कितनी निराला है शारदा का जादू ............
कल कई लोगो ने मुझसे कहा कि आप को सुभास बाबू के लिए छुट्टी का ख्याल है पर क्या आज तक किसी महिला के लिए छुट्टी हुई अब उनसे कौन कहता कि छट्टी तो मनुष्य के लिए होती है अब भला देवी के लिए कौन सी छुट्टी होती है | भारत में औरत एक मनुष्य कब रही और अगर औरत नही नहीं देवी को छुट्टी दे दी गयी तो ????? अक्ल की देवी शारदा ने कोई छुट्टी नहीं ली तब तो देश के नेता समझ नहीं पा रहे कि कब या बोले ?? कभी कहते है कि महिला को कपडे कम पहनने से बलात्कार बढ़ रहा है | कभी कहते है महिला पैसे लेकर वोट खरीदा जाता है पैसा लो और वोट किसी को ना दो अब अगर देवी के नाम पर छुट्टी हो गयी तो क्या होगा फिर आप ही कहेंगे हर डाल पे उल्लू बैठे है अंजाम ए गुलिस्तां क्या होगा वैसे माँ शारदा की कृपा जिन पर नहीं होती वही एक पर एक फ्री का मजा लेते है यानि आदमी भी और उल्लू भी | ओह हो मैं तो भूल ही गया कि आज तो कर्पूरी ठाकुर जी का जन्म दिन है पर ये सूर्य कांत निराला कौन है इस देश में !!!!!! होंगे कोई औने पौने अगर कुछ होते तो भला सरकार इनको याद क्यों ना करती क्या सरकार के पास अक्ल मतलब माँ शारदा का वरदान नहीं है ( सरकार के पास दिमाग होता तो दिल्ली में एक साल में चुनाव क्यों होते अब हम कोई मनुष्य तो है नहीं हम तो सामाजिक जानवर है और जिसकी लाठी उसकी भैस पर विश्वास करते है अब हम मिल कर सरकार क्यों बनाये जनता में जाये भाड़ में जब तक वो पूर्ण बहुमत नहीं देगी तो चुनाव पर चुनाव कराते रहेंगे अरे महंगाई बढ़ेगी तो बढे कौन नेता को असर पड़ता है जब तक जनता का कचूमर नहीं निकलेगा तब तक उनकी अक्ल ठिकाने नहीं आएगी अब तो समझ गए होंगे माँ शारदा के छुट्टी पर जाने का खमियाजा कैसे देश को भुगतना पड़ रहा है ) हा तो मैं कह रहा था कि भैया निराला जी होंगे तीस मारखा अपने घर के इस देश में अक्ल का क्या काम .यहा तो अक्ल बड़ी या भैस ( और भैस ही बड़ी है ,देश के जाति धर्म है अब उनको बड़ा माने या नेता अक्ल का माने कोई एक निराला से तो देश चलने नहीं जा रहा उनसे तो जाति के नाम पर भी फायदा नहीं मिल सकता )...और जब चुनाव में भैस जैसी जाति धर्म ही बड़ी दिखाई दे रही तो भला अक्ल की देवी या निराला के लिए किसके पास फुर्सत और आप तो खुद कहते है भैस के आगे बीन बजाओ भैस खड़ी पगुराय ( जनता के आगे कहते रहिये की कौन अच्छा है किसके पास बुद्धि है , जनता( भैस ) तो देखती है कौन अपनी जाति का है धर्म का है ) वैसे आप किसी दिन माँ शारदा को छट्टी देकर देखिये अगर लोग पागल कहकर पागल खाना न भेज दे तो कहियेगा और इसी लिए आप चाहे देवी हो या महिला मनुष्य उसे छुट्टी देना ही नहीं चाहते आखिर आप क्यों चाहेंगे क़ि महिला छुट्टी पर जाये और आप पागल हो जाये | अब तो मान लीजिये क़ि हमारा देश कितना बड़ा जगद्गुरु है क़ि उसने जान लिया क़ि महिला को कभी कोई न छुट्टी दो न इसके नाम पर छुट्टी मनाओ क्योकि खाली दिमाग शैतान का घर और बिन ग्रहणी घर भूत का डेरा ..........क्या अब भी आपको लगता है क़ि महिला के नाम पर छुट्टी होनी चाहिए ??? खैर क्या आज आपने अक्ल की देवी को नमस्ते किया या आज वो छुट्टी पर थी सी लिए आपको याद नहीं रहा ........माँ शारदा तुमको नमन .निराला है तेरा और शब्द है मेरा ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए ) डॉ आलोक चांटिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन
कल कई लोगो ने मुझसे कहा कि आप को सुभास बाबू के लिए छुट्टी का ख्याल है पर क्या आज तक किसी महिला के लिए छुट्टी हुई अब उनसे कौन कहता कि छट्टी तो मनुष्य के लिए होती है अब भला देवी के लिए कौन सी छुट्टी होती है | भारत में औरत एक मनुष्य कब रही और अगर औरत नही नहीं देवी को छुट्टी दे दी गयी तो ????? अक्ल की देवी शारदा ने कोई छुट्टी नहीं ली तब तो देश के नेता समझ नहीं पा रहे कि कब या बोले ?? कभी कहते है कि महिला को कपडे कम पहनने से बलात्कार बढ़ रहा है | कभी कहते है महिला पैसे लेकर वोट खरीदा जाता है पैसा लो और वोट किसी को ना दो अब अगर देवी के नाम पर छुट्टी हो गयी तो क्या होगा फिर आप ही कहेंगे हर डाल पे उल्लू बैठे है अंजाम ए गुलिस्तां क्या होगा वैसे माँ शारदा की कृपा जिन पर नहीं होती वही एक पर एक फ्री का मजा लेते है यानि आदमी भी और उल्लू भी | ओह हो मैं तो भूल ही गया कि आज तो कर्पूरी ठाकुर जी का जन्म दिन है पर ये सूर्य कांत निराला कौन है इस देश में !!!!!! होंगे कोई औने पौने अगर कुछ होते तो भला सरकार इनको याद क्यों ना करती क्या सरकार के पास अक्ल मतलब माँ शारदा का वरदान नहीं है ( सरकार के पास दिमाग होता तो दिल्ली में एक साल में चुनाव क्यों होते अब हम कोई मनुष्य तो है नहीं हम तो सामाजिक जानवर है और जिसकी लाठी उसकी भैस पर विश्वास करते है अब हम मिल कर सरकार क्यों बनाये जनता में जाये भाड़ में जब तक वो पूर्ण बहुमत नहीं देगी तो चुनाव पर चुनाव कराते रहेंगे अरे महंगाई बढ़ेगी तो बढे कौन नेता को असर पड़ता है जब तक जनता का कचूमर नहीं निकलेगा तब तक उनकी अक्ल ठिकाने नहीं आएगी अब तो समझ गए होंगे माँ शारदा के छुट्टी पर जाने का खमियाजा कैसे देश को भुगतना पड़ रहा है ) हा तो मैं कह रहा था कि भैया निराला जी होंगे तीस मारखा अपने घर के इस देश में अक्ल का क्या काम .यहा तो अक्ल बड़ी या भैस ( और भैस ही बड़ी है ,देश के जाति धर्म है अब उनको बड़ा माने या नेता अक्ल का माने कोई एक निराला से तो देश चलने नहीं जा रहा उनसे तो जाति के नाम पर भी फायदा नहीं मिल सकता )...और जब चुनाव में भैस जैसी जाति धर्म ही बड़ी दिखाई दे रही तो भला अक्ल की देवी या निराला के लिए किसके पास फुर्सत और आप तो खुद कहते है भैस के आगे बीन बजाओ भैस खड़ी पगुराय ( जनता के आगे कहते रहिये की कौन अच्छा है किसके पास बुद्धि है , जनता( भैस ) तो देखती है कौन अपनी जाति का है धर्म का है ) वैसे आप किसी दिन माँ शारदा को छट्टी देकर देखिये अगर लोग पागल कहकर पागल खाना न भेज दे तो कहियेगा और इसी लिए आप चाहे देवी हो या महिला मनुष्य उसे छुट्टी देना ही नहीं चाहते आखिर आप क्यों चाहेंगे क़ि महिला छुट्टी पर जाये और आप पागल हो जाये | अब तो मान लीजिये क़ि हमारा देश कितना बड़ा जगद्गुरु है क़ि उसने जान लिया क़ि महिला को कभी कोई न छुट्टी दो न इसके नाम पर छुट्टी मनाओ क्योकि खाली दिमाग शैतान का घर और बिन ग्रहणी घर भूत का डेरा ..........क्या अब भी आपको लगता है क़ि महिला के नाम पर छुट्टी होनी चाहिए ??? खैर क्या आज आपने अक्ल की देवी को नमस्ते किया या आज वो छुट्टी पर थी सी लिए आपको याद नहीं रहा ........माँ शारदा तुमको नमन .निराला है तेरा और शब्द है मेरा ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए ) डॉ आलोक चांटिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन
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