Thursday, 31 January 2013

aap jante ki aap kyo adhure hai ????????????

क्या आप बता सकते है कि जब किसी को हिंदी में या अंग्रेजी में १०० में १०० देना ही नहीं रहता तो फिर पेपर पर लिखा क्यों रहता है कि पेपर १०० का है ................कितने शिक्षक आज तक १०० में १०० पाए तो क्या कोई नहीं जो पूर्ण हो .तो फिर  समाज को पूर्ण कैसे बनाया जा सकता है ........................परीक्षा में किसी परिभाषा को पूछने पर परीक्षार्थी के उत्तर देने पर पूरा नंबर क्यों नहीं दिया जाता क्या .परीक्षक ..उस विद्द्वान का अपमान नहीं कर रहा है जो परिभाषा देता है .....क्या ऐसा तो नहीं कि कॉपी जांचने वाला कम बुद्धि तो नहीं .या फिर वह खुद से इतना डरता है कि वह बुद्ध के मद्दयम मार्ग को अपना कर इतने नंबर दे देता है कि नौकरी भी बची रहे और कम भी चल जाये .......................पर अगर किसी को पुरे नंबर पाने ही नहीं तो किसी नौकरी में कोई कैसे यह जान सकता है कि किसको कितना वास्तव में आता है ..................वैसे तो कहने को बहुत है पर कैसे कहे .क्योकि कहे किस्से यहाँ तो सब आप पर टूट पड़ेंगे .........लीजिये वो देखिये एक शिक्षक दौड़े चले आ रहे है कि आपने कैसे कहा कि हमको कम आता है .....मैंने कब कहा कि आपको कम आता है ??????????? मैं तो जानना चाहता हूँ कि स्वतंत्र भारत में कितने लोगो को कितने विषय में पूरे नंबर मिले ..और नहीं मिले तो यह एक धोखा ही तो है .फिर किसी कि योग्यता को १०० नंबर आँका ही क्यों जाये जब पूरे भारत में कोई ऐसा है ही नहीं ........................लीजिये शिक्षक चल दिए हड़ताल पर कि मेरी क्या मजाल जो मैंने उनको रत्नाकर और कालिदास कह दिया ...................मैंने कही नहीं कहा आप कालिदास या रत्नाकर है क्योकि उनको अपने कमी पता चलने पर उसको दूर करने का दम था पर आप तो सिर्फ शिक्षक है .....................क्या नंबर का खेल सिर्फ यह नहीं सिद्ध करता है कि कोई भी पूरा नहीं है और किसी अधूरे को किसी की पूर्णता को जांचने का क्या अधिकार है ..पर कहते है की भीष्म पितामह को मरने के लिए शिखंडी को सामने आना पड़ा तो क्या .......................मैंने नहीं कहा कि आप ?????????????????????? क्या आप कॉपी जांचने जा रहे है ????????????जी जी एक कॉपी पर १५ रुपये मिलते है क्या क्या .आप रोज २०० कॉपी जाँच लेते है पर कानून तो कहता है कि सिर्फ ५० कॉपी जाँच सकते है .ओह हो आपका जुगाड़ है ................क्या????????????? आप जाँच देते है २०० और चध्यी जाती है ४ दिन में यानि ४ दिन कर यात्रा भत्ता की चोरी ..........जी जी यह चोरी थोड़ी न है बल्कि यह तो बोनस है आपके पसीने बहाने का ........................पर नंबर कैसे दिए ??????????????? क्या किसी ने अच्छा लिखा ही नहीं???????????? चलिए आपको पूरा याद तो है पर जब आप इतनी बुद्धि वाले है तो क्यों नहीं पूरे नंबर पाए ????????????? अच्छा कोई नहीं पता इस लिए आप ने भी किसी को पूरे नंबर नहीं दिया ???????????????वह क्या भारत का निर्माण हो रहा है ५०-५०  का इस से अच्छा उदहारण कहा मिल सकता है ...............अब बताइए शिक्षक ही जब आधे अधूरे आदमी बना रहा है तो बेचारे देश के लोग किसी बात को पूरा क्यों समझे या कहे .................और ऐसे विक्लंद लोग क्या जाने की बलात्कार के बाद एक लड़की किस किस दर्द से गुजरती है और इसी लिए आज तक पुरुष यह नहीं जान पाया कि औरत को उसके आधे हिस्से ही दर लगने लगा है पर वह बेचारी क्या जाने कि जिस आदमी स्कूल , कालेज हर जगह अधूरा ही रखा गया तो वह औरत के साथ पूरा साथ कैसे दे ??????????????? अब समझे कि इस देश में भीष्म पितामह क्यों रोज मर रहे है ????????????????????क्या आप को भी कभी पूरा नंबर नहीं मिला ...क्या इसी लिए आप अधूरे ???????????????????????????

Wednesday, 30 January 2013

ham desh na maa ke sath rhte hai

क्या भारत एक देश है ????????????????? बिलकुल नहीं वो तो माँ है ....................जी जी आप बिलकुल सही समझे माँ यानि आंचल में ढूध और आँखों में पानी ........................और ऐसी माँ को आप ही तो कहने से नहीं हिचकते .............जिसके लबो पे बद दुआ  नहीं होती .............वो माँ है जो कभी खफा नहीं होती .....अब आप बताइए .जो देश है ही नहीं और माँ के दर्जे पर है तो वह अपने बेटो के करतूतों पर बद दुआ कैसी दे सकती है .......................आखिर माँ तो डाकू की भी होती है ...तो बलात्कारी के लिए क्यों नहीं ..........................और अगर देश में वह बलात्कारी होता तो कोई भयानक सजा आया कानून कुछ सोचता ..................यहाँ तो माँ की गोद में पला है बलात्कारी .फिर उस देश ?????????????????माँ के बेटे को सजा कैसे और यही नहीं आप सब भी तो इस माँ के बेटे है .अक्सर यह माँ का दर्द रहता है ...............कि अंतहीन रूप से अपने गर्भ से बच्चे ?????????????????बेटे पैदा करने के बाद भी किनारे असुक्षरित रह जाते है ........आखिर बेटे जानते है कि माँ को भी क्या जरूरत है कि अंतहीन रूप से इस दुनिया में माँ बनी बैठी है .उनको भी तो मरना चाहिए .......................ऐसा क्या कि बस जैम कर बैठ गयी देश ?????????????? माँ बन कर और आप ने बिलकुल सही किया उसे वन प्रस्थ का रास्ता  दिखा दिया पर अब तो वह सन्यासिनी जैसी दिखाई देने लगी है ........................पर माँ को अनाथ जैसा छोड़ना आप जैसे कर्मवीरो  को कब सहन हुआ है .इसी  लिए कम से कम चार बेटो ने कन्धा तो दे दिया ................................यही नहीं जो १७ साल ६ महीने  और १२ दिन के भगवान ( भारत में १८ साल से नीचे बच्चा कहलाता है ) ने दिल्ली में बलात्कार करके कौन सा गुनाह कर दिया ???उसने तो सिर्फ अपनी माँ को यही दिखया कि वह नपुंसक नहीं है और न ही माँ बंजर हो गयी है .वह अभी भी उर्वर है और एक से बढ़ कर एक जानवर???????????????? जांबाज पैदा किया है .....आखिर अगर यह देश होता तो उसकी क्या मजाल जो बलात्कार करने के बाद दूसरे दिन का सूरज देखा होता ..पर माँ तो माँ होती है .उसके आँचल में बैठ कर ही हर बच्चा सबसे महफूज होता है ........................क्या आप किसी देश यानि माँ की गोद को तलाश रहे है ...............................कितने भाग्यशाली है हम कि हमने देश नहीं माँ को पाया है .और आप के छाती का अमृत पीकर हमने विष बनाना सीख लिया है .आखिर अमृत का असर और स्थायित्व तभी रहेगा जब उसका एंटी पदार्थ रहे रहे ......................तो क्यों न हम सब माँ के लिए कट मरे .आखिर हमको भी तो माँ सरे सुख देती है .....देखिये एक बस आ रही है ...........................देखिये आप कितने उर्वर है ???????????माँ को जवाब जो देना है .....................क्या आप किसी देश में रहना चाहते है .......................माँ माँ माँ माँ माँ माँ माँ माँ माँ ....................सर कटा सकते है ...पर अब तो तेरे लिए किसी को भी बस में लूट सकते है ...आखिर हम सब है तेरी अद्भुत संतान .........................क्या आप माँ को दिखाना चाहते है ?????????????????????????

Tuesday, 29 January 2013

हम्जन्संख्या नहीं मतदाता बढ़ाते है

आज एक सज्जन मुझसे पूछने लगे कि आप इतना कुछ लिखते रहते है पर कभी आप जनसँख्या पर भी लिखा करिए ................मैंने कहा शायद आपको पता ही नहीं कि इस देश में जनसँख्या कभी भी ज्यादा नहीं रही बस उत्पादन  नहीं कर पा रहे है तो सरकार इसको जनसँख्या का बढ़ना कह रही है ..................आरे आप पागल हो गए है क्या ???????????? एक अरब ३० करोड़ हो गए और आप कहते है कि जनसँख्या बढ़ी ही नहीं .................जी जी मैं सही कह रहा हूँ .देश कि जनता तो राज्य को सही करने के लिए जनसँख्या बढ़ा रही है .....और परेशानी की बात क्या है .सरकार के पास अनाज रखने तक की जगह है नहीं ......जनसँख्या बढ़ेगी तो लोग भूखे रहेंगे और जिन्दा रहने के लिए वह चोर बदमाश , बलात्कारी , डकैत बनेंगे ......................और फिर जायेंगे कहा .जेल और वह खिलायेगा कौन ?????? राज्य ......तो राज्य ने कितनी अकलमंदी से देश में बर्बाद हो रहे आनाज को खपाने का राष्ट खोज निकाला!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! क्या आपको मेरी बात समझ में नहीं आ रही आरे भाई ................जनसँख्या थोड़ी न इस देश में बढ़ रही है !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! यही तो जाति , धर्म  बढ़ रहा है और उसको जो लोग ढो रहे है उनको आप आदमी कहते है ..और इन्ही जाति, धर्म से तो जो असली जनसँख्या है वह विधान सभा , संसद में पहुचते है तो जनसँख्या कितनी हुई .बमुश्किल ३००० ....और आप कह रहे है कि जनसँख्या बढ़ रही है ...वह तो जाति धर्म को ढोने वाले मजदूर है जिनको मतदाता कहा जाता है ...........................आप इस तरह मुह क्यों बना रहे है ......................हम तो उस देश के जहाँ संघे शक्ति युगे युगे ................की बात कही जाती रही हो .वही जनसँख्या थोड़ी ना बढ़ रही है ........ये तो हम देख रहे है की हम अपना कितना वजन बढ़ाते चले जाये .कि पृथ्वी अन्तरिक्ष में गायब हो जाये ........................और इस जनसँख्या का एक फायेदा और है ...................जब इस दुनिया में खाना कही नहीं आपको मिलेगा तो .हम एक दुसरे के ही काम आयेंगे ...............परोपकार के लिए हमारा शरीर है ही ..............जब भूख लगे किसी आदमी को मार कर खा लीजिये ..क्योकि आप मनुष्य ही इतने होते जा रहे है कि जानवर तो रह नहीं जायेंगे और जानवर जब रहेंगे नहीं तो काम से काम उनकी याद में मनुष्य ही तो जानवर बन कर जियेगा..........तो आईये देश में जनसँख्या बढ़ने का ठेका लीजिये और हां ऐसे ही लडकियों कीअंख्या घटाते रहिये ...तभी तो एक और और पांच छह पति .......................जी जी मैं मजाक नहीं कर रहा .अगर विश्वास न हो तो जौनसार बावर जनजाति में चले जाइये ...वह एक पत्नी के ६-७ -८ पति मिल जायेंगे ..तो आप क्यों पीछे रहिये .आखिर आधुनिकता के लिए तो आप कुछ भी कर सकते है और आपके घर की लड़की के साथ कुछ ना हो पर दुसरे के घर की लड़की के साथ तो हम कुछ भी कर सकते है आखिर आपके घर का वंश चलना जरुरी है कि नहीं ????????????????? और जन वंश चलने के लिए लड़की ही नहीं मिलेगी तो क्या हुआ ......हम आप तो वसुधैव कुटुम्बकम की भवन असे जीते रहते रहे है ....और कहा भी गया है गरीब की जोरू सभी सरहज .....तो आइये सहकारी समाज बनाये और देश में भाई चारा बढ़ाने के लिए सहकारी बच्चे भी पैदा करे .....बुरा मत मानिये ..ये मैं नहीं कह रहा ...आप कर रहे है .पर आपको तो सच सुनने की आदत ही नहीं रही .....................आखिर कोई आप ही थोड़ी ना है जो इस सबक एलिए जिम्मेदार हैं ...जन सब कर रहे है तो आप क्यों ना करे ...................आरे सुनती हो ...........क्या पञ्च लड़की के बाद एक लड़का नहीं डौगी .....कैसे चलेगा मेरा नाम .आओ ना ....................जितनी देर करोगी .......मैं पिता उतनी ही देर में ...................क्या आप जनसँख्या बढ़ा ??????????????????क्षमा क्षमा .........................देश के प्रजातंत्र की मजबूती के लिए और विश्व के सबसे विशाल प्रजातंत्र बनान एक गौरव हासिल करने के लिए ........................कुछ योग दान कर रहे है ?????????? कितने लिख दूँ आपके नाम ..२/३/४/ या जब तक ताकत है तब तक ..आखिर हम ब्भातिये तो अंतिम दम तक लड़ते है ..............जय हिन्द

Monday, 28 January 2013

बच्चे भगवन होते है .....भगवन को बलात्कार की सजा नहीं होती

बच्चे तो भगवान की मूरत होते है !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! जी जी बिलकुल सही समझ रहे है आप ....................और आप ठहरे मनुष्य ..आपकी क्या मजाल जो आप भगवान को सजा दे ............अगर भगवान को सजा दी तो कलयुग की इन्तहा हो जाएगी .......प्रलय हो जाएगी .....................पहले भगवान को मनुष्य तो बन जाने दीजिये ..................नहीं समझे ना और समझेंगे भी कैसे आखिर हम भारतीय पहले ईस्ट इंडिया कम्पनी खुलवाते  है और फिर गुलाम बन कर स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ते है .....आखिर हम दुनिया में अनोखे जो ठहरे ................हा तो मैं क्या कह रहा था कि हमारी क्या औकात जो भगवान को मौत कि सजा दे दे .......................भगवान को मनुष्य बन्ने के लिए इस देश में शर्त है कि वह १८ साल का हो जाये और उसके बाद ही वह मनुष्य बन पायेगा और आप उसको फांसी दे सकते है .................वह क्या समझा आपने ???????????????? आखिर इस देश में बलात्कार करने वाला सिर्फ १७ साल ६ महीने और १२ दिन का है और अभी वह बच्चा ही तो है .....................और बच्चा भगवान कि मूरत होता है ...................१८ साल पर वह आदमी बनने के बाद अगर बलात्कार करता तो फांसी सोची जा सकती थी .................आरे देश के जितने भी भगवान अभी शेष हो साडी द्रौपदियो का चीर हरण कर डालो .....ऐसा देश कहा मिलेगा ..............कि बस में बुला कर बलात्कार करो और फिर बच्चा बन कर ???????????????? ओह हो गलती हो गयी आप तो अभी भगवान है ना !!!!!!!!!!!!!!!!कोई सजा नहीं ज्यादा से ज्यादा सुधार गृह वह भी सिर्फ ३ साल के लिए .....जल्दी  कीजिये स्टॉक सिमित है इस देश में पहले आओ पहले पाओ और सजा या खतरा जीरो .....................कितने पागल है इस देश के लोग ( शायद मनुष्य का मतलब नहीं समझते ) जो १६ दिसम्बर से चिल्ला रहे है ...फांसी दो फांसी .......आरे यह देश मूल्यों का है ..न्याय का है ..................केवल चिल्लाने से एक बच्चे को फांसी यानि भगवान को ?????????????????? आइये आइये देखिये भगवान बन कर आप किस बस में किस माँ बहन के देश में अपना आनंद भगवान बन कर ढूंढ़ सकते है ...................इस देश का कानून आप जैसे भगवानो के लिए ही तो है .................अफ़सोस मैं भवन क्यों नहीं बन पाया ................क्या आप भी भगवान बन कर रहना चाहते थे इस देश में ?????????????????????? आइये आइये ................भवन बन कर पूरा मजा लीजिये .ऐसा देस और मौका बार बार नहीं मिलता ...............कई जन्मो के सत्कर्म के बाद ऐसे स्वर्गिक देश में जन्म होता है .......................भगवान आ रहे है ......सावधान ....इस देश में देवता इसी लिए निवास करते है क्यों कि यहं नारी की पूजा  ?????????होती है .................................क्या आपको नहीं लगता

Friday, 25 January 2013

Woman Dalit and Human Rights in India

Woman Dalit and Human Rights in India

झंडा बेच कर देश मनाता है गणतंत्र

झंडा बिकता है ,
पर किसको दिखता है ,
देश का गौरव तरसता है,
पैसे के बीच कसकता है ,
सैनिको के खून से रंग कर ,
बाज़ार में वो दरकता है ,
झंडा बिकता है ,
पर किसको दिखता है ...............................................आइये बाज़ार से एक झंडा खरीद लाये ..........................गणतंत्र क्या है सबको बताये

भारत में झन्डा भी बिकता है

अँधेरे के उस पार गणतंत्र का सवेरा है ..................कहने को गणतंत्र का मतलब सब जानते है पार क्या कभी एक भारतीय की ताकत या उसकी आवाज को आपने सी देश की आवाज बनते देखा ..........................इस देश में गणतंत्र ३६५ दिन में आने वाले एक त्यौहार से ज्यादा कुछ नहीं है .जिसमे सबको देश पार मनन नहीं बल्कि कबूतर , गुब्बारा उड़ा कर बिताना है ...................क्या आपने झंडा खरीद कर कल का दिन बिताने को सोचा है .................बस यही काफी है बताने के लिए कि आप अभी भी बोलने की ताकत नहीं है और न ही आप अपनी आवाज का मोल जानते है तो कल क्या आप वास्तव में गणतंत्र मन रहे है बाज़ार से खरीदे एक झंडे के सहारे ...........क्या बाज़ार से सब्जी , कपडा और यही नहीं भगवान तक को खरीद कर लाने वाले देश में झंडा खरीदने पार एक बार भी दर्द नहीं होता .............है न अनोखा .अनोखे लाल का देश ........तो झूमिये और बाज़ार के लाये झंडे से खाइए माँ तुझे सलाम .क्योकि देश को चलने वाले से तो आप कहने से रहे कि एक झंडा मुफ्त में दे दो क्योकि यह मुफ्त का झंडा माँ पार बलिदान हुए लोगो की याद दिलाता है ......पार आप कैसे कहे आप तो अहिंसा के देश के है और भले आपको कोई भी लूट ले जाये ..........................और बर्बाद कर दे पार आप खा मुह खोलने वाले .....इसी लिए तो पुरे विश्व में आप और आपके देश का सम्मान है ...आखिर हर बार के विदेशी आक्रमण पर आपने माँ का न जाने कौन सा हिस्सा दे दिया है ....हो भी क्यों न .आखिर हम आप शांति प्रिये जो ठहरे ................और झंडा समझ कर हम उसको खरीदे ही क्यों ..बाज़ार से खरीदे कपडा समझ कर ...घर ल कर समझ लीजिये की यह वही तिरंगा है जिस के लिए लक्ष्मी , गाँधी , सुभाष , भगत , ने अपनी जान दी हो .................गणतंत्र है कोई देश के लिए समय देने या उसके लिए सोचने के लिए थोड़ी न ...................................जब आप झन्डा न बचा पाए तो उस गैंग रेप को क्या रोकते .....................उसके भाग्य में लिखा रहा होगा तभी उसकी ऐसी दुर्गति हुई और मेरी क्या मजाल जो मैं आप पर ऊँगली उठाऊ .....आप तो सिर्फ भगवान पर धर्म विश्वास करते है यही बता रहे है .........................और अगर झन्डा बिक रहा है तो देश के नेता न पागल है ना ही अंधे ....जो देश के सम्मान  को इस तरह बिकवा रहे है  ..........इसके पीछे भी कोई राज होगा तभी बिक रहा है ...................आपने बिलकुल सही कहा ............आखिर आप तो जिओ और जीने दो में विश्वास रखते है और अपने लड़के की पढाई और लड़की की शादी की चिंता करे कि देस के  झन्डे की फ़िक्र करे ......जो भगवान ने लिख रखा होगा वह बदलेगा थोड़ी न .....अब अगर देश को गुलाम होना होगा .......................या किसी को कब्ज़ा करना होगा तो यह तो सब भगवान की मर्जी है ..आप क्या कर सकते है .....................आरे कहा चले .......मुझे मालूम है आप झन्डे के लिए नहीं सोने चले आखिर तिरंगे के निचे खड़े होकर पिकनिक जो मनानी है ....वैसे आपने इस भ्रष्ट ???????????? देश में झन्डा कितने में खरीद लिया ..............................क्या सबसे सस्ता वही मिला ???????????????????????????????आप सभी को गणतंत्र दिवस की शुभकामना

मतदान नहीं क्यों करे

आज मतदाता जागरूकता दिवस है ....................कौन मतदाता है ?????????????????हिन्दू या मुस्लिम या अल्पसंख्यक ????????????????? मत देकर क्यों न मतदाता अपने ही धर्म जाति के लोग को जिताए क्योकि यह देश धर्म जाति का है और एक दिन वह आने वाला है जब इस देश में बिना कोई युद्ध और रक्त को बहाए आप अपने काम और अधिकार को पा सकते है क्योकि  मतदान से आप अपने धर्म जाति के प्रतिनिधि को विधान सभा , संसद भेज सकते है और अब आप को समझाने की जरूरत नहीं कि अगर आप नहीं जगे तो मतदान के सहारे कोई भी सी देश पर कब्ज़ा कर लेगा ........क्या आपको अभी भी नहीं लगता कि मतदान करना चाहिए ...............मतदान कीजिये और अपने को सुरक्षित कीजिये ...अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Thursday, 24 January 2013

तिरंगा का अपमान क्यों कर रहे है हम

क्या सुप्रभात ही है ये ?????????????? क्योकि राज्य और प्रशासन दोनों ही गूंगे हो गए जब अखिल भारतीय अधिकार संगठन ने उनसे मुफ्त झंडा मांग लिया ...........................सुनिए उनकी दलील उनका कहना है कि कहाँ लिखा है कि झंडा मुफ्त मिलना है .......संगठन का कहना था कि कहाँ लिखा है कि झंडा मुफ्त नहीं मिलना चाहिए ??????????????????? यही नहीं देश के सम्मानित राज्य सभा और लोक सभा संसद सदस्यों को सन्देश दिया गया कि इस पर राइ जाहिर करें पर आज तक किसी सदस्य ने जवाब नहीं दिया .......................जिस देश में झंडा खरीद कर मिलेगा वहा पर देश प्रेम का भाव कैसे आएगा .बल्कि बाजारीकरण का भाव ज्यादा आएगा जो जब तब इस देश में दिखाई पद जाता है ..................क्या आप सब को नहीं नहीं लगता कि एक लड़की की फोटो पसंद करने में २००० लोग रूचि दिखाते है पर देश के लिए इस गंभीर प्रशन पर आप की ख़ामोशी बता रही है कि हम झन्डे को खरीदने की ही वस्तु समझते है ......ऐसा कह कर मैं आप पर आक्षेप नहीं कर रहा पर दिख है कि हम एक गंभीर मुद्दे पर भी न जाने क्या शब्दार्थ लेकर जीते है ........................आइये झंडे के अपमान को रोक कर उसके मुफ्त में मिलने को सुनिश्चित करें .......................अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Monday, 21 January 2013

देश का तिर्नागा मुफ्त क्यों नहीं

हमारा देश जिस पर मर मिटने के लिए न जाने कितने तत्पर है पर इस देश के लिए देश वासियों के खून पसीने और त्याग से रंगे तिरंगे को पाने में न जाने कितने वर्ष लग गए और शायद ३:२ के अनुपात का यह छोटा सा कपडा कभी नहीं लगता बल्कि जब यह फहराता है तो रगों में उतना ही खून तरंगित हो उठता है जितना भगत या सुभाष का होता था .........................पर स्वतंत्र भारत की त्रासदी तो देखिये कि इस देश में मुफ्त खाना बट सकता है , मुफ्त में दवाई बट सकती है ..................................................मुफ्त में गर्भ निरोधक या कंडोम मिल सकता है ............................पर कभी एक तिरंगा मुफ्त नहीं मिल सकता ?????????????????????? क्यों क्यों क्या तिरंगा सिर्फ इस लिए हमारे स्वतंत्रता संग्राम सेनायियो द्वारा उनकी अमर गाथा का प्रतीक बन कर उभरा था कि जब एक भारतीय अपने लिए तिरंगा मुफ्त में मिले तो उसके लिए बिना पैसा दिए उसको दिया ही नहीं दिया जायेगा ....................क्या देश में तिरंगा ही सिर्फ बिकाऊ मिला और सरकार ने गैस , पेट्रोल ,और ना जाने कितनी चीजो पर सब सीडी और मुफ्त सुविधा दी पर एक तिरंगा मुफ्त में नहीं क्यों ?????????????????/ यह दर इतना बड़ा था कि अखिल भारतीय अधिकार संगठन को लगा कि इस तिरंगे  के प्रति लोगो में जागरूकता जगाई जाये और पिछले कई वर्षो से संगठन यही प्रयास कर रहा है मेरे द्वारा सुचना मांगी गयी और पता चला कि तिरंगे के लिए सरकार करोडो रुपये देती है पर कितनी बार तिर्नागे के ऊपर चर्चा या गोष्ठी होती है और मुझे आज भी याद है कि मेरे सुचना को मेजर ज्यदाव ने इसी लिए निस्तारित कर दिया था क्योकि उनको आशंका थी कि इस प्रकरण से कई लोग फस सकते है .......................हमारे प्रयास को समय समय पर समाचार पत्रों ने प्रकाशित किया पर कोई फायेदा नहीं हुआ फिर संगठन के उपाध्यक्ष श्री उमेश शुक्ल द्वारा विगत स्वतंत्रता दिवस पर लिखित रूप से मुफ्त में ध्वज माँगा गया पर जिलाधिकारी लखनऊ से कहा तो बराबर गया कि द्वाज मिल जायेगा पर बाद में यह कह कर नहीं दिया गया कि स्टॉक में नहीं है .....................इस बार फिर अखिल भारतीय अधिकार संगठन ने लिखित रूप से मनग है पर छाब्बिश जनवरी आने वाली है और अभी तक तिरंगा नहीं मिल पाया है ..क्या इस देश में अधिकारी , नेता और हम सब अपेन द्वाज के लिए संवेदनशील है और क्या आपको यह बात दर्द नहीं देती कि हम अपना ध्वज खरीद कर फहराते है ..क्या एक ध्वज से ही देश का राज कोशिए  घाटा बढ़ जायेगा या फिर द्वाज का मूल्य रख कर हम सब यह सीख रहे है कि इस देश में कुछ भी बिना खरीदे नहीं मिल सकता भले वह हमारी अस्मिता और गौरव का प्रतीक तिरंगा क्यों न हो ..........................................अखिल भारतीय अधिकार संगठन के मुफ्त में तिरंगे को प्रतेयेक भारतीय को दिए जाने के प्रयास में हिस्सा बनिए और तिरंगे को बिकने से बचाइए .............................हम सब भारत के लोग ...........................अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Saturday, 19 January 2013

Commercialisation of Education

शिक्षा: बाजारीकरण
भौतिकतावादी संस्कृति के प्रसार के कारण शिक्षा को उद्योग के रूप में देखना प्रारंभ होने के बाद से इसके दुष्परिणाम आने प्रारंभ हो चुके हैं। बाजारीकरण होने के कारण आज उच्च शिक्षा में वे तमाम हथकंडे अपनाये जा रहे हैं जो बाजारों में अन्य किसी सामान की खरीद-फरोख्त में अपनाये जाते हैं। दलाली, घूसखोरी, नक़ल करवाना , पी एच डी थीसिस लिखवाना आदि प्रचलन में है।स्ववित्त पोषित शिक्षा व्यवस्था तो पूरी तरह से जैसे पैसे की बुनियाद पर रखी हुई है। पहले शिक्षा ज्ञान की उपलब्धि , संस्कारों की प्राप्ति का साधन थी . समय के साथ धीरे धीरे यह व्यवसाय /नौकरी का साधन बनी और अब इसका उद्देश्य मात्र डिग्री पाना भर रह गया है। मुश्किल यह है की जाने अनजाने हम सभी इस व्यवस्था के भागीदार बनते जा रहें हैं। शिक्षा के सारे स्थापित मूल्य ध्वस्त हो रहें हैं और समस्त सम्बंधित बाजारू होते जा रहें हैं। लगाम लगानी होगी। अन्यथा एक ऐसी अंतहीन दौड़ प्रारंभ हो चुकी है जिसमे व्यक्ति का सारा जीवन पैसा देकर शैक्षिक डिग्रियां खरीदने एवं फिर उन डिग्रियों की सहायता से उनकी कीमत वसूलने में ही बीत जायेगा। और जो डिग्रियों की कीमत नहीं वसूल पायेगा वो कुंठित और निराश होकर ऐसे कार्य करना प्रारंभ कर देगा जिन कार्यों को करने के लिए उसे उन डिग्रियों को प्राप्त करने की आवश्यकता ही न थी। डॉ बी डी पाण्डेय

Wednesday, 9 January 2013

मैं लड़की क्यों हूँ

पेट में लात ,
खा कर मैंने ,
माँ होने का ,
एहसास पाया है ,
बचपन की गलियां ,
छोड़ कर मेरा ,
पत्नी नाम आया है,
कलाई में राखी ,
तुम्हारे मेरे नाम की ,
पर राख हुई फिर भी ,
मेरी ही काया है ,
कैसे मैं समझू ,
लड़की को दुर्गा ,
लक्ष्मी , सरस्वती ,
या फिर काली ,
लूटते हो लज्जा ,
कहकर उसकी लाली ,
बचपन से कोमल ,
कहकर पागल ,
बना कर क्या पाए ,
कही हत्या , कही
बलात्कार सिर्फ
मेरे हिस्से लाये ,
सच बताओ क्या ,
एक लड़की गर्भ ,
कभी बाहर आये ........................लड़की को आज के दौर में किस लिए पैदा होना चाहिए और हम उसके लिए दिल से क्या करना चाहते है , ......मुझे नहीं अपने साथ जुडी किसी भी लड़की के लिए बस सोच भर लीजिये मेरा शब्द सार्थक हो जायेगा ......शुभ रात्रि .अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Tuesday, 8 January 2013

हाथ जोड़ो नहीं तो

इस देश की आशा में राम है और मैं बहुत समय पहले गुजरात की मोरवी में था जहाँ विवेकानंद को बंदी बना कर रखा गया था , इसके अलावा में लिमडी में भी रहा जो अहमदाबाद से १३१ किमी पर है और सुरेंदर नगर की तहसील है ....मुझे वह जाकर पता चला की बापू उनको कहा जाता है जिनका सम्बन्ध राज घराने से या उनके यहाँ काम करने वालो को यह लगाने का अधिकार है मैं लड़की की दुर्दशा और इस बापू शब्द पर अभी कुछ नहीं कहूँगा पर जिस तरह से बापू की आशा का बलात्कार राम के देश में अभी कुछ दिन पहले सरे भौतिक सुखो को लुटने वाले वाले सांसारिक बाबा ??????????? ने उस बेटी के लिए बयां दिया जिसमे उनका कहना था कि अगर उसने हाथ जोड़ लिए होते तो उसका बलात्कार नहीं होता ????????????????????????????????????????? निष्कर्ष कहते है जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखि तिहि तैसी ......................यानि उनके आश्रम में आने वाली महिलाये अगर उनके सामने हाथ न जोड़े तो बाबा जी तो उनका क्या करेंगे यह आपको बताने कि जरूरत नहीं है .......................उनका या बयां खुद उनकी कहानी कह गया .....मैं क्या कहूँ और इस देश में बिना सोचे समझे बात करने वाले कहिये अभी क्या ना कर डाले पर बलात्कार पर उनके इस बयां पर वो रजाई ओढ़ कर सो गए होंगे .......................खैर मेरी सलाह यही है कि देश की महिलाये अगर अपने को सुरक्षित रखना चाहती हो तो उनके आश्रम में जाकर हाथ जरुर जोड़े वरना .......................१६ दिसम्बर कभी और कही भी हो सकता है

Wednesday, 2 January 2013

क्या पाओगे ?????????

जो खुद ही ,
टूट गया हो ,
अपनों से ,
छूट गया हो ,
उस फूल से ,
क्या भगवान पाओगे ?
अपनी ही ,
कृति को बर्बाद देख ,
तुमसे ही उसकी ,
मौत को देख ,
क्या भगवान से ,
कुछ भी करा पाओगे ?....................हम मनुष्य भी भगवान के प्रतिनिधि है पर क्या उनको तोड़ कर हम उस भगवान तक पहुच पाएंगे ???????????? अगर नहीं तो बदलिए अपने चारो तरफ .................शुभ रात्रि