आज
दिनाक २०-०२-२०१२ को विश्व सामजिक न्याय दिवस को अखिल भारतीय अधिकार संगठन
के केंद्रीय कार्यालय , इंदिरा नगर , लखनऊ पर १२.३० अपरान्ह पर शुरू हुई ,
कैंट क्षेत्र के विधान सभा क्षेत्र के उम्मेदवार श्री उमेश शुक्ल ने
सामाजिक न्याय के नाम पर दिए जाने वाले आरंक्षण पर प्रत्रिक्रिया देते हुए
कहा कि देश में आज आरक्षण के नाम पर इतना विभाजन हो चूका है कि छह कर के भी
एक पूर्ण भारत की कल्पना दूभर हो गई है क्योकि लोग समरसता से ज्यादा
विघटन फैला कर अपने मकसद को पूरा करने में लगे है जिस से सामाजिक न्याय को
क्षति ही ज्यादा हुई है , डॉ महिमा देवी ने कहा कि सामजिक न्याय के मामले
में औरत को महिला सशक्तिकरण का जो चहरा दिखा कर उसे घरो से बहर निकाला गया
वह इतना खोखला निकाला कि आज घर में काम करने वाली औरत से ज्यादा बहर काम
करने वाली औरत का शोषण हो रहा है और न्याय व्यवस्था इतनी जटिल कर दी गई है
कि एक पीड़ित औरत अपना शोषण करना ही ज्यादा उचित समझती है बजाये इसके कि वह
पूरी उम्र आवाज़ उठती हुए बिना किसी गरिमा के मर जाये , श्रीमती सोनिया
श्रीवास्तव ने कहा कि वह एक सरकारी महिला है पर हर बार इस बात का एहसास करा
दिया जाता है कि औरत पुरुष से नीचे या दोयम दर्जे पर ही खड़ी है और बार
बार इसी को देख कर औरत चुप हो जाती है , डॉ प्रीती मिश्रा , मानवाधिकार
विशेषज्ञ ने कहा कि सामजिक न्याय के नाम पर समाज के हर वर्ग में चेतना कुछ
इस तरह कि आ रही है कि लोग ज्यादा से ज्यादा शोषण करने लगे है , स्थाई
विकास का नजर अंदाज किया जा रहा है जिसका परिणाम आने वाली पीढ़ी को भुगतना
पड़ेगा , डॉ अंशु केडिया , उपाध्यक्ष , लुँक्टा ने कहा कि सामाजिक न्याय एक
ऐसी प्रक्रिया है जिस पर कुछ दिन तो संक्रमण के रहेंगे पर जल्दी ही इसके
सुखद परिणाम भी मिलेंगे , संदीप कुमार सिंह ने कहा कि बेरोजगारी इस बात को
बताने के लिए काफी है कि सामाजिक न्याय का स्तर क्या है ? अतुल कुमार सिंह
ने कहा कि मीडिया ने सामाजिक न्याय को बढ़ने के लिए अह्थक योगदान किया है ,
संगठन के अध्यक्ष डॉ आलोक चांत्टियाने कहा कि सामाजिक न्याय के लिए भारत
कभी से तैयार नही था , जाति व्यवस्था इसका जीता जगता उदहारण है , आज भी जिस
तरह से राजनीती ने विघटन की निति अपना रखी है उस से देश के इतने टुकड़े
भविष्य में हो सकते है कि पीढियों को यह भी जानना मुश्किल हो जायेगा कि
वास्तविक भारत कैसा था ??? उन्हों ने विश्व सामाजिक न्याय दिवस पर यही अपील
की कि पुरे विश्व में रंग भेद की निति का विरोध होना चाहिए और आदमी को
सम्मान रुपये और पद के बजाये इस लिए मिलनी चाहिए क्यों की हम सब एक ही
पूर्वज और मानव की संतान है , और जब तक यह भावना नही आएगी तब तक सामाजिक
न्याय की बात एक कल्पना से ज्यादा कुछ नही है .....इस मुले पर करीं ३५ लोग
उपस्थित थे जिनमे तरुण कुमार तेवरी , संदीप सिंह ,विष्णु प्रताप , विश्व
नाथ शालिनी गुप्ता , शिखा , शशांक , अंशुल , राजीव, संजीव , आदि लोग संगठन
के भी थे
प्रेषक
डॉ आलोक चांत्टिया
अखिल भारतीय अधिकार संगठन
प्रेषक
डॉ आलोक चांत्टिया
अखिल भारतीय अधिकार संगठन
No comments:
Post a Comment