Tuesday, 27 January 2015

नरेंद्र मोदी बुद्धिमान है

नरेंद्र मोदी जी एक बुद्धिमान प्रधान मंत्री है ....
इस देश में हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई का दौर इतना नही रहा जितना पार्टी का हो गया है तो बहुत लोगो को लगेगा कि मैं चाटुकार हूँ खैर कमल मुझे हमेशा अच्छा लगा है क्योकि लक्ष्मी उसी पर बैठती है | खैर आइये सुनिए मजे की बात एक मित्र ने मुझसे कहा कि ये भी कोई बात है कि जिस देश में हर दिन छेड़ छाड़ और बलात्कार कि घटना घट रही हो और निर्भया कांड के बाद सरकार ने सार्वजनिक स्थानो पर कैमरे लगाने की बात  की थी पर ऐसा कुछ नही किया गया और ओबामा के आने पर १५०० कैमरे लगाये गए | ये है असली भारत का चेहरा और गुलामी की दास्ताँ ...अब हम कैसे कहे कि हम लोग जैसे यही चाहते है कि सबसे पहले किसी में गलती किसने ढूंढी प्रतियोगिता के विजेता हम ही बन कर रहे ( जनसँख्या ज्यादा  होने के कारण कीड़े मकोड़े की तरह जीने के कारण हम अपने को अच्छी ????? बातों से प्रकाश में  लाने पर अब विश्वास नही करते) नरेंद्र मोदी को पता है कि गुलामी में वर्षो तक रहने के कारण ( जी जी मैं भी ) अब जब तक हमको कहा ना जाये हम कोई काम तो करते नहीं और कोई लड़की ख़त्म तो हुई नहीं जा रही है जो निर्भया के बाद कोई अफरा तफरी मच जाये | अब काम तो कराना ही है बस मोदी जी ने निकाल लिया  देश की लड़की को दिल्ली में बचाने के लिए अमेरिका का जिन्न बराक ओबामा और लीजिये लग गए १५०० कैमरे !!!!!!!!! क्या मिला ओबामा को वो तो चले गए ना कैमरे कहा रह गए दिल्ली में !!!!!!! किसके लिए देश की लड़कियों के लिए तो मानते है ना कि नरेंद्र मोदी को पता है कि कैसे आम के साथ गुठलियों के भी दाम मिल सकते है पर आप क्यों मानने लगे आखिर वो देश के प्रधानमंत्री है पर आपकी पार्टी के तो नहीं | अपना अँधा लढा भी नयन सुख और दूसरे का !!!!!!!! वैसे मौका अच्छा है लड़िकियों कि सुरक्षा  के लिए कैमरे आपको अगर अपने शहर में  लगवाने हो तो बस बुला लीजिये किसी विदेशी को और आने से पहले दिलवा दीजिये धमकी खतरे की बस देखिये आपका भी शहर महफूज हो जायेगा ( कम से कम लड़कियों में तो आत्मविश्वास जागेगा ही कि चलो अब कैमरे लगे है तो कुछ कम होगा ) वैसे क्या आपकी कोई दुश्मनी है नरेंद्र मोदी से जो आप उल्टा बोलते है ?????अच्छा अच्छा आपको शुगर और ब्लड प्रेशर है और डॉ ने कहा है कि अपनी कैलोरी को मेन्टेन कीजिये \ वह वह क्या बात है नरेबदृ मोदी को आप आरोप लगा कर अपने स्वास्थ्य को ठीक रखते है !!!!!!!! जय जय हो नरेंद्र जी आपकी लीला अपरम्पार है आप देश वासियों का कितना ख्याल रखते है | शरीर एक और काम अनेक !! क्या अभी भी आप नरेंद्र मोदी को बुद्धिमान नहीं मानेंगे ?????? हा हा क्यों मानेंगे पहले जान है फिर जहान आखिर उनके कारण ही तो दिमाग और शरीर को आपके सुकून मिलता है तो कीजिये अपना काम और कहते रहिये कि कैसे आपने मोदी जी को बुद्धिमान कहा ????( व्यंग्य समझ कर पढ़िए ) डॉ अलोक चांटिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Sunday, 25 January 2015

मरने से पहले गाइये राष्ट्र गान

भला क्यों गए ५२ सेकंड में ........व्यंग्य नहीं
 आज का दिन ऐसा है कि मुझे लगता है मैं कितन कुछ आपसे कह डालूं !!! अच्छा बताइये क्यों राष्ट्र गान ५२ सेकंड में गाते है ???? बताइये बताइये आप तो जगद्गुरु है ज्ञान में बताइये क्यों गाते है ??  नहीं जानते ना तो लिहिये दुनिया के इकलौते अक्लमंद से सुनिए ५२ सेकंड का जादू !!!!!!!!! अपने शरीर के बहने वाले खून को जानते है ना और उसमे जो लाल रक्त कणिकाएं होती है जिससे  पूरे शरीर को  भोजन , ऑक्सीजन  मिलती है वो लाल रक्त कनिका खुले में सिर्फ ५२ सेकंड ही जिन्दा रह सकती है | कुछ समझे की नहीं ?????????? आरे बहिया हम ठहरे गगड गुरु तो हमने अपना राष्ट्र गान ऐसा बनाया कि अगर कोई भारतीय मर भी रहा हो तो जब उसके शरीर की लाल रक्त कनिका ५२ सेकंड में मरे तो कम से कम राष्ट्र गान तो पूरा हो जाये | क्या इतना सम्मान है किसी और देश के पास ( सारा तो बस आप ही के यहाँ है )  तो आज तो बन जाइये सिर्फ भारतीय जिसका रक्त हवा में भी ५२ सेकंड में मरने से पहले राष्ट्र गान ५२ सेकंड में गण जनता है ( है ना मस्त व्यंग्य ) डॉ आलोक चांटिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन

भारत का गणतंत्र दिवस और दो छक्के

भारत ने मारा दो छक्का ..............
कभी तो देश के लिए भी सोच लिया करो माना कि क्रिकेट मैच भी चल रहा है और आप उससे बड़ा कुछ नहीं मानते पर आज आप के देश ने दो छक्के मारे है ...वह क्या बात है आप तो जल्दी समझ गए कि मैं देश के ६६ वे  गणतंत्र दिवस की बात कर रहा हूँ  अब आप कहेंगे कि मुझे छक्कों का कुछ ज्यादा तजुर्बा है| आप शायद जानते नही कि मैं जनता हूँ कि छक्के ( जिनके प्रजनन अंगो के ज्ञान न होने पर आम तौर पर उनको हिंजडा कहते है वैसे तो देश में प्राकृतिक रूप से एक लाख बीस हज़ार शिखंडी है ) हमेशा भारत के निर्माण में सहायक रहे है | वो छक्का ही था जिससे सामने खड़ा करके अर्जुन ने भीष्म  पितामह को मारा था | और वो मालिक गफूर भी छक्का ही था जो अलाउद्दीन ख़िलजी का सेना पति था और उसने अपनी सारी लाड़ियां जीती | अब सोचिये कि जब देश दो छक्कों के साथ आगे बढ़ रहा हो तो निश्चित रूप से वो जीतेंगे ही | ( व्यंग्य समझ कर इस सच को स्वीकार कीजिये ) डॉ आलोक चांटिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन 

Saturday, 24 January 2015

देश की औरत हमारी बहन नहीं

हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई .....आपस में सब भाई भाई
मुस्लिम का सबसे पहला आक्रमण ७१२ ईसवीं में हुआ | १४६९ ईसवीं में गऊ नानक का जन्म हुआ और १६०० में ईस्ट इंडिया कंपनी आई मतलब ये स्पष्ट है कि ये नारा १६०० के बाद आया होगा वैसे अगर किसी को पता हो बता दीजियेगा | वैसे जब भाई भाई नहीं समझा तभी ये नारा आया होगा खैर आप अगर मान लेंगे तो लगेगा कैसे की किसी सही बात को आप सुन लेते है | अच्छा आप ये तो मान लेंगे ना कि इस नारे में यही कहा गया ना कि हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई आपस में सब भाई भाई !!!!!!!!!!!!!!!!!! यानि किसी धर्म की महिला आपस में बहन नहीं हो सकती और कहे भी कैसे आखिर सब भाई और सब बहन तो बेचारे वैलेंटाइन डे का क्या होगा ???और कहा भी गया है कि औरत की कोई जाति नहीं होती | मानते है की नहीं सारे देश के पुरुष भाई बन कर औरत को बस जैविक प्राणी समझे और जो मौका पाये ???????????? क्या मैंने कुछ गलत कह दिया ???क्या इस देश में महिला की इज्जत केलिए आप कुछ भी कर सकते है तो क्या ये नारा झूठा है !!!! अरे अब मान भी लीजिये इस देश में औरत सब की बहन नहीं हो सकती !!खैर आप कहेंगे सब भं हो जाएँगी तो भला आप जान ही नहीं पाएंगे कि दूल्हा शब्द क्या होता है और वो औरत है कौन जो दूल्हा शब्द को सार्थक करेगी वो आपको पता नहीं , इस लिए भला औरत को बहन कैसे कह दे ???? और जब बहन कह नहीं सकते तो क्या निर्भया और क्या सुनंदा पुष्कर !!! वैसे आप बताएगा जरूर कि क्यों  हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई .....आपस में सब बहन भाई........... क्यों नहीं ??? जी जी बता ही डालिये कि इस देश की औरते , महिलाये क्या है सब धर्म जाति के लिए ??????? सिर्फ मादा कह दूंगा तो आप मेरी मानसिकता को कह कर क्या साडी देश की महिला को आज से बहन समझने लगेंगे ????????( व्यंग्य समझ कर पढ़िए )
डॉ आलोक चांटिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन

बसंत पंचमी या निराला या माँ शारदा

कितनी निराला है शारदा का जादू ............
कल कई लोगो ने मुझसे कहा कि आप को सुभास बाबू के लिए छुट्टी का ख्याल है पर क्या आज तक किसी महिला के लिए छुट्टी हुई अब उनसे कौन कहता कि छट्टी तो मनुष्य के लिए होती है अब भला देवी के लिए कौन सी छुट्टी होती है | भारत में औरत एक मनुष्य कब रही और अगर औरत नही नहीं देवी को छुट्टी दे दी गयी तो ?????  अक्ल की देवी शारदा ने कोई छुट्टी नहीं ली तब तो देश के नेता समझ नहीं पा रहे कि कब या बोले ?? कभी कहते है कि महिला को कपडे कम पहनने से बलात्कार बढ़ रहा है | कभी कहते है महिला पैसे लेकर वोट खरीदा जाता है पैसा लो और वोट किसी को ना दो अब अगर देवी के नाम पर छुट्टी हो गयी तो क्या होगा फिर आप ही कहेंगे हर डाल पे उल्लू बैठे है अंजाम ए गुलिस्तां क्या होगा  वैसे माँ शारदा की कृपा जिन पर नहीं होती वही एक पर एक फ्री का मजा लेते है यानि आदमी भी और उल्लू भी | ओह हो मैं तो भूल ही गया कि आज तो कर्पूरी ठाकुर जी का जन्म दिन है पर ये सूर्य कांत निराला कौन है इस देश में !!!!!! होंगे कोई औने पौने अगर कुछ होते तो भला सरकार इनको याद क्यों ना करती क्या सरकार के पास अक्ल मतलब माँ शारदा का वरदान नहीं है ( सरकार के पास दिमाग होता तो दिल्ली में एक साल में चुनाव क्यों होते अब हम कोई मनुष्य तो है नहीं हम  तो सामाजिक जानवर है और जिसकी लाठी उसकी भैस पर विश्वास करते है अब हम मिल कर सरकार क्यों बनाये जनता में जाये भाड़ में जब तक वो पूर्ण बहुमत नहीं देगी तो चुनाव पर चुनाव कराते रहेंगे अरे महंगाई बढ़ेगी तो बढे कौन नेता को असर पड़ता है जब तक जनता का कचूमर नहीं निकलेगा तब तक उनकी अक्ल ठिकाने नहीं आएगी अब तो समझ गए होंगे माँ शारदा के छुट्टी पर जाने का खमियाजा कैसे देश को भुगतना पड़ रहा है ) हा तो मैं कह रहा था कि भैया निराला जी होंगे तीस मारखा अपने घर के इस देश में अक्ल का क्या काम .यहा तो अक्ल बड़ी या भैस ( और भैस ही  बड़ी है ,देश के जाति धर्म है अब उनको बड़ा माने या नेता अक्ल का माने कोई एक निराला से तो देश चलने नहीं जा रहा उनसे तो जाति के नाम पर भी फायदा नहीं मिल सकता )...और जब चुनाव में भैस जैसी जाति धर्म ही बड़ी दिखाई दे रही तो भला अक्ल की देवी या निराला के लिए किसके पास फुर्सत और आप तो खुद कहते है भैस के आगे बीन बजाओ भैस खड़ी पगुराय ( जनता के आगे कहते रहिये की कौन अच्छा है किसके पास  बुद्धि है , जनता( भैस ) तो देखती है कौन अपनी जाति का है धर्म का है ) वैसे आप किसी दिन माँ शारदा  को छट्टी देकर देखिये अगर लोग पागल कहकर पागल खाना न भेज दे तो कहियेगा और इसी लिए आप चाहे देवी हो या महिला मनुष्य उसे छुट्टी देना ही नहीं चाहते आखिर आप क्यों चाहेंगे क़ि महिला छुट्टी पर जाये और आप पागल हो जाये | अब तो मान लीजिये क़ि हमारा देश कितना बड़ा जगद्गुरु है क़ि उसने जान लिया क़ि महिला को कभी कोई न छुट्टी दो न इसके नाम पर छुट्टी मनाओ क्योकि खाली दिमाग शैतान का घर और बिन ग्रहणी घर भूत का डेरा ..........क्या अब भी आपको लगता है क़ि महिला के नाम पर छुट्टी होनी चाहिए ??? खैर क्या आज आपने  अक्ल की देवी को नमस्ते किया या आज वो छुट्टी पर थी सी लिए आपको याद नहीं रहा ........माँ शारदा तुमको नमन .निराला है तेरा और शब्द है मेरा ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए ) डॉ आलोक चांटिया ,  अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Friday, 23 January 2015

कौन है सुभाष चन्द्र बोस

सुभाष बाबू ......का जन्मदिन है क्या ??
आज की भगति दौड़ती जिंदगी में लोग शादी तो कर रहे है पर किस तारीख को ऐसी घटना घाटी थी आपके जीवन में वो कितनो को याद है ???? अब अब बताइये नहीं अगर ग्रीटिंग कार्ड वालों ने जन्मदिन का प्रचार न किया होता तो आप जान भी ना पाते कि आपकी गर्ल या बॉय फ्रेंड का जन्मदिन कब है | जन्म दिन हो और आप रात में १२ बजे तक जागते न रहे क्योकि आप वो पहले व्यक्ति है जिसने जन्मदिन मुबारक कहा और कितनी खुश हो जाती है ( माँ बहन के लिए रात में जागने की फुर्सत तो है नहीं पर आप मेरी ये बात मानियेगा नहीं ये कोई बात हुई कि आप हर सच बात को मान ले ) वैसे मुझे याद है कि बचपन में जन्मदिन पर गुलगुला ( आटे और गुड से मिल कर बनता है )  बनता था , मंदिर जाते थे और सत्यनारायण भगवान की कथा होती थी पर ये कोई मानव के प्रगति को दर्शाता है जब तक होटल में पार्टी न हो केक न कटे और गले मिल कर एहसास न हो तो जन्मदिन ही क्या ( पर आप कहियेगा कि सब झूठ खुद करता होगा तभी ज्यादा अनुभव है आखिर हम उस देश में रहते है जहा प्राण जाये पर वचन न जाये ),,,,,,अब आप बताइये आज सुभाष चन्द्र बोस का जन्मदिन कोई भला क्यों याद करें !!!! यही तो वो देश है जहा का दर्शन है अपनी उन्नति करों तो देश की उन्नति खुद ही हो जाएगी
तो जब अपना जन्मदिन मनाएंगे तो सुभाष बाबू का जन्मदिन तो हो ही जायेगा ......दिल से बताइये क्यों इस देश प्रेमी का जन्मदिन कल रात १२ बजे आपको याद आया !!!!!!!!!!  नही आया ना क्यों आये आखिर कौन सा एहसान किया देश के लिए काम करके
और काम गर किया होता तो देश में आज सरकार ने छुट्टी न की होती जो काम करता है उसके लिए इस देश में छुट्टी होती है सच को आंच नहीं क्या नेहरू , गांधी और कर्पूरी ठाकुर के लिए छुट्टी नहीं हुई तो भल सुभाष  बाबू के लिए क्यों नहीं अगर कोई तीर मारा था तो सरकार अंधी तो है नहीं जो उनके लिए छुट्टी न करें | तो जब सरकार मानती है कि सुभाष जी ने कुछ खास नहीं किया तो भला हम क्यों करें और क्यों मनाये उनका जन्मदिन !!! सुभाष बाबू इसी लिए कहा था कि गांधी जी का विरोध ( १९३९ में कांग्रेस के चुनाव में गांधी का विरोध किया और फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना की ) न करिये अब भुगतिये कोई आज आपको याद नही करना चाहता पर मैं जनता हूँ कि आपको मालूम है कि इस देश का गुमनाम आदमी ( वोटर ) आपको जरूर याद रखेगा ...जी जी आपको जन्मदिन शुभकामना आप अमर रहे ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए ) अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Thursday, 22 January 2015

सर कटा सकते है लेकिन ..........

सर कटा सकते है लेकिन सर झुका सकते नही ............
भैया मैं क्यों मानूं अपने को भारतीय ???? आखिर इस देश ने ही सिखाया है कि अपनी संस्कृति अस्मिता के लिए सर कटा लो पर सर न झुकाओ
.....     तो भला मैं क्यों ना हिन्दू मुसलमान सिक्ख और ईसाई बनूँ ??? मैं क्यों न अपने अस्तित्व की लड़ाई के लिए एक दूसरे का सर काट लूँ .........आखिर देश से जो सीखा वही तो करूँगा !!! अब आप तो नाराज होने लगे अगर आपको विश्वास न हो तो आप देश का संविधान उठा कर देख लो पूरे संविधान में कही भरित्ये होने के लिए कुछ करने की जरूरत ही नहीं !!!बस अगर आप अल्पसंख्यक तो ये कर सकते है आप वो आर सकते है !! और ये सब मूल अधिकार है यही नहीं अगर आप मुस्लिम , सिक्ख ईसाई नहीं है तो आपको हिन्दू माना जायेगा | अब आप की क्या मजाल जो किसी को भारतीय बना डेल या पूरे भारत को एक भरित्ये होने का सपना दिखाए , जब जब ऐसी आपक कोशिश की जाएगी तो हम भारतीय होने का पूरा विरोध करेंगे और सिर्फ हिन्दू , मुस्लिम सिक्ख ईसाई बन कर ही सोचेंगे भले ही रोज धर्म के नाम पर सैकड़ो सर काट जाये पर सिर्फ भारतीय कहलाने के लिए सर नहीं झुकाएँगे | क्या आप किसी भारतीय से मिले आज तक ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए ) अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Wednesday, 21 January 2015

दिल्ली मेरे बाप की

दिल्ली नास्ति दूरे................दिल्ली दूर नही है
दूसरे विश्व युद्ध के समय अपने सैनिकों को सम्बोधित करते हुए देश के महान नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ने हिम्मत बांधते हुए कहा था कि दिल्ली दूर नही है लेकिन ७० साल बाद दिल्ली दूर लगने लगी क्यों ???? जी जी मुझको मालूम है आप ट्रैन और एयर बस से चलने लगे है पर दिल्ली किन से दूर है ???????? खैर आपने जब सुभाष चन्द्र बोस का ही सौदा कर लिया तो दिल्ली की दूरी कहा समझ पाएंगे दिल्ली में कोई आये जाये आपसे क्या | वैसे दिल्ली हमारे देश के उत्तर दिशा के खुले हिस्से से इतनी पास थी खैबर दर्रा पार करके दिल्ली को उन लोगो ने ज्यादा हथिया लिया जो इस देश में आक्रमण कारी ज्यादा थे | क्या दिल्ली की दूरी कम हो रही है फिर से ???? ओह हो आप चाहते है कि तुगलक वंश को मैं कैसे भूला जा रहा हूँ न न न भला मोह्हमद बिन तुगलक को मैं कहा भूला वही तो था जिसे दिल्ली से प्यार हो गया था पर दिल्ली अपने ऊपर शासन करवाने की इतनी आदी हो चुकी थी कि बेचारा वो भी दिल्ली के आगे मुँह की खा गया | आप शायद पृथ्वी राज चौहान की दिल्ली फिर गजनी के हाथो में दे रहे है क्या ????? वो राजा अँधा होकर भी अपनी दिल्ली बचाने के लिए लड़ गया पर आप तो आखिरी बार अंग्रेजो के साथ रहे है और जो अंत में साथ दे वही तो सच्चा मित्र है और मित्र जाते जाते सीखा जो गया कि अगर राज करना है तो भाई भाई  को लड़ा दो उनको रोटी में इतना उलझा दो कि ये सोचने का मौका ही न मिले दिल्ली किसके हाथ में जा रही है ???? क्या आपको पता है दिल्ली का दिल क्या चाहता है या वेलेंटाइन डे की तरह दिल को भी बाजार में उतारना और बेचना आपको आ गया है ?? चलिए कह भी डालिये  तुमसे क्या मतलब कोई तुम्हारा  दिया खाता हूँ क्या ?? मैं जिसे चाहूँ  उसे दिल्ली दूँ !!!!!!!! चलिए मैं समझ गया कि आप एक को माँ समझ सकते है अब भला हिन्दू मुस्लिम सिक्ख  ईसाई सबकी माँ ( भारत ) को अपनी माँ मैंने का कोई ठेका थोड़ी न ले रखा है आपने ???पर इस माँ का दिल अपने बेटे की तरह देख रहा है आपकी तरफ ( वैसे दुनिया के सबसे जयदा अंधे इसी देश में है ) क्या आपको दिखाई दे रहा है ???टी ओ किसको ये दिल( वोट ) सौप रहे है ???????????? व्यंग्य समझ कर वोट की राजनीती समझिए और राष्ट्र को एक ही के हाथ में दीजिये ...अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Tuesday, 20 January 2015

दिल्ली में दिल्लगी

दिल ......................ली ..........या बिना दिल की दिल्ली या दिल्लगी
१९११ में लार्ड कर्जन ने जब कलकत्ता से बदल कर देश की राजधानी दिल्ली बनाई तो किस को मालूम था कि दिल्ली में दिल की ही कमी हो जाएगी !! दिमाग पर जोर ना डालिये अगर दिल होता तो निर्भया कांड क्यों होता भला यह तो सब कुछ शर्रेर के लिए ही हो रहा है अब दिल होता तो क्या सुनंदा पुष्कर कर शरीर चोट और जहर कर निशान लिए होता काश उस बेचारी को दिल्ली में दिल मिला होता | अब आपका दिल तो दिल्ली में लगा ही रहेगा आखिर देश का प्रधान मंत्री वही से तो आपको देखता है पर दिल में क्या चल रहा है क्या इसकी एक किरण भी आपको दिखाई दे रही है कही वैसे तो किरण से आजकल हर तरह प्रकाश दिखाई दे रहा है पर  इस प्रकाश से अरविन्द या कमल ( दोनों पर्यायवाची है ) में कौन खिलेगा क्या आप अभी भी दिल्ली में दिल या दिल्लगी का मतलब समझना चाहते है | अगर दिल्लगी करनी है तो आईये दिल्ली में पानी ढँढते है वो देखिये यमुना का काला पानी यही तो पानी है जिसके लिए दिल्ली में चु ............नाव दिख रहा है और कीचड़ में अरविन्द या कमल कौन खिलेगा | दिल्ली में लाइट की चिंता करना आपके दिल्लगी का ताजा उदहारण है वैसे आपके प्रदेश में खुद कितने घंटे लाइट आती है |वैसे आप इस बार के दिल्ली चुनाव में दिल से वोट देने जा रहे या दिल्लगी करने क्योकि आपकी ४९ दिन की दिल्लगी से किसी को अपने वोटो का गर्भपात( अब जबर्दश्ती अपनी तानाशाही में सरकार गिरा देना गर्भपात से कम तो नहीं ) देखना पड़ेगा | तो कम से कम दिल का अपमान तो ना करें वैसे आज कल दिल है कहा सारा दिल तो युवाओ के पास है जो अपनी तरह का दिल ढूंढने में ही खो जाता है पर आखिर दिल्ली के दिल का क्या होगा ?????? दिल उसे दीजिये जो देवदास( वोटर ) का दर्द समझे और प्यार का मतलब समझे दिल्ली से दिल्लगी नहीं दिल का रिश्ता !!!!!!!!!!!!!! कौन बनाएगा ( वैसे अगर दिल का मतलब हम समझ रहे होते तो घरेलु हिंसा , मार पीट , तलाक , बलात्कार , वैश्यावृति होते ही नहीं ) क्या आप वोट ( दिल ) देने जा रहे है .संभल कर आगे कीचड़ है !!!!!!!!!!! ओह आपको पता है कीचड़ में ही कमल होता है ( काश आप इतना समझ पाते )
व्यंग्य समझ कर पढ़िए अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Monday, 19 January 2015

आखिर कौन है अच्छा

भगवान किस को अच्छा मानता है ....

अगर अच्छे लोगो को भगवान जल्दी बुला लेते है तो राजनीति में कौन लोग है ??? अगर अच्छे लोगो से मतलब कम उम्र है तो ज्यादा उम्र के लोग ही क्या अच्छे नहीं होते है ? क्या राजनीति इसीलिए गन्दी ???? अगर अच्छे लोग का मतलब काम से है तो आप जान गए होंगे कि नेता कोई अच्छा काम क्यों नहीं करते !!! आखिर भगवान किसी को बुलाये ये कोई अच्छा काम है !! भगवान तो इस देश में वोटर है जो भूखा प्यासा , बिना लाइट का बिना घर का , बिना अच्छी सडको के रह रहा है अब ऐसे भगवान के पास कोई जाता है भला !!!!!!!!!!! फिर भगवान किन अच्छे लोगो को अपने पास जल्दी बुला लेता है ???( व्यंग्य समझ कर पढ़िए )

Thursday, 8 January 2015

ALL INDIAN RIGHTS ORGANIZATION PRESENTS .........



kutta ...................


 कुत्ता ......................
मैं स्वामी का कुत्ता हूँ ,
स्वामिभक्त कहलाता हूँ ,
आने जाने वालो पर ,
भौंक बेवजह आता हूँ |
बेशर्म बना उनकी खातिर ,
पूँछ उठा कर चलता हूँ ,
दो रोटी पर बेचा जीवन ,
दुत्कार लिए मैं मिलता हूँ ,|
इज्जत की मैं सोचूं ना ,
तू तू करके लोग बोलते ,
नोची हड्डी पाकर भी ,
चहेरे से मैं खिलता हूँ |
काम हुआ या डर लगा ,
गोद में इनकी मिलता हूँ,
लात मिली मुझे सौगात में ,
औकात से जब मैं जलता हूँ,
कुत्ता हूँ फिर भी भरोसा ,
आदमी ही मुझ पर करता है ,
कोई ना कह दे दुम हिलाते ,
कुत्ता सुनने से डरता है |
धन्य है वो जो स्वामिभक्त ,
अंधे बनकर सब करते है ,
चाटुकार बन दुम हिलाते ,
कुत्तों का मान तो रखते है,
कर पाता जो उनकी पूजा ,
हाथ हमारे दो जो होते ,
आदमियों में कोई है अपना ,
चार पैर हमारे सार्थक होते ...........
आज पता नही क्यों ऐसा लगा कि कुत्ता का भी अपना एक दर्द होता है बस उसकी को उकेरने की कोशिश है ..................

Monday, 5 January 2015

कुत्ते कार खर्रेड रहे है ..बचिए

कुत्ते आज कल कार खरीदने लगे है ...........
कर ट्रेड डॉट कॉम ये कह रहा है भला मैं कौन होता हूँ किसी को आइना दिखाने वाला और भला सच बात को कब किस ने माना है  | इस वेबसाइट पर जाइये और देखिये कि अब आदमी नही कुत्ते कार खरीदने लगे है खैर अब मुझे अपने एक्सीडेंट होने का कोई दर्द नहीं है क्योकि शिकायत आदमी से होती तो ठीक अब भला जब कुत्ता कार चला रहा था तो क्या उम्मीद करना | वैसे आज कल जिस तरह से हिट एंड रन के वाद चल रहे है उससे से आप भी मानते होंगे ना कि इस वेबसाइट ने काफी खोज और शोध के बाद ये दिखाया होगा कि कुत्ते कार खरीदने लगे है | आप विश्वास कीजिये कि मैं आपको नहीं कह रहा आप कुत्ता सुनकर क्यों परेशान हुए जा रहे है जब कि अनुवांशिकता में ये सिद्ध बात है कि कुत्ता कभी भी उद्विकास में हमारे साथ नहीं रहा अलबत्ता चूहा , बन्दर , कपि से हमारा सम्बन्ध सिद्ध है और इसी लिए तो आप चूहे का गुण रखने के कारण कुत्ता पालने लगे अब इन कवियों को मैं क्या कहूँ जो ये बताने भी नहीं चुके कि संगत से फल उपजे संगत से फल जाये .........पर आप उनपर कभी नही भौके मेरा मतलब चिल्लाये और मुझे पर फर्जी आरोप लगा रहे है कि मैं आपको ??????? अगर आप इतनी तेजी से बदलते है तो जल्दी से नेचर पत्रिका ( विश्व में विज्ञानं कि सबसे श्रेष्ठ शोध पत्रिका ) में अपना अनुभव भेजिए | मैं टीखुद नहीं समझ पा रहा कि वेबसाइट पर कुत्ते को कार खरीदते क्यों दिखाया जा रहा है क्या आज तक हम सब लोग भ्रम में थे ? मैं खुद मानता हूँ कि कार मनुष्य ????? खरीदते है पर मैं आज तक नहीं ले पाया | क्या आदमी और कुत्ते के बीच कभी शेर ( मुझे आप यही समझ लीजिये क्योकि हर गरीब अपने पैरो पर ही चल रहा है ) भी कार खरीद पायेगा या कुत्ते ही दम हिला कर अपने मालिक की चाटुकारिता करके हर सुख  का लाभ उठाते रहेंगे और अब तो कार भी खरीदने लगे है | संभल कर देखिये कही कोई कुत्ता कार खरीद कर आपको आदमी समझ कर कुचल ना दे आखिर गुलामी का दर्द किसी भी कुत्ते को भी पागल बना सकता है अब आदमी के साथ रहने पर कुछ तो खूबियां उसमे भी आ ही गयी होंगी |आज ही वेबसाइट पर जाइये और देखिये आज किस कुत्ते ने वास्को या जिनको ने कार खरीदी ????????? ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए ) जीवन संका कीमती है उसका सम्मान कीजिये कार संभल कर चलाये क्योकि आप ???????????? अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Friday, 2 January 2015

कुत्तो से सावधान

कुत्तों से सावधान ...................
मेरे लोखे पोस्ट पर मेरे एक बहुत करीबी मित्र ने आपत्ति जताते हुए कहा कि ये क्या जीवन मिला है जो भी है उसका आनंद लो |इतना गन्दा kyओ सोचते हो मुझे भी लगा चलो इन्ही की बात मान लेते है | जल्दी से अपने को बना सवार कर मैंने नव वर्ष की शुभ कामना देने की सोची पर तभी याद आया कि बड़े बुजुर्ग कह गए है कि जब सांगत अच्छी रखोगे तभी ऊचे उठ पाओगे | मैंने भी सोचा कि चलो कुछ बड़े लोगो को नव वर्ष की शुभकामना देते है और आज वही बड़ा है जिसके पास पैसा है अब ये ना कहियेगा कि गलत है क्योकि मुझे मुंशी प्रेम चाँद और जय शंकर प्रसाद की दुर्गति पता है | जी जी आज भी न जाने किसी कला कौशल लोग टी वी और रेडिओ में कमीशन पर काम पाकर अपने जीवन को अच्छे दिन लाने के लिए घसीट रहा है | खाई र्मैने सोचा चलूं किसी बड़े आदमी के घर तो क्या हुआ कि मैं कालोनी के एच आई जी माकन के सामने पंहुचा पर गेट पर लिखा था .........कुत्तों से सावधान !!!!!!!!!!१ मैंने सोचा कि क्या फर्स्ट इम्प्रेशन इस द लास्ट इम्प्रेशन .मैंने सोचा जब इस घर में कुत्ते रहते है तो क्या फायेदा यहाँ जाने का मुझे तो किसी आदमी को नव वर्ष  शुभ कामना कहना है  और तो और कोई एक कुत्ता नहीं कुत्तों अब या तो आप कह सकते कि मुझे हिंदी नहीं आती पर इतने बड़े घर में कुत्तों का ही आशियाना है बेचारे ना जाने कितने मनुष्य????????? रेन बसेरे में इतनी ठंडक में रात गुजार देते है | खैर मैं मनुष्य को कालोनी में ढूंढ़ता रहा पर हर घर के आगे यही लिखा था .....कुत्तों से सावधान ............क्षमा कीजियेगा मैं तो वही कह रहा हूँ जो घरों के आगे लिखा था वो भी गेट पर !!!!!!!!!!!! अब बारी थी किसी आदमी को नव वर्ष शुभकामना कहने का अगला क्षण ..मैंने देखा कि एल आई जी और जनता घरों में कुत्तों का डर नही था  और जब मैंने उनसे कहा कि नया साल मुबारक हो ..........तो तो बताइए उन्होंने क्या कहा ??????????????? ये भी कोई नया वर्ष है हमेशे तो अच्छे वो कुत्ते जिनको लोग कारों में घुमांते है और उनको रजाई में रखते है | इससे अच्छा तो भगवन हमको भी कु ........................बना देता और मुझे कुत्तों पर बहुत गुस्सा आ रहा था जिनके कारण नव वर्ष का सत्यानाश हो चूका है ..............अब आप सोचिये कि कही इन कुत्तों के कारण आप कभी बड़े गातों के अंदर आदमी देख ना ही पाए तो क्या होगा ????????? एक बात कहूँ आज की दुनिया में कुत्ते बेचे और खरीदे भी जाते है .जो जितनी बहतर नस्ल का कुत्ता उसकी कीमत उतनी ज्यादा ..बस आपको उसको खरीदने कि ताकत होनी चाहिए क्योकि खरीदने की ताकत तो सिर्फ मनुष्य में होती है ना .क्या आप मनुष्य से मिले ????????????सावधान गेट के पार कुत्ता है नहीं नहीं कुत्ते है ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए ) ठंडक में कोई मर रहा है जीने का अधिकार दीजिये उनको भी ....अखिल भारतीय अधिकार संगठन