Monday, 16 December 2013

निर्भया या निर्भय

निर्भया से निर्भय तक .........
कितनी ख़ुशी की बात है कि आज के दिन सेना वाले विजय दिवस मानते है और हम आप इस बात पर ख़ुशी मानते कि देश की बहादुर बेटी का दर्ज़ा पाने के लिए देश के सपूतों ( कपूत भला कैसे कह सकता हूँ आखिर भारत माँ का सर नीचा नहीं हो जायेगा ) से अपने शरीर को चील कौवो की तरह नोचवा कर बहन के लिए दौड़ने वाले उच्च आदर्शो वाले देश में एक लड़की नग्न पड़ी रही, वो तो भला हो देश की हिंदी पिक्चरों का जिनके कारण पूरी पिक्चर के बाद जैसे पुलिस आती है वैसे देश की जनता ने निर्भया के प्राण टूटने तक उसका साथ दिया और उसको बहादुर बेटी बना दिया | अब ये आप पर है कि आप सोचे कि इस तरह बहादुर बेटी कहलाने के लिए आप कितनी तैयार है | और इस बढ़िया उपहार हम निर्भया को और क्या दे सकता है कि अगर वो निर्भया बनी तो हम निर्भय बन गए | जी जी बिलकुल सही आप समझ रहे है आखिर आप अगर निर्भय ना हुए होते तो दिल्ली में लगभग ७०० बलात्कार हुए थे २०१२ में और २०१३ में करीब १४०० हो चुके है तो इस बढ़िया और क्या श्रद्धांजलि हो सकती है आखिर हम उस देश के वासी है जिस देश में गंगा ( उसको मैली करके ही दम लिया ) बहती है और तो और ये देश है वीर जवानो का मतवालो  का और फिर मतवाले लोग से उम्मीद क्या करेंगे कि ७०० से कम बलात्कार होते ? हम सर कटा सकते है लेकिन सर झुका सकते नहीं | देश के सम्मान का मामला है और हम कैसे पीछे रह जाते इस मामले में कि १४०० बलात्कार नहीं कर पाये ? अगर उस बहादुर बेटी को निर्भया कहा गया तो आप को कैसे सहन होता आप भी १४०० का बलात्कार करके निर्भय बन गए | आखिर अब लड़का लड़की में कोई भेद तो है नहीं और न ही कोई भेद किया जा सकता है | गर वो निर्भया बनी तो हम क्यों नही निर्भय ? (व्यंग्य समझ कर ही इसे पढ़िए )

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