Tuesday, 29 January 2013

हम्जन्संख्या नहीं मतदाता बढ़ाते है

आज एक सज्जन मुझसे पूछने लगे कि आप इतना कुछ लिखते रहते है पर कभी आप जनसँख्या पर भी लिखा करिए ................मैंने कहा शायद आपको पता ही नहीं कि इस देश में जनसँख्या कभी भी ज्यादा नहीं रही बस उत्पादन  नहीं कर पा रहे है तो सरकार इसको जनसँख्या का बढ़ना कह रही है ..................आरे आप पागल हो गए है क्या ???????????? एक अरब ३० करोड़ हो गए और आप कहते है कि जनसँख्या बढ़ी ही नहीं .................जी जी मैं सही कह रहा हूँ .देश कि जनता तो राज्य को सही करने के लिए जनसँख्या बढ़ा रही है .....और परेशानी की बात क्या है .सरकार के पास अनाज रखने तक की जगह है नहीं ......जनसँख्या बढ़ेगी तो लोग भूखे रहेंगे और जिन्दा रहने के लिए वह चोर बदमाश , बलात्कारी , डकैत बनेंगे ......................और फिर जायेंगे कहा .जेल और वह खिलायेगा कौन ?????? राज्य ......तो राज्य ने कितनी अकलमंदी से देश में बर्बाद हो रहे आनाज को खपाने का राष्ट खोज निकाला!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! क्या आपको मेरी बात समझ में नहीं आ रही आरे भाई ................जनसँख्या थोड़ी न इस देश में बढ़ रही है !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! यही तो जाति , धर्म  बढ़ रहा है और उसको जो लोग ढो रहे है उनको आप आदमी कहते है ..और इन्ही जाति, धर्म से तो जो असली जनसँख्या है वह विधान सभा , संसद में पहुचते है तो जनसँख्या कितनी हुई .बमुश्किल ३००० ....और आप कह रहे है कि जनसँख्या बढ़ रही है ...वह तो जाति धर्म को ढोने वाले मजदूर है जिनको मतदाता कहा जाता है ...........................आप इस तरह मुह क्यों बना रहे है ......................हम तो उस देश के जहाँ संघे शक्ति युगे युगे ................की बात कही जाती रही हो .वही जनसँख्या थोड़ी ना बढ़ रही है ........ये तो हम देख रहे है की हम अपना कितना वजन बढ़ाते चले जाये .कि पृथ्वी अन्तरिक्ष में गायब हो जाये ........................और इस जनसँख्या का एक फायेदा और है ...................जब इस दुनिया में खाना कही नहीं आपको मिलेगा तो .हम एक दुसरे के ही काम आयेंगे ...............परोपकार के लिए हमारा शरीर है ही ..............जब भूख लगे किसी आदमी को मार कर खा लीजिये ..क्योकि आप मनुष्य ही इतने होते जा रहे है कि जानवर तो रह नहीं जायेंगे और जानवर जब रहेंगे नहीं तो काम से काम उनकी याद में मनुष्य ही तो जानवर बन कर जियेगा..........तो आईये देश में जनसँख्या बढ़ने का ठेका लीजिये और हां ऐसे ही लडकियों कीअंख्या घटाते रहिये ...तभी तो एक और और पांच छह पति .......................जी जी मैं मजाक नहीं कर रहा .अगर विश्वास न हो तो जौनसार बावर जनजाति में चले जाइये ...वह एक पत्नी के ६-७ -८ पति मिल जायेंगे ..तो आप क्यों पीछे रहिये .आखिर आधुनिकता के लिए तो आप कुछ भी कर सकते है और आपके घर की लड़की के साथ कुछ ना हो पर दुसरे के घर की लड़की के साथ तो हम कुछ भी कर सकते है आखिर आपके घर का वंश चलना जरुरी है कि नहीं ????????????????? और जन वंश चलने के लिए लड़की ही नहीं मिलेगी तो क्या हुआ ......हम आप तो वसुधैव कुटुम्बकम की भवन असे जीते रहते रहे है ....और कहा भी गया है गरीब की जोरू सभी सरहज .....तो आइये सहकारी समाज बनाये और देश में भाई चारा बढ़ाने के लिए सहकारी बच्चे भी पैदा करे .....बुरा मत मानिये ..ये मैं नहीं कह रहा ...आप कर रहे है .पर आपको तो सच सुनने की आदत ही नहीं रही .....................आखिर कोई आप ही थोड़ी ना है जो इस सबक एलिए जिम्मेदार हैं ...जन सब कर रहे है तो आप क्यों ना करे ...................आरे सुनती हो ...........क्या पञ्च लड़की के बाद एक लड़का नहीं डौगी .....कैसे चलेगा मेरा नाम .आओ ना ....................जितनी देर करोगी .......मैं पिता उतनी ही देर में ...................क्या आप जनसँख्या बढ़ा ??????????????????क्षमा क्षमा .........................देश के प्रजातंत्र की मजबूती के लिए और विश्व के सबसे विशाल प्रजातंत्र बनान एक गौरव हासिल करने के लिए ........................कुछ योग दान कर रहे है ?????????? कितने लिख दूँ आपके नाम ..२/३/४/ या जब तक ताकत है तब तक ..आखिर हम ब्भातिये तो अंतिम दम तक लड़ते है ..............जय हिन्द

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