रुपये तो आवारा और गरीब आपने बनाया है ??????
उसी घर के बच्चे बर्बाद और गलत रास्तो पर ज्यादा चलते है जिनके माँ बाप या घर वाले बच्चो के ऊपर पर्याप्त ध्यान नहीं देते है ......................हो गया न रुपये के गिरने का कारण पता !!!!!!!!!!!!!!!!!! जब अपने घर वाले देशी के बजाये विदेशी ज्यादा खरीदेंगे और खायेंगे तो रुपये तो बर्बादी के रस्ते पर जायेगा ही ना ..................दाल चावल खाने से आपको उलटी होती है क्यों ???? खर के ढाई और घी में हीक आती है हा जानवर के चर्बी से बना घी का स्वाद ही कुछ और है ????? देशी दरजी के सिले कपडे पहनेगे तो मग्घा लगेंगे पर १०० रुपये की शर्त जब १६०० रुपये में माल से खरीदेंगे तब लगेगा कि भैया ने कुछ पहना .................देवी जी तो गर्मी से इतना बेहाल है कि आस्ट्रेलिया की ५० ग्राम की ड्रेस अगर १०००० बे यह न पहने तो उनका पसीना ही नहीं बना होता है !!!!!!!!!!!!!!!!!!!! सब कुछ यही रह जाना है पर सोने ने सबका सोना हरम कर रखा है ............अभी भी वक्त है रुपये के ऊपर ध्यान दीजिये अपनी आदत सुधारिए और कुछ घर का और देशी खाइए पीजिये पहिनिये ........नहीं तो रूपया इतना आवारा हो जायेगा कि इसको कोई जेल ( देश ) या पुलिस ( विश्व बैंक ) भी नहीं सुधार पायेगा......क्या आपको अपने घर में आवारगी पसंद है ?????????????????( व्यंग्य समझ कर पढ़िए )
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