Thursday, 19 December 2013

ये रिश्ता क्या कहलाता है ?

क्या रिश्ता मर गया ?
आखिर लड़का नहीं पैदा होगा तो नाम लेने वाला कौन होगा और पितृ ऋण से आप कैसे मुक्त होंगे ? बिलकुल इसी लिए तो भाई साहब फुले नहीं समा रहे थे और फूल कर कुप्पा क्यों ना हो आखिर दो दो बेटे के बाप जो ठहरे ! और फिर तो ऐठ पर ऐठ क्योकि दोनों लड़के पढ़ लिख कर अमेरिका जो चले गए | लीजिये भगवान ने भी परीक्षा ले डाली और माँ की मृत्यु हो गयी अब क्या था पिता जी हो गए अकेले और पिता के जिन्दा रहते बेटो के सर पर पितृ ऋण चुकाने का मौका | पिता ने कहा कि मैं अमेरिका आ जाता हूँ पर ये क्या पिता जी को नरक का मजा तो यही मिल गया | बेटो ने साफ़ कह दिया कि वो पिता को अपने साथ अमेरिका में नहीं रख सकते | वह क्या बच्चे है ऊपर से सलाह ये कि मकान बेच कर जो पैसा मिले उससे वृद्धा आश्रम में जाकर रहिये | भला इसी से तो पता चलता है कि मात पिता गुरु नवहि माथा ....पिता तो आकाश है वही तो हिमालय है और लगता भी यही है तभी तो हिमालय को उसके बेटे ही आश्रय देने को तैयार नहीं है | पर हिमालय ने कहा वो किसी से कम नहीं है और पिता ने एक विधवा के नाम अपना घर लिख कर उससे फिर शादी कर ली | अब आप बताइये कि आपका लड़का कब अमेरिका कब जा रहा है और लड़का होने पर आपका सीना तो फूला ही होगा ! मेरी कसारी बात कोरी लग रही होगी क्योकि ऐसा आपके बेटे थोड़ी ना करेंगे खैर मुझे कोई परेशानी नहीं और आप भी ना होइए आज कल वृद्धा आश्रम का धंधा फल फूल रहा है | तो डर किस बात का ? वैसे काशी और वृंदावन से कोई न कोई तो मिल ही जायेगा | क्या आप काशी जा रहे है ? अरे ऐठ क्यों रहे है मुझे मालूम है आप भी लड़के के पिता है !!( व्यंग्य समझ कर ही पढ़िए )

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