Thursday, 12 December 2013

औरत कितनी तरह की, देश में बात जिरह की .....
मानवशास्त्र एक ऐसा विषय जो आपको आनुवंशिक भूत , वर्तमान और भविष्य बताता है और उसी ने बताया कि हम सब पूरी दुनिया में एक ही माँ की संतान है और ऐसा सम्भव हो सका डी एन  ए ( एक तरह का आनुवंशिक पदार्थ जो शरीर के निर्माण में जरुरी है ) की समानता के कारण तो अब तो मान लीजिये की हम सब एक ही माँ लूसी ( पहला पूरा मादा का कंकाल करीब २३ लाख साल पुराना ) की संतान है लेकिन नहीं भारत में अम्मा अलग अलग है ..........पप्पू की अम्मा अलग तरीके से बच्चे की जनती है , रघ्घू की अम्मा अलग , ताहिर की अलग और जेम्स की अलग | मुझे मालूम है कि अम्मा के लिए आप भला कहा कुछ सुन पाते है कहिये तो अभी आप मेरी जान ले ले आखिर मैं ना जाने क्या कह रहा हूँ या कहना चाहता हूँ और आप ठहरे मात्र भक्त वो बार अलग है कि आप इतने बीजी थे कि अम्मा का बटवारा हो गया और वो भी बेचारे मात्र भक्त क्या करें जिनकी अपनी बीवी के आगे नहीं चली तो अलग घर लेकर रहने लगे या फिर माँ ओ वृद्धा आश्रम  में डाल दिया लेकिन आप तो मुझसे यह जान कर ही छोड़िये कि मैंने ये कैसे कहा कि इस देश में माँ अलग अलग तरीके से बच्चे जनती है ? मेरी क्या औकात  इतने मात्र भक्तो के आगे ! मैं यह कह रहा था कि सरकार का मानना  है कि जो उसके लिए काम महिलाये करती है और सरकारी कर्मचारी का बिल्ला लगाये है उनको बच्चे को जन्म देने में सबसे ज्यादा कष्ट होता है आखिर लाल बत्ती लगा कर चलने वालो की तरह इन औरतो का भी तो कुछ जलवा होना चाहिए तो इनको पूरे वेतन के साथ १८० दिन का अवकाश मिलना चाहिए और मिलता है लेकिन अगर आप कारखाना या फैक्टरी में काम करने वाली माहि ला है तो होंगी महिला , इस देश में आप का स्तर थोडा नीचे है और आप को बच्चे को जन्म देने में उतना कष्ट नहीं होता है जितना सरकारी नौकरी करने वाली महिला को होता है तो आपको प्रसूति लाभ अवकाश मिलेगा ८४ दिन का सिर्फ | और भूल से अगर आप किसी प्राइवेट यूनिवर्सिटी में काम कर रही है तो आप जनती है कि प्राइवेट काम में कितना कचूमर निकल लेते है और फिर तो आप हुई ना बहादुर महिला और इसी लिए आपको बच्चे के जन्म में कष्ट क्या होता है ! नहीं न पर माँ का मामला है तो लीजिये आपको छुट्टी दी ४५ दिन की| अब बात कर लीजिये प्राइवेट ऑफिस की तो कोई उन्होंने सेवा आश्रम तो खोल नहीं रखा है और ना ही खैरात चलते है वो बाज़ार में बैठे ही है कमाने के लिए कोई आप ने उनसे पूछा तो नहीं ना की माँ बनूँ या न बनूँ  तो भला उनको आपके माँ बनने से क्या फायेदा अलबत्ता नुकसान अलग से है तो लीजिये कोई अमानवीय ना कह दे तो १५ दिन की छुट्टी  ले लीजिये | अरे हां याद आया अगर आप भूल से मॉडल या अभिनेत्री बनना चाहती है तो कॉन्ट्रैक्ट में यह भी लिखा होगा की आप काम के दौरान माँ नहीं बन सकती क्योकि आपका फिगर और ऊपर से काम का नुकसान ? न बाबा ना पर इस देश में सभी औरत काम तो करती नहीं हमारे देश में मनरेगा के नाम पर १०० दिन की दिहाड़ी का पैसा देने के लिए पैसा है पर एक घर और गॉव में रहने वाली महिला के माँ बनने पर १०० सरकार उसको आराम देने से रही क्योड़े उसको १०० के बराबर दिहाड़ी किसने कहा था कि देश की जनसँख्या को बढ़ाओ | एक तो देश की अर्थ व्यवस्था का नुकसान ऊपर से बच्चा पैड अकरने के बदले में १०० दिन का पैसा ! लीजिये अखिल भारतीय अधिकार संगठन के पेट में ज्यादा दर्द हो रहा है तो कर दिया जननी सुरक्षा योजना पर इस १४०० या १५०० रुपये में होगा क्या ? क्या ५० रुपये रोज एक महीने के लिए काफी है ? माँ का दूध क्या ऑक्सीटोसिन  के इंजेक्शन से निकलेगा और फिर आप कहेंगे माँ अपने बच्चो को दूध नही पिलाती है | अब भी क्या कुछ बचा नंगे होने में देख लिया ना की इस देश में कितने तरीके की माँ होती है और बात करते है की हम सब एक ही माँ की संतान है झूठ झूठ झूठ , लूसी लूसी मेरी आदिम अम्मा कहा हो बताओ ना कि मानव शास्त्री झूठ बोलते है , इस देश में अम्मा की ना जाने कितनी प्रजातिया है ? आखिर हम ही तो अम्मा के विक्रेता , अमम ले लो अम्मा , १९४७ वाली अभी भी जिन्दा है एक अम्मा और ले लो ! शायद मैं ही झूठा हूँ आप सब सही है क्योकि इस देश में अम्मा की कलम बना बना कर पूरे दुनिया में अम्मा का बाग लगाने का ठेका जो आपने  ले रखा है | वैसे क्या आप अम्मा बनने पर सबको कष्ट अलग अलग होता है ? होता है , होता है , कोई इस देश के लोग पागल थोड़ी ना है जो अलग अलग छुट्टी देते है ?  तो मान लिया ना कि अम्मा की भी प्रजाति होती है , अम्मा बन लो अम्मा वैसे आप किस श्रेणी ?????????(व्यंग्य समझ कर पढ़िए )

1 comment:


  1. गजब प्रस्तुति-
    आभार आपका-

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