तो भला उनको आपके माँ बनने से क्या फायेदा अलबत्ता नुकसान अलग से है तो लीजिये कोई अमानवीय ना कह दे तो १५ दिन की छुट्टी  ले लीजिये | अरे हां याद आया अगर आप भूल से मॉडल या अभिनेत्री बनना चाहती है तो कॉन्ट्रैक्ट में यह भी लिखा होगा की आप काम के दौरान माँ नहीं बन सकती क्योकि आपका फिगर और ऊपर से काम का नुकसान ? न बाबा ना पर इस देश में सभी औरत काम तो करती नहीं हमारे देश में मनरेगा के नाम पर १०० दिन की दिहाड़ी का पैसा देने के लिए पैसा है पर एक घर और गॉव में रहने वाली महिला के माँ बनने पर १०० सरकार उसको आराम देने से रही क्योड़े उसको १०० के बराबर दिहाड़ी किसने कहा था कि देश की जनसँख्या को बढ़ाओ | एक तो देश की अर्थ व्यवस्था का नुकसान ऊपर से बच्चा पैड अकरने के बदले में १०० दिन का पैसा ! लीजिये अखिल भारतीय अधिकार संगठन के पेट में ज्यादा दर्द हो रहा है तो कर दिया जननी सुरक्षा योजना पर इस १४०० या १५०० रुपये में होगा क्या ? क्या ५० रुपये रोज एक महीने के लिए काफी है ? माँ का दूध क्या ऑक्सीटोसिन  के इंजेक्शन से निकलेगा और फिर आप कहेंगे माँ अपने बच्चो को दूध नही पिलाती है | अब भी क्या कुछ बचा नंगे होने में देख लिया ना की इस देश में कितने तरीके की माँ होती है और बात करते है की हम सब एक ही माँ की संतान है झूठ झूठ झूठ , लूसी लूसी मेरी आदिम अम्मा कहा हो बताओ ना कि मानव शास्त्री झूठ बोलते है , इस देश में अम्मा की ना जाने कितनी प्रजातिया है ? आखिर हम ही तो अम्मा के विक्रेता , अमम ले लो अम्मा , १९४७ वाली अभी भी जिन्दा है एक अम्मा और ले लो ! शायद मैं ही झूठा हूँ आप सब सही है क्योकि इस देश में अम्मा की कलम बना बना कर पूरे दुनिया में अम्मा का बाग लगाने का ठेका जो आपने  ले रखा है | वैसे क्या आप अम्मा बनने पर सबको कष्ट अलग अलग होता है ? होता है , होता है , कोई इस देश के लोग पागल थोड़ी ना है जो अलग अलग छुट्टी देते है ?  तो मान लिया ना कि अम्मा की भी प्रजाति होती है , अम्मा बन लो अम्मा वैसे आप किस श्रेणी ?????????(व्यंग्य समझ कर पढ़िए )
औरत कितनी तरह की, देश में बात जिरह की .....
मानवशास्त्र एक ऐसा विषय जो आपको आनुवंशिक भूत , वर्तमान और भविष्य बताता है और उसी ने बताया कि हम सब पूरी दुनिया में एक ही माँ की संतान है और ऐसा सम्भव हो सका डी एन  ए ( एक तरह का आनुवंशिक पदार्थ जो शरीर के निर्माण में जरुरी है ) की समानता के कारण तो अब तो मान लीजिये की हम सब एक ही माँ लूसी ( पहला पूरा मादा का कंकाल करीब २३ लाख साल पुराना ) की संतान है लेकिन नहीं भारत में अम्मा अलग अलग है ..........पप्पू की अम्मा अलग तरीके से बच्चे की जनती है , रघ्घू की अम्मा अलग , ताहिर की अलग और जेम्स की अलग | मुझे मालूम है कि अम्मा के लिए आप भला कहा कुछ सुन पाते है कहिये तो अभी आप मेरी जान ले ले आखिर मैं ना जाने क्या कह रहा हूँ या कहना चाहता हूँ और आप ठहरे मात्र भक्त वो बार अलग है कि आप इतने बीजी थे कि अम्मा का बटवारा हो गया और वो भी बेचारे मात्र भक्त क्या करें जिनकी अपनी बीवी के आगे नहीं चली तो अलग घर लेकर रहने लगे या फिर माँ ओ वृद्धा आश्रम  में डाल दिया लेकिन आप तो मुझसे यह जान कर ही छोड़िये कि मैंने ये कैसे कहा कि इस देश में माँ अलग अलग तरीके से बच्चे जनती है ? मेरी क्या औकात  इतने मात्र भक्तो के आगे ! मैं यह कह रहा था कि सरकार का मानना  है कि जो उसके लिए काम महिलाये करती है और सरकारी कर्मचारी का बिल्ला लगाये है उनको बच्चे को जन्म देने में सबसे ज्यादा कष्ट होता है आखिर लाल बत्ती लगा कर चलने वालो की तरह इन औरतो का भी तो कुछ जलवा होना चाहिए तो इनको पूरे वेतन के साथ १८० दिन का अवकाश मिलना चाहिए और मिलता है लेकिन अगर आप कारखाना या फैक्टरी में काम करने वाली माहि ला है तो होंगी महिला , इस देश में आप का स्तर थोडा नीचे है और आप को बच्चे को जन्म देने में उतना कष्ट नहीं होता है जितना सरकारी नौकरी करने वाली महिला को होता है तो आपको प्रसूति लाभ अवकाश मिलेगा ८४ दिन का सिर्फ | और भूल से अगर आप किसी प्राइवेट यूनिवर्सिटी में काम कर रही है तो आप जनती है कि प्राइवेट काम में कितना कचूमर निकल लेते है और फिर तो आप हुई ना बहादुर महिला और इसी लिए आपको बच्चे के जन्म में कष्ट क्या होता है ! नहीं न पर माँ का मामला है तो लीजिये आपको छुट्टी दी ४५ दिन की| अब बात कर लीजिये प्राइवेट ऑफिस की तो कोई उन्होंने सेवा आश्रम तो खोल नहीं रखा है और ना ही खैरात चलते है वो बाज़ार में बैठे ही है कमाने के लिए कोई आप ने उनसे पूछा तो नहीं ना की माँ बनूँ या न बनूँ  तो भला उनको आपके माँ बनने से क्या फायेदा अलबत्ता नुकसान अलग से है तो लीजिये कोई अमानवीय ना कह दे तो १५ दिन की छुट्टी  ले लीजिये | अरे हां याद आया अगर आप भूल से मॉडल या अभिनेत्री बनना चाहती है तो कॉन्ट्रैक्ट में यह भी लिखा होगा की आप काम के दौरान माँ नहीं बन सकती क्योकि आपका फिगर और ऊपर से काम का नुकसान ? न बाबा ना पर इस देश में सभी औरत काम तो करती नहीं हमारे देश में मनरेगा के नाम पर १०० दिन की दिहाड़ी का पैसा देने के लिए पैसा है पर एक घर और गॉव में रहने वाली महिला के माँ बनने पर १०० सरकार उसको आराम देने से रही क्योड़े उसको १०० के बराबर दिहाड़ी किसने कहा था कि देश की जनसँख्या को बढ़ाओ | एक तो देश की अर्थ व्यवस्था का नुकसान ऊपर से बच्चा पैड अकरने के बदले में १०० दिन का पैसा ! लीजिये अखिल भारतीय अधिकार संगठन के पेट में ज्यादा दर्द हो रहा है तो कर दिया जननी सुरक्षा योजना पर इस १४०० या १५०० रुपये में होगा क्या ? क्या ५० रुपये रोज एक महीने के लिए काफी है ? माँ का दूध क्या ऑक्सीटोसिन  के इंजेक्शन से निकलेगा और फिर आप कहेंगे माँ अपने बच्चो को दूध नही पिलाती है | अब भी क्या कुछ बचा नंगे होने में देख लिया ना की इस देश में कितने तरीके की माँ होती है और बात करते है की हम सब एक ही माँ की संतान है झूठ झूठ झूठ , लूसी लूसी मेरी आदिम अम्मा कहा हो बताओ ना कि मानव शास्त्री झूठ बोलते है , इस देश में अम्मा की ना जाने कितनी प्रजातिया है ? आखिर हम ही तो अम्मा के विक्रेता , अमम ले लो अम्मा , १९४७ वाली अभी भी जिन्दा है एक अम्मा और ले लो ! शायद मैं ही झूठा हूँ आप सब सही है क्योकि इस देश में अम्मा की कलम बना बना कर पूरे दुनिया में अम्मा का बाग लगाने का ठेका जो आपने  ले रखा है | वैसे क्या आप अम्मा बनने पर सबको कष्ट अलग अलग होता है ? होता है , होता है , कोई इस देश के लोग पागल थोड़ी ना है जो अलग अलग छुट्टी देते है ?  तो मान लिया ना कि अम्मा की भी प्रजाति होती है , अम्मा बन लो अम्मा वैसे आप किस श्रेणी ?????????(व्यंग्य समझ कर पढ़िए )

Wednesday, 11 December 2013

गे से ये तक

गे से ये तक
कहने की जरूरत नहीं कि भारतीय समाज में पत्नी अपने पति का नाम ( मैं खच्चर समाज की बात नहीं कर रहा खच्चर यानि घोडा गधा का संयुक्त उत्पाद )नहीं लेती है और नाम न जेन कब ये सुना ..ये चलो में बदल जाता है पर ये कब गे में बदल गया पता ही नहीं चला ? लगता लोगो का मन उब गया था इसी लिए ये कि जगह गे ले आये वो तो भला तो उच्च न्यायालय का कि उसने ये का मतलब बरक़रार रखा और गे तो मजबूर कर दिया कि वह ये को अपनाये खैर आप सोच रहे होंगे कि भला गे में क्या मजा मिलता है ? मालूम तो मुझको भी नहीं पर सुना है खरबूजा खरबूजे को देख कर रंग बदलता है तो जब एक ने कहा तो सब कहने लगे और ऊपर से मैं पढता हूँ मानवशास्त्र , मैं तो यही सोच सोच कर मरा जा रहा हूँ कि अगर गे को ये से इतनी एलर्जी है तो गे में मम्मी कौन बनेगा और पापा कौन ? ऊपर से सोने पे सुहागा बच्चे के लिए माँ का दूध अमृत होता है पर पिलायेगा कौन ? भैया गुस्सा होने कि कोई बात नहीं है आखिर आप भगवन बनने चले है वो तो मैं अब समझ पाया कि बहुत दिनों से भगवान ने पृथिवी पर अवतार क्यों नहींलिया ? सारा ठेका तो आपने ही ले लिया है , हा तो जरा मुझे भी बताइयेगा कि माँ बनना सबसे उत्तम काम मन गया है तो माँ बनेगा कौन और बच्चा जानेगा कौन ? ये तो शत शत नमन उच्चतम न्यायलय को को वो समझ गए कि सांप छछूंदर के खेल में लोग पति पत्नी का का मतलब ही भूल जायेंगे और फिर ! ये सुनो , ये चलो , ये इधर ये उधर जाओ !! क्या इसका मजा गे ले पाएंगे ? अरे अरे आप कहा चले ये ये ये सुनिये ( व्यंग्य समझ कर ही पढ़िए )

Monday, 9 December 2013

महिला वामांगी क्यों है ??

औरत वामांगी क्यों ?
अक्सर आधी दुनिया अपने अधिकारो के लिए चिल्लाती हुई दिखायी देती है | वह बड़ी खुश होती है कि पुरुष से वह धर्म , अर्थ काम ( सेक्स ) में आगे है पर मोक्ष उसको पुरुष दिलाता है | अरे भाई यह मैं नहीं कह रहा हूँ विवाह के मान्य तथ्य बता रहा हूँ | ऊपर से तुर्रा यह कि पत्नी वामांगी होती है | वैसे भी बाया हाथ किस काम आता है बताने की जरूरत नहीं यानि पत्नी सिर्फ सफाई की प्रतीक बन कर ही रहती है पति के जीवन में | अब आप कहेंगे बायीं तरफ तो दिल भी होता है | हा भाई हा होता है पर दिल बायीं तरफ नहीं नहीं बायीं तरफ थोडा ज्यादा होता है यानि पत्नी सिर्फ रक्त संचरण की तरह दिन रात पति के जीवन को गतिशील बनाये रहे|  लीजिये आप तो बाल की खाल निकलने लगे मन ही कापी में हाशिया भी बाये तरफ होता है पर वह सिर्फ किसी रफ कार्य या प्रश्न उत्तर को बताने लिए उपयुक्त होता है कौन देखता है की हाशिये पर क्या लिखा है सभी को पन्ना पढ़ने की आदत है | तो क्या यह भी बताना पड़ेगा की औरत हमेशा से ही समाज में हाशिये पर रही है |हा तो मैं कह रहा था कि पत्नी रूप में वामांगी कहलाने का मतलब क्या है | अगर स्त्री पुरुष दोनों पूर्ण होते तो एक एक होते अब चाहे किसी भी तरफ एक लिखिए दिखायी एक ही देगा पर औरत को कब आपने अपने समकक्ष माना है ? उसे तो आप जीरो समझते है और खुद को एक | अब यदि यही जीरो एक के देने तरफ लगता है तो एक का मान बढ़ जाता है और वह एक से दस , सौ , एक हज़ार बन जाता है पर यही जीरो जब एक के बायीं तरफ लिखा जाता है तो एक का मान  स्थिर रहता है  यानि पुरुष को पसंद ही नहीं कि उसका मान औरत के कारण बढे \ अब तो समझ में आ गया ना कि औरत यानि पत्नी को वामांगी क्यों कहा जाता है और औरत के मूल्य को जीरो क्यों समझा जाता है अब आप कहेंगे कि औरत के कारण ही तो पुरुष का मान बढ़ता है पर पुरुष ने उन महिला को अपने दाये तरफ रखा है जैसे माँ | वह माँ को उच्च दर्ज दे सकता है पर मानता उसको भी जीरो ही है | मेरी बात पर विश्वास न हो तो बताइये कैसे कहते है औरत के अक्ल घुटनो में होती है | और खुद में झांक कर देखिये माँ के पैर तो छू लेंगे पर माँ की बात कैसे मान ले आखिर वह जीरो की स्थिति में है | माँ की बात करके पुरुष महँ बन जाता है जैसे भारत माँ की बात करके हम देश भक्त , सपूत बन जाते है पर माँ के आँचल , तक को हम बचने के इक्छुक नहीं है | खैर अब आप समझ गए होंगे की पत्नी को वामांगी क्यों मानते है | आप अपने बाये चाहे जितने जीरो ( महिला) लगा ले पर आप अपना वर्चस्व उसके ऊपर बनाये रखते है | तो अब तो नहीं कहेंगे ना की औरत को वामांगी क्यों कहते है ये पता नहीं ? काश औरत जान पति पुरुषो का यह अंको का खेल ! कितने अंकगणितए तरीके से उसने औरत ( पत्नी , प्रेमिका ) को अपने बाये जगह देकर उसकी सामाजिक स्थिति को जीरो जैसा बना दिया | खुद पुरुष बन कर समाज में पहचान बनाता रहा और औरत चार दीवारी में खो गयी | इस तरह आप लोग मुझे ना देखिये मैंने तो वही कहा जो सच ( झूठ ) है आगे आपकी मर्जी वैसे भी आप ने सच बोलने वाले को जीने ही कहा दिया है चाहे हरीश चन्द्र हो या युधिष्ठिर | क्या आपको भी वामांगी की तलाश है यानि जीरो बैलेंस पर जीवन को आपके सवारने वाली ......( इसे व्यंग्य समझ कर पढ़िए )

Friday, 6 December 2013

इसमें बहुमत क्यों नहीं ?

गुणो में बहुमत क्यों नहीं ??

अनुवांशिकी का सिद्धांत यह कहता है कि मनुष्य को बनाने के लिए आवश्यक  ४६ गुणसूत्रों में २३ गुणसूत्र स्त्री से और २३ पुरुष से मिलते है | यानि पृथ्वी पर पाया जाने वाला हर नर और नारी में ५० - ५० % गुण दोनों के होते है | मतलब साफ़ है जैसे किसी चुनाव में वही विजयी होता है जिसको ५१% वोट मिले या संसद में वही पार्टी का प्रधानमंत्री  होता है जो ५१% बहुमत साबित करे यानि अब आपको बताने कि जरुरत नहीं कि आप के अंदर जो भी गुण ५०% से ज्यादा यानि ५१% प्रतिशत हो जाते है आप उनका ही प्रदर्शन करते है अब अगर पुरुष में स्त्री के गुण ज्यादा होकर ५१% प्रतिशत हो गए तो वह स्त्री की तरफ ही भागेगा और आप कहेंगे कि महिला सुरक्षित नहीं | अब चिल्लाइए नहीं मैं कोई नयी बात नहीं कह रहा रही बात महिला की तो अगर उसमे पुरुष के गुण ५१% प्रतिशत हो गए तो वह पुरुष के साथ ही दिखायी ज्यादा देगी और आप उसको व्यभिचारणी , कुलटा और चरित्र .... और ना जाने क्या क्या ? क्या फायेदा हुआ देश में पढाई का जब आप वैज्ञानिक बातें नहीं समझ रहे बेचारे हंगूली जी का क्या दोष , गरुण खेज गाल का क्या दोष ? तो आज से किसी पर भी कीचड़ उछालना बंद क्योकि बेचारे जिनके अंदर ५०-५०% वाले सामान गुण है वो क्या क्या खाक  दूसरो के साथ ? जी जी मेरे कहने का मतलब आप बिलकुल सही समझ रहे है जिनमे बराबर बराबर गुण है उनको तो इस दुनिया ने सिर्फ ताली पीटने से ज्यादा  समझा ही नहीं , कम से कम जिनमे सामान गुण नहीं है उनके कारण आपको तेल मिर्च लगा कर कुछ कहने सुनने का मौका तो मिल जाता है और तली तो आप पीट ही लेते है ? तो क्या अब भी आपको समझाना पड़ेगा कि देश में न्याय और पुलिस का सहारा लेकर जो दंगा काटा जा रहा है वो तो एक असाधारण लक्षण है और जो साधारण नहीं है वही तो समाज में कुछ करता है | तो देर किस बात की ऐसे सभी लोगो को ढूंढ कर सम्मानित कीजिये ( नहीं नहीं चप्पल जूता मैं नहीं कह सकता ) पर आप क्या बताएँगे कि जब ५१% प्रतिशत मत या बहुमत पाकर कोई नेता प्रधानमंत्री बन जाता है तो ५१% गुणो  को लेकर लड़का लड़की का और लड़की लड़के के जीवन में बहुमत क्यों नहीं प्राप्त कर पाता?इसको सिर्फ व्यंग्य समझ कर पढ़ा जाये )

Thursday, 5 December 2013

कीचड़ होगा तो कमल दिखेगा ही ?

देश में कीचड़ ! या कीचड़ में कमल
अब आपको विश्वास नहीं हो रहा है तो क्या किया जा सकता है पर यह तो मानते हैं ना कि कीचड़ में ही कमल होता है और देखिये न पूरे देश में कैसे कमल खिल रहा है ...तो क्या देश में अब तक जो हुआ वह सब कीचड़ सा है ? पता नहीं पर जब खिल कमल ही रहा है तो विधि और न्याय तो यही कहता है कि गवाहों की सुनो और गवाही इसी बात की है कि देश में कमल कीचड़ के कारण ही हर तरफ दिखाइए दे रहा है | वैसे कमल पर ही सृष्टि के पालन कर्ता विष्णु ने अपनी नाभि पर सृष्टि कर्ता ब्रह्मा को उतपन्न किया था और अब तो आपको मानना ही पड़ेगा कि कमल में ही वो ताकत है जो सृष्टि कर्ता को भी धारण कर सके | ऐसे में अब आप क्या नहीं मानते कि दुनिया को चलाने का काम कमल ही कर पायेगा ! अरे मैं तो आपसे यह बताना भूल ही गया कि कमल का फूल शंकर जी को भी प्रिय है शिव रात्रि पर खूब कमल चढ़ाये जाते है उन पर तो क्या समझे आप ? कमल शंकर यानि संहार कर्ता को भी पसंद है | तो क्या कमल का दिखाइये देना शंकर के प्रसन्न होने का सूचक है ? क्या कीचड़ से लिप्त समाज को साफ़ करने के लिए तांडव होने जा रहा है लेकिन तांडव तो करेंगे आप ही ना ! भोले भंडारी भक्तो के लिए क्या नहीं करते ? तो कर डालिये तांडव और सजा दीजिये कमल से कमला सन | अब ये ना पूछियेगा कि कमलासन कहा पर है दिल्ली का नाम मैं नहीं बता पाउँगा ( व्यंग्य ही समझ कर पढ़िए )

Wednesday, 4 December 2013

क्यों पढ़े ????????///नेता ना बने !!!!!!!!!!!!!!!!

बेरोजगारी का इलाज़ नेतागिरी !!!!!!!
आप मानिये चाहे न मानिये जितना समय आप रोजगार समाचार या फुटपाथ पर बिक रहे रोजगार के फॉर्म को भरने में लगते है .............और जितने साल तैयारी में लगते है उतने समय में तो कोई रग्घू .........देश का नेता बन जाता है ................जितनी तनख्वाह आप नौकरी में कमाते है उतनी तो वो किसी नेता के साथ जुड़ कर रोज अपनी जेब में भर लेता है ..........जब आप एक ट्रैफिक पुलिस वाले के सामने मिमयाते रहते है तो उतनी समय में वह ट्रैफिक पुलिस वाले से अपने लिए सलाम ठोकवाता है .....नौकरी पाये भी तो २० -या ३० साल के लिए उसके बाद मिल गए मिटटी में ..............और रग्घू अमर हो जाता है बिना पढ़े लिखे ..उसकी मूर्ति लगती है ...........किताबो में नाम छाप जाता है ..........तो नाम और जीवन किसका सार्थक !!!!!!!!!!!!!!!!!!! अब समझ गए ना कि नेता इस देश में हर कोई क्यों बन रहा है ..................तो आप भी जुट जाइये ..वो देखिये एक नेता जी कार से उतर रहे है आप अपना हाथ जमीन पर रख दीजिये ...........फिर देखिये आपके सितारे कितनी बुलंदियों तक जाते है ......आपको अपने बाबा दादा का नाम नहीं पता पर नेता जी के खानदान का पूरा पता होगा !!!!!!!!!!!!!!!!!! तो हैं न नुस्खा बढ़िया ..................पढ़ाई से बेहतर  है सब लोग बस नेता नेता खेलिए ................क्या मेरे इस सुझाव से आपको उलटी आ रही है ??????????? माफ़ कीजियेगा मैं तो भूल ही गया था अंग्रेजो की गुलामी के बाद आपको अपने रास्ते बनाने की आदत ही नहीं रही ........आप तो सिर्फ किसी तरह जीवन काटने आये है !!!!!!!!!!!!!!! आये हैं ना !!!!!!!!!!!!!!!

Tuesday, 3 December 2013

फूल !!!!!!!!!!!!!!!!!!! सुलभ शौचालय वाले

फूल ????????????? ले लो फूल फूल शौचालय का !!!!!!!!!!!!!!!!!!
हा हा फुल लीजिये मुहं .क्योकि फूल वोभी शौचालय का !!!!!!!!!!!!!!!! फूल कोई गंदगी वाली चीज़  थोड़ी ना है !!!!!!!!!!! फूल तो सेज़ पर सजने के लिए होते है ...............पर लायेंगे तो सुलभ शौचालय से ही ना !!!!!!!!!!!!!!!!! चलिए सेज़ के लिए ना सही किसी की अंतिम यात्रा पर ही सही .................तो लाना तो पड़ेगा सुलभ शौचालय से ही ना ????????? मुझे ऐसे घूर कर क्यों देख रहे है ???/अच्छा मैं आपको पागल लग रहा होउंगा !!!!!!!!!!!!! हा हा मैं क्या कोई भी पागल जैसा ही लगेगा .क्या आप अपने प्रेम के प्रदर्शन के लिए एक बढ़िया गुलाब डंडी वाला चाहते है !!!!!!!!!!!!!!!!! तो समस्या क्या है ले लीजिये .......सुलभ शौचालय से .................अरे भाई साहब ये आप की डलिया से फूल गिर गया है शायद आप पूजा के लिए जा रहे है ???????????????? एक बड़े ही पढ़े लिखे से दिखायी देने वाले साहब बोले जा तो पूजा के लिए ही रहा हूँ और फूल मैंने भी गिरते देखा ..पर आप पूरे पागल लगते है कही गिरे फूल से पूजा होती है !!!!!!!!!!!!!!!!!! जी जी माफ़ कीजियेगा ..पर आप दूसरा फूल सुबलभ शौचालय से ले लीजिये ...क्याआआआआआआआआ  आप सर फिरे है क्या ..........आप को मालूम है आप क्या कह रहे है ..........आपको पता है शुलभ शौचालय का क्या मतलब है ???????????? जी जी मैं तो जानता हूँ ................मैं जानता हूँ वह भी आपके लिए ?????????? वैसे आप तो छुआ छूत, भेद भाव इन सब से दूर है कि फूल कहा बिक रहा हैं इससे आपको क्या मतलब ......दे तो दुनिया वाले बेवजह आपको बदनाम कर रहे है कि आप ऊच नीच मानते है ..................अब उनको भला कौन बताये कि जो व्यक्ति शुलभ शौचालय कि दीवार से सटे फूलो को पवित्र मान कर हर कार्य कर लेता हो वो भला क्या कोई दुराव की भावना रखेगा .......और आप कोई अंधे तो है नहीं जो आपको दिखायी नहीं देता .बहुत नाथ लखनऊ में कितनी लाइट जलती है हर समय ...............और ठीक शुलभ शौचालय के सामने दीवार से लगे फूल बिकते है ...........और मैं दिमाग से संकीर्ण हूँ आप जानते है कि सब कुछ गॉड का बनाया है तो परहेज़ कैसा ?????????????? इसी लिए तो कैसर बाग़ में भी फूल शुलभ शौचालय के सामने बिकते है !!!!!!!!!!!!!!!!!!! ओह हो आप तो इसलिए वहा से ही फूल खरीदते है क्योकि फूल खुशबु जो बिखेरते है और बदबू से आपको नफरत है !!!!!!!!!!!!!!!!!! अरे बहनजी देखिएगा कही ये फूल शुलभ शौचालय वाला तो नहीं ..................आखिर प्रेम का मामला है और प्रेम की शुरुवात शुलभ .......................................कृपया व्यंग्य समझ कर पढ़े )

Monday, 2 December 2013

नाबालिग ?????????????????????????????????

नाबालिग कौन ??????????????????
ये भी कोई प्रश्न है पूछने का !!!!!!!!!!!!! इस देश क्या दुनिया  में कोई नाबालिग बचा भी है !!!!!!!!!!!!!!! चाइल्ड इस द फादर ऑफ़ मैन .....................जब बच्चा आदमी का भी बाप है तो क्या बचा उसे जानने से जो आप अब चिल्ला रहे है कि नाबालिग कौन ...............नाबालिग होंगे आप ........बच्चा तो आप का बाप ही बन कर रहेगा !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! पर आप कैसे मान लेंगे क्योकि कहते कुछ है और करते कुछ है आप तो कहानी सुनाएंगे अभिमन्यु की और जब टी . वी के तमाम चैनल का स्वाद लेने के बाद एक रोमांटिक बच्चा .....क्षमा क्षमा अभिमन्यु आपके घर पैदा होता है और संस्कृति के सारे दरवाजे तोड़ डालता है तो आप उसमे नाबालिग तलाशते है ...................वैसे आप ही तो बताते है कि बच्चे तो भगवान की मूरत होते है ............अब जब खुद भगवान के सामने सर फोड़ते है , रोते है भीख मांगते है तब तो मान लेते है कि भगवान अंतर्यामी है सर्वज्ञानी है ...............पर बच्चा कैसे सब जान गया !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! अरे भैया जब वो भगवान क़ी मूरत है तो सब तो जानेगा ही ................तो इतना  हाय तौबा क्यों ...............और ऐसे में उसको नाबालिग कहना आपकी ही बातों को झूठा करती है ...और आप ये कैसे मान ले ......................चलाइये आप तो परशुराम के देश के है कैसे मान लेंगे मेरी बात ..........एक बात बताइये ........आप अंग्रेजी में उम्र के बार में क्या पूछते है ????????????? हाउ ओल्ड ऑर यू ??????????? और जवाब आता है आई एम नाइन इयर ओल्ड ............जब आप खुद उसको ओल्ड मानते है तोफिर ओल्ड के ओल्ड वाली ही बात होंगी ना .................पर आप ने तो बुढ़ापे तक कहने क़ी हिम्मत नहीं क़ी ..............आई लव यू !!!!!!!!!!!!!!!!! तो भला छटक भर का बच्चा ???????????? ओल्ड ???????????? भगवान कैसे कह सकता है आखिर संस्कृति का मामला है !!!!!!!!!!!!!!!!!!!! ये बात गलत नहीं हो जायेगी ......जस जाइके महतारी बाप तस ताइके लड़का ....................वैसे जब आप ऐसे थे नहीं तो आप के बच्चे ऐसे कैसे ?????????? क्या यह मुहावरा झूठा है या फिर अभिमन्यु क़ी कहानी सच है .....या कबीर क़ी यह बात ..................तू कहता कागद क़ी लेखी मैन कहता आखन क़ी देखि ................क्या आप बालिग ???? बच्चा नाबालिग उम्र में वो देख रहा है जो उसे पूरे जीवन अपने अंदर माँ पिता बनने के गुणो से भर कर उन्मादित रखती है ...................वैसे आज नाबालिग है ही कौन ...................टी. वी के एक ऐड में एक बच्ची कहती अपने माँ बाप से कि वो इस साल उनके साथ वह नहीं जायेगी जहाँ उनके माँ पिता ने अपना हनी मून मनाया था ...............क्या आप भी जानते थे बच्ची की उम्र में हनी मून ...............या मधुमक्खी के छत्ते  को ही निहारते रह गए .....कि कब शहद निकलेगा ???????????????? तो मान लीजिये ना कि नाबालिग अब कोई नहीं .और यह तो  हमारे देश के भविष्य है ..........क्या आपने सुना नहीं कि देश के नेता कहते है कि सबसे ज्यादा बालिग ( नौजवान ) हमारे देश में है !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! समझ गए ना कि वो बालिग कौन है ?????????????????? (व्यंग्य समझ कर पढ़िए )