Thursday, 5 December 2013

कीचड़ होगा तो कमल दिखेगा ही ?

देश में कीचड़ ! या कीचड़ में कमल
अब आपको विश्वास नहीं हो रहा है तो क्या किया जा सकता है पर यह तो मानते हैं ना कि कीचड़ में ही कमल होता है और देखिये न पूरे देश में कैसे कमल खिल रहा है ...तो क्या देश में अब तक जो हुआ वह सब कीचड़ सा है ? पता नहीं पर जब खिल कमल ही रहा है तो विधि और न्याय तो यही कहता है कि गवाहों की सुनो और गवाही इसी बात की है कि देश में कमल कीचड़ के कारण ही हर तरफ दिखाइए दे रहा है | वैसे कमल पर ही सृष्टि के पालन कर्ता विष्णु ने अपनी नाभि पर सृष्टि कर्ता ब्रह्मा को उतपन्न किया था और अब तो आपको मानना ही पड़ेगा कि कमल में ही वो ताकत है जो सृष्टि कर्ता को भी धारण कर सके | ऐसे में अब आप क्या नहीं मानते कि दुनिया को चलाने का काम कमल ही कर पायेगा ! अरे मैं तो आपसे यह बताना भूल ही गया कि कमल का फूल शंकर जी को भी प्रिय है शिव रात्रि पर खूब कमल चढ़ाये जाते है उन पर तो क्या समझे आप ? कमल शंकर यानि संहार कर्ता को भी पसंद है | तो क्या कमल का दिखाइये देना शंकर के प्रसन्न होने का सूचक है ? क्या कीचड़ से लिप्त समाज को साफ़ करने के लिए तांडव होने जा रहा है लेकिन तांडव तो करेंगे आप ही ना ! भोले भंडारी भक्तो के लिए क्या नहीं करते ? तो कर डालिये तांडव और सजा दीजिये कमल से कमला सन | अब ये ना पूछियेगा कि कमलासन कहा पर है दिल्ली का नाम मैं नहीं बता पाउँगा ( व्यंग्य ही समझ कर पढ़िए )

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