Thursday 22 January 2015

सर कटा सकते है लेकिन ..........

सर कटा सकते है लेकिन सर झुका सकते नही ............
भैया मैं क्यों मानूं अपने को भारतीय ???? आखिर इस देश ने ही सिखाया है कि अपनी संस्कृति अस्मिता के लिए सर कटा लो पर सर न झुकाओ
.....     तो भला मैं क्यों ना हिन्दू मुसलमान सिक्ख और ईसाई बनूँ ??? मैं क्यों न अपने अस्तित्व की लड़ाई के लिए एक दूसरे का सर काट लूँ .........आखिर देश से जो सीखा वही तो करूँगा !!! अब आप तो नाराज होने लगे अगर आपको विश्वास न हो तो आप देश का संविधान उठा कर देख लो पूरे संविधान में कही भरित्ये होने के लिए कुछ करने की जरूरत ही नहीं !!!बस अगर आप अल्पसंख्यक तो ये कर सकते है आप वो आर सकते है !! और ये सब मूल अधिकार है यही नहीं अगर आप मुस्लिम , सिक्ख ईसाई नहीं है तो आपको हिन्दू माना जायेगा | अब आप की क्या मजाल जो किसी को भारतीय बना डेल या पूरे भारत को एक भरित्ये होने का सपना दिखाए , जब जब ऐसी आपक कोशिश की जाएगी तो हम भारतीय होने का पूरा विरोध करेंगे और सिर्फ हिन्दू , मुस्लिम सिक्ख ईसाई बन कर ही सोचेंगे भले ही रोज धर्म के नाम पर सैकड़ो सर काट जाये पर सिर्फ भारतीय कहलाने के लिए सर नहीं झुकाएँगे | क्या आप किसी भारतीय से मिले आज तक ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए ) अखिल भारतीय अधिकार संगठन

No comments:

Post a Comment