Wednesday 14 August 2013

अम्मा का पाक डे

आ रे आ रे आप कहा दौड़े चले जा रहे है ........................मैंने दौड़ते हुए कहा भैया भारत में जन्म लिया है तो बेगाने की शादी में अब्दुल्ला दीवाना तो होना चाहिए ना ...................मुझे दौड़ता देख वो भी दौड़ने लगे और पूछा क्या बात है पहेली मत बुझाइए ........मैं क्यों पहेली बुझा रहा हूँ ...मैं तो १५ अगस्त १९४७ में बनी पिक्चर बागबान देखने जा रहा हूँ ....चलिए चिलये आप भी देख आइये ................बागबान तो अभी बनी है आप क्या बे सर पैर की बात कर रहे है ???????????/ जी आज तो बाग़ बाण पिक्चर हॉल में दिखयी जा रही है .ये वाली पिक्चर तो १९४७ से पूरा देश बराबर देख रहा है ................मतलब !!!!!!!!!!!!! क्या आप मतलब मतलब  लगा रहे है ...................१९४७ में भी अम्मा को लेकर उसके बच्चे झगड़ मरे थे किसी मई के लाल में ताकत ही नहीं थी कि कोई अम्मा को पूरा रख पाता.....बस फैसला हो गया कि अम्मा का सर एक के पास और अम्मा का धड दूसरे के पास .....................आखिर हम ठहरे पक्के भारतीय जो .......वो क्या कहते है सर कटा सकते है पर सर झुक सकते नहीं ..........................अपना सर तो पत्थर का बनाये है और अम्मा को काट डाला आखिर दुनिया कैसे जान पाती कि हम अपनी अम्मा को कितना चाहते है ..........जान भले चली जाये पर हमारी आन कैसे जा सकती है.....हम भाइयो की लडाई में अम्मा को बेसहारा कैसे छोड़ देते ............इसका कोई मतलब थोड़े ही है कि अम्मा का सर किसके पास और धड किसके पास ...................मुह क्यों बना रहे है ??????????? यही ना कि फिर अम्मा जिन्दा कैसे बची जब सर ही अलग हो गया तो किसने कहा कि अम्मा जिन्दा बची और अम्मा बचे न बचे उनका मर शरीर तो हमारे पास है ...............देखो ना आज भी हम बिना सर के अपनी अम्मा को भारत माँ कहते है ..................अब आप कहेंगे कि हम लोग औरत की इज्जत नहीं कर पाते ....................तो ये आपके मन का फेर है हमने तो औरत के लिए क्या नहीं किया .................हम तो प्राण जाये पर बचन न जाये के लिए क्या नहीं करते ..............बताइए द्रौपदी की साड़ी भरी सभा में खीची जाती रही .............पर क्या मजाल जो किसने चू भी की हो ..क्यों करते आखिर दुनिया कहती कि एक औरत के लिए भाई ने भाई को मार डाला ...................औरत की भी कोई औकात है जो उसके लिए अपने बचन को भूल जाया जाये ..............औरत  तो न जाने कितनी मिल जाएँगी ........पर मर्द की जुबान का क्या होगा ...................अब आप समझ गए होंगे इस देश में १९४७ से बागबान पिक्चर कितने रिकॉर्ड तोड़ चुकी है .................जब देखिये अम्मा के सर और धड के बीच कौन हिस्सा किसके पास रहेगा ......इसके लिए न जाने कितने भाई खून से अपनी प्यास बुझा  लेतेहै ...........पर अम्मा के बटवारे से बही के घरो में ख़ुशी कितनी है ...............आज तो पाक के लिए दिन है आखिर अम्मा को पाक बना जो दिया पता नहीं अम्मा में कौन सी आशुद्धि थी जो उनको पाक बनाया गया 1४ अगस्त १९४७ को ................क्या आपने अम्मा के खून निकलते देखा था जब उनकी गर्दन काटी जा रही थी ................देखते कैसे आखिर अम्मा को बात कर ही तो हम ख़ुशी मना रहे थे .................और अम्मा को काटने का दुःख तो पागल करते है !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! क्यों क्यों मैं सही कह रहा हूँ ना ......आखिर हमको जन्म ही अम्मा के पेट को काट कर मिलता है ............जो जो देख कर पैदा हुए वही अगर असली में कह रहे है तो सही ही तो है ............अम्मा अगर पेट कर जन्म दे सकती है तो अगर हम उसको काट  कर सारे भाई  खुश है तो अम्मा को क्या हो गया ........................आप अम्मा को समझ ही नही  पाए ...........अभी तो हम अपनी ख़ुशी के लिए अम्मा के शरीर के टुकड़े टुकड़े करने वाले है  आखिर अगर अम्मा के बच्चे ही खुश नहीं रहेंगे तो अम्मा का मतलब क्या ???????????? क्यों क्या मई गलत कह रहा हूँ ......तो आप भी पाक हो जाइये और कह डालिए माँ तुझे सलाम ............अम्मा तुझे सलाम ....................तुझको काटेंगे .......तुझको बाटेंगे ..................और कहेंगे हैप्पी पाक डे.......................आखिर आप भी तो अम्मा के ही बेटे है ...............बताइए आपकी ख़ुशी के लिए अम्मा के जिस्म का कौन सा हिस्सा काट कर दूँ ..............और आप कह सके हैप्पी पाक डे .आरे भाई  पाक इस लिए  क्योकि अम्मा को काट के स्वतंत्र और राहत की सांस लेना पाक डे ही तो है तो आप भी कह डालिए १४ अगस्त को अम्मा देह तेरा पाक डे .................अच्छा चलते कही अम्मा को काटने वालो को छुरी की जरूरत न हो .मैं भी अम्मा का ????????????????????( व्यंग्य समझ कर पढ़ा जाये )

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