Thursday 9 February 2012

paap sar chad kar bolta hai

आज सुबह मैंने आप सब से कहा था कि मई राजनीति के दायरे में रहते हुए यह देखने की कोशिश करूंगा किया कारण है कि हमारे देश का पाप सर चढ़ कर बोलता है .........का कथन झूठा साबित हो रहा है जबकि पूरा भारत पिछ्हले ८ महीने से यही मान रहा है कि देश में भ्रष्टाचार है और उसके लिए सशक्त कानून  बनना  चाहिए और हम भारतीयों ने क्या नही किया ?????????????मतलब साफ़ था कि पा सर चढ़ कर बोला था कि हा हमने सरकार बन कर , नेता बन कर लूटा है , भर्ष्टाचार किया है ....हम सब स्वीकार करते है कि दागी मंत्री है ...फिर क्यों हम सब गुब्बारे में भरी हवा की तरह पिचक गए ??????????? क्या हमने कठपुतली बन कर आन्दोलन किया था .....क्या किसी ने हमें गुब्बारे की तरह फुलाया और उड़ने की शक्ति का एहसास कराया और फिर जब उसके मन में आया तो गुब्बारे (हमारी ) हवा निकल कर औकात बता दी ???????????क्या पाप को जन ने के बाद भी हमें उसे जीने की लत पद चुकी है ??????????क्या यह सच नही कि हम भारतीय पूरी तरह रेल गाड़ी के डिब्बे होते जा रहे है ....अगर कोई इंजन आकर हमें धकेल कर कही ले जायेगा तो चलेंगे वरना  हम मुर्दे कि तरह पड़े रहेंगे ??????? क्या हम ही जब अपने बारे में सोचते है तो खुद को भर्ष्टाचार में डूबा हुआ पाते है और हिम्मत नही कर पाते कि अगर राजनीति निर्मल हुई तो हम सब हमाम में ही नही हर दायरे में नंगे दिखाई देंगे ....................तभी तो इस देश में कभी रेल मंत्री रहे स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री ने एक रेल दुर्घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया था कि वो भी इस घटना के जिम्मेदार है ????????पर आज तो शायद ही कोई ऐसा मंत्री हो जो भर्ष्टाचार में लिप्त न पाया जा रहा हो ....अभी कर्णाटक में ही अश्लील फिल्म देखने के मामले में मंत्रियो का नाम आया पर .......इन सब में नेताओ का बेशर्मी की तरह कहना होता है कि मामला नयायालय में है और हमें उस पर पूरा भरोसा है .............यानि पाप सर चढ़ कर बोल रहा है पर न्याय व्यवस्था का हथियार हमें मजबूर करता है कि हम इनको अपने सीने से लगाये रखे ....पर हम आप तो जनता है बहुत कुछ कर सकते थे .....है ......चुनाव में हर समाज के नासूर को हार का रास्ता दिखा कर एक बेहतर संसद और विधान सभा बना सकते है .....लेकिन हम अगर ऐसा नही कर है तो क्या हमें पाप के सर चढ़ कर बोलने से कोई मतलब नही ?????????? राम कालीन और कृष्ण कालीन लोगो की तरह हम इंतज़ार में क्यों है किसी अवतार के ????जो हमें बचाएगा और एक बेहतर समाज को बनाएगा ...........प्रजातंत्र में तो रजा कोई भी बन सकता है ....और आप हम राम कृष्ण के वशज होने बाद भी चुनाव में कंस , रावन को नही मार रहे है ...........कही हम को गलत पता हो और रावन या कंस  हमारे आदर्श बन गए हो इसी लिए पाप से स्वर हमको सुनाई ही नही दे रहे है और पाप सर चढ़ कर नंगा नाच कर रहा है ...और उस नाच से बचने का सबसे सरल उपाए आपको लगता है कि जातिवाद , धार्मिक तुष्टिकरण , के आधार  पर हम अपना मत प्रयोग करके  उन्ही जिताया जाये जो आपके भर्ष्टाचार के पैमाने पर कम हो .......यानि पाप सर चढ़ कर बोलता है पापियो के नही बल्कि हमारे सर पर और हम पाप के सहारे जीने की खुद कोशिश करने लगते है ....आज से इस कहावत को बदलिए औ लोगो को बताइए कि पाप सर चढ़ कर पापिओ के नही बल्कि उनके सर चढ़ता है जो पाप को देख कर भी कहते है कि क्या हुआ अगर उम्मेदवार गलत है ....है तो अपनी  जाति का ...........अखिल भरिये अधिकार संगठन इसी जले को तोड़ने के प्रयास में है .....मत का प्रयोग करे अभिमान करे .....डॉ आलोक चान्टिया

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