Friday, 6 December 2013

इसमें बहुमत क्यों नहीं ?

गुणो में बहुमत क्यों नहीं ??

अनुवांशिकी का सिद्धांत यह कहता है कि मनुष्य को बनाने के लिए आवश्यक  ४६ गुणसूत्रों में २३ गुणसूत्र स्त्री से और २३ पुरुष से मिलते है | यानि पृथ्वी पर पाया जाने वाला हर नर और नारी में ५० - ५० % गुण दोनों के होते है | मतलब साफ़ है जैसे किसी चुनाव में वही विजयी होता है जिसको ५१% वोट मिले या संसद में वही पार्टी का प्रधानमंत्री  होता है जो ५१% बहुमत साबित करे यानि अब आपको बताने कि जरुरत नहीं कि आप के अंदर जो भी गुण ५०% से ज्यादा यानि ५१% प्रतिशत हो जाते है आप उनका ही प्रदर्शन करते है अब अगर पुरुष में स्त्री के गुण ज्यादा होकर ५१% प्रतिशत हो गए तो वह स्त्री की तरफ ही भागेगा और आप कहेंगे कि महिला सुरक्षित नहीं | अब चिल्लाइए नहीं मैं कोई नयी बात नहीं कह रहा रही बात महिला की तो अगर उसमे पुरुष के गुण ५१% प्रतिशत हो गए तो वह पुरुष के साथ ही दिखायी ज्यादा देगी और आप उसको व्यभिचारणी , कुलटा और चरित्र .... और ना जाने क्या क्या ? क्या फायेदा हुआ देश में पढाई का जब आप वैज्ञानिक बातें नहीं समझ रहे बेचारे हंगूली जी का क्या दोष , गरुण खेज गाल का क्या दोष ? तो आज से किसी पर भी कीचड़ उछालना बंद क्योकि बेचारे जिनके अंदर ५०-५०% वाले सामान गुण है वो क्या क्या खाक  दूसरो के साथ ? जी जी मेरे कहने का मतलब आप बिलकुल सही समझ रहे है जिनमे बराबर बराबर गुण है उनको तो इस दुनिया ने सिर्फ ताली पीटने से ज्यादा  समझा ही नहीं , कम से कम जिनमे सामान गुण नहीं है उनके कारण आपको तेल मिर्च लगा कर कुछ कहने सुनने का मौका तो मिल जाता है और तली तो आप पीट ही लेते है ? तो क्या अब भी आपको समझाना पड़ेगा कि देश में न्याय और पुलिस का सहारा लेकर जो दंगा काटा जा रहा है वो तो एक असाधारण लक्षण है और जो साधारण नहीं है वही तो समाज में कुछ करता है | तो देर किस बात की ऐसे सभी लोगो को ढूंढ कर सम्मानित कीजिये ( नहीं नहीं चप्पल जूता मैं नहीं कह सकता ) पर आप क्या बताएँगे कि जब ५१% प्रतिशत मत या बहुमत पाकर कोई नेता प्रधानमंत्री बन जाता है तो ५१% गुणो  को लेकर लड़का लड़की का और लड़की लड़के के जीवन में बहुमत क्यों नहीं प्राप्त कर पाता?इसको सिर्फ व्यंग्य समझ कर पढ़ा जाये )

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