Monday, 9 December 2013

महिला वामांगी क्यों है ??

औरत वामांगी क्यों ?
अक्सर आधी दुनिया अपने अधिकारो के लिए चिल्लाती हुई दिखायी देती है | वह बड़ी खुश होती है कि पुरुष से वह धर्म , अर्थ काम ( सेक्स ) में आगे है पर मोक्ष उसको पुरुष दिलाता है | अरे भाई यह मैं नहीं कह रहा हूँ विवाह के मान्य तथ्य बता रहा हूँ | ऊपर से तुर्रा यह कि पत्नी वामांगी होती है | वैसे भी बाया हाथ किस काम आता है बताने की जरूरत नहीं यानि पत्नी सिर्फ सफाई की प्रतीक बन कर ही रहती है पति के जीवन में | अब आप कहेंगे बायीं तरफ तो दिल भी होता है | हा भाई हा होता है पर दिल बायीं तरफ नहीं नहीं बायीं तरफ थोडा ज्यादा होता है यानि पत्नी सिर्फ रक्त संचरण की तरह दिन रात पति के जीवन को गतिशील बनाये रहे|  लीजिये आप तो बाल की खाल निकलने लगे मन ही कापी में हाशिया भी बाये तरफ होता है पर वह सिर्फ किसी रफ कार्य या प्रश्न उत्तर को बताने लिए उपयुक्त होता है कौन देखता है की हाशिये पर क्या लिखा है सभी को पन्ना पढ़ने की आदत है | तो क्या यह भी बताना पड़ेगा की औरत हमेशा से ही समाज में हाशिये पर रही है |हा तो मैं कह रहा था कि पत्नी रूप में वामांगी कहलाने का मतलब क्या है | अगर स्त्री पुरुष दोनों पूर्ण होते तो एक एक होते अब चाहे किसी भी तरफ एक लिखिए दिखायी एक ही देगा पर औरत को कब आपने अपने समकक्ष माना है ? उसे तो आप जीरो समझते है और खुद को एक | अब यदि यही जीरो एक के देने तरफ लगता है तो एक का मान बढ़ जाता है और वह एक से दस , सौ , एक हज़ार बन जाता है पर यही जीरो जब एक के बायीं तरफ लिखा जाता है तो एक का मान  स्थिर रहता है  यानि पुरुष को पसंद ही नहीं कि उसका मान औरत के कारण बढे \ अब तो समझ में आ गया ना कि औरत यानि पत्नी को वामांगी क्यों कहा जाता है और औरत के मूल्य को जीरो क्यों समझा जाता है अब आप कहेंगे कि औरत के कारण ही तो पुरुष का मान बढ़ता है पर पुरुष ने उन महिला को अपने दाये तरफ रखा है जैसे माँ | वह माँ को उच्च दर्ज दे सकता है पर मानता उसको भी जीरो ही है | मेरी बात पर विश्वास न हो तो बताइये कैसे कहते है औरत के अक्ल घुटनो में होती है | और खुद में झांक कर देखिये माँ के पैर तो छू लेंगे पर माँ की बात कैसे मान ले आखिर वह जीरो की स्थिति में है | माँ की बात करके पुरुष महँ बन जाता है जैसे भारत माँ की बात करके हम देश भक्त , सपूत बन जाते है पर माँ के आँचल , तक को हम बचने के इक्छुक नहीं है | खैर अब आप समझ गए होंगे की पत्नी को वामांगी क्यों मानते है | आप अपने बाये चाहे जितने जीरो ( महिला) लगा ले पर आप अपना वर्चस्व उसके ऊपर बनाये रखते है | तो अब तो नहीं कहेंगे ना की औरत को वामांगी क्यों कहते है ये पता नहीं ? काश औरत जान पति पुरुषो का यह अंको का खेल ! कितने अंकगणितए तरीके से उसने औरत ( पत्नी , प्रेमिका ) को अपने बाये जगह देकर उसकी सामाजिक स्थिति को जीरो जैसा बना दिया | खुद पुरुष बन कर समाज में पहचान बनाता रहा और औरत चार दीवारी में खो गयी | इस तरह आप लोग मुझे ना देखिये मैंने तो वही कहा जो सच ( झूठ ) है आगे आपकी मर्जी वैसे भी आप ने सच बोलने वाले को जीने ही कहा दिया है चाहे हरीश चन्द्र हो या युधिष्ठिर | क्या आपको भी वामांगी की तलाश है यानि जीरो बैलेंस पर जीवन को आपके सवारने वाली ......( इसे व्यंग्य समझ कर पढ़िए )

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