Sunday, 5 February 2012

bhgwan kha gaye

भगवान भी अब कपडे पहनने लगा है ,
भगवान अब खाना भी खाने लगा है ,
भगवान भी हवा के लिए व्याकुल है ,
भगवान झुके सर देखने को आकुल है ,
भगवान भोर होने का इंतज़ार करता है ,
भगवान सोने का भी इकरार करता है ,
भगवान से अब  डर भी  लगने लगा है ,
भगवान अब जो  से मनुष्य बनने लगा है ,
भगवान को अमीर गरीब दिखने लगा है ,
भगवान अब अंधेरो से भी डरने लगा है ,
भगवान को सूखी रोटी नही सुहाती है ,
भगवान मोटर कारो में सजने लगा है ,
भगवान को भी अब सुख की चाहत है ,
एक झोपडी में कोई मन आज आहत है ,
कितना पुकारा अपने मरते बेटे के लिए ,
भगवान तो थे बैठे कही बिकने के लिए ,
भगवान मंदिर में बैठ तुम क्यों हो मौन
क्या देखते नही पुकारता है कौन कौन ,
जड़ चेतन लाचार दीन के तुम ही सहारा ,
पर आज इन सब का मन ऐसे क्यों हारा,
कही तुम भी उसी  मनुष्य के सर्व दाता हो ,
जो लूट घसोट भ्रष्टाचार के संग  आता हो ,
तब समझ गया आलोक कलयुग आ गया ,
नेता ही भगवान का अब हर पद पा गया ..................न जाने कितनी खाई हमने खीच दी है आदमी आदमी के बीच और चाह कर भी भवन इतना मौन हो गया है की देश के हर गलत आदमी नेता बन कर भगवान बन रहा है .अपर आप इसे रोक सकते है ...एक मत से नेता और भगवान में फर्क कर सकते है ...यही अखिल भारतीय अधिकार संगठन का प्रयास और पुकार है ..शुभ रात्रि

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