Tuesday 7 February 2012

reality in election

आज मै आपको उस लेख की याद दिलाना चाहता हूँ  जिसमे मैंने लिखा था कि देश में राजनीति ने इस तरह अपना मकड़ जाल बना लिया है कि बिना पार्टी के निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले को सिर्फ चुनाव से १० दिन पहले चुनाव चिन्ह मिलता है और पार्टी के पास वर्षो से चुनाव चिन्ह होता है ..और यही बड़ा कारण है कि निर्दलीय जीत नही पते भले ही वो कितने काबिल क्यों न हो ...आज फिर कह रहा हूँ कि मीडिया भी निर्दलियो के लिए सचेत नही है ...वह भी टॉक शो के नाम पर बिना पैसा के चुनिन्दा पार्टियो के नेताओ को बुला कर उनका प्रचार करती है ..पता नही अन्ना की लड़ाई में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने वाले मीडिया ने खुद निर्दलियो को कोई महत्व क्यों नही दिया ..क्यों नही उनके टॉक शो कराये ..????????????क्या यह सब भरष्टाचार नही है ??????क्या हम सब मिल कर गणतंत्र का मजाक नही उड़ा रहे ???????? क्या इस देश में पार्टी से इतर कुछ है ही नही ..इसी लिए अन्ना भी चुनाव से किनारा कर गए ????????? क्या एक व्यक्ति के साहस का यही सिला है इस देश में कि उसके लिए न समय से चुनाव चिन्ह है और न ही उसके लिया टॉक शो है ....इस से अच्छा उदहारण और क्या हो सकता है इस देश में एक ईमानदार आदमी के विनाश का जब वो देश के सुधारने के प्रयास बिलकुल अकेला पड़ जाता है ..............और उसका हश्र देख फिर कोई ईमानदार आगे नही बढ़ता और साहस बढ़ता है पार्टी का ..और फिर हम ५ साल चिल्लाते है कि पार्टी बेईमान है .जब कि गलत हम है कि निर्दलीय कि उपेक्षा करते है ..आइये सही निर्दलीय उम्मीदवार को जिताए ..अखिल भारतीय अधिकार संगठन कि आपसे इस चनाव में यही विनती है .....डॉ आलोक चान्टिया

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