Monday, 6 February 2012

chidya aur aurat

एक चिडिया उडी आकाश में ,
एक चिडिया उडी प्रकाश में ,
साँझ का मतलब जानती है ,
अंधेरो को भी पहचानती है ,
नन्हे पर लेकर ही जीती है ,
अजब सा साहस वो देती है ,
वो निकलना कब छोडती है  ,
अपने रास्ते कब मोडती है ,
तुम चिडिया से कम नही ,
क्या तुम में कोई दम नही,
बदल डालो अपना आकाश ,
बनो लो अपने नए प्रकाश ,
साँझ से पहले संभल जाओ,
पूरब की लाली फिर बन जाओ,
ना करो भरोसा नेता पर इतना,
दूर रहो उनसे भ्रष्टाचार से जितना ,
चिडिया बाज़ से निकल जाती है ,
परगंगा को मैला निगल जाती है ,
रात को आओ फिर से समझ ले ,
मुट्ठी में आलोक पूरब से ले ले ...........देश की स्थिति समझिये और एक नए भारत के निर्माण में , महिलाओ से सम्मान में अखिल भारतीय अधिकार संगठन के साथ मिल कार्य कीजिये ...अपने मत का प्रयोग कीजिये ...शुभरात्रि

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