आज हग या यूँ कहे गले मिलन दिवस है ......कितना आजीब लगता है कि कल वादा दिवस था तो वादा किस बात का ...यही न कि यह दोस्ती हम नही छोड़ेंगे पर अगर यह दोस्ती है तो फिर आज मिलन दिवस किस के साथ और कैसा ...कम से कम लड़का से लड़का और लड़की से लड़की मिलने की बात तो नही ही की जा रही है वो बात दीगर है कि गे संस्कृति का भी पदार्पण हो चूका है और अभी उसके पावँ इतने नही फैले है कि हम सब मिल कर विपरीत सेक्स के बजाये सामान सेक्स पर आश्रित हो जाये ...यानि साफ़ है कि आज मिलाप दिवस एक लड़का और लड़की के बीच में ही संदर्भित है ......चलिए थोडा सहस और करके कल की बात आज ही कर लेते है क्यों कि कल किस (चुम्बन दिवस ) है फिर वही यक्ष प्रश्न सामने है कि किस या चुम्बन का अर्थ क्या लगाया जाये जब बात प्रेम और युवा के बीच आकर ठहर गई हो तो चुम्बन भी खा और कैसे पर प्रशन करना बेकार है .....पर यह सब करके हम युवा को क्या करने के लिए उकसा रहे है ....कल मैंने अपने लेख में खुल कर लिखा था कि किस तरह वैश्विक व्यवस्था और जनसँख्या की समस्या ने युवा को प्रेम का पाठ पढाया है और यही नही उसको बल देने के लिए १४ फ़रवरी को प्रेम दिवस का इतना प्रचार किया कि यह दिन खुलकर सेक्स और महिला के शोषण दिवस के रूप में सेक्स सम्बंधित सारी समस्यायों के उपाए के साथ सामने आया ,,,,बहुत से लोग यह कह सकते है कि ऐसा कह कर मैंने युवाओ कीबवाना को चोट पहुचाई है पर गर्भ पात केन्द्रों के आकडे और युवाओ में बढ़ते सेक्स पर शोध यही बताते है कि मै सिर्फ लेख लिखने के लिए यह सब नही लिख रहा बल्कि एक सच जो अभी आप भी मान जायेंगे ,,,,क्या आप बता सकते है कि कल यानि १३ को किस या चुम्बन दिवस मानाने के बाद १४ फ़रवरी को प्रेम दिवस वह क्या करके मनायेगा ...जिसको १३ को ही इस बात के लिए प्रेरित किया गया हो कि आज तो चुम्बन दिवस है उसे १४ को क्या करने के लिए उकसाया जा रहा है कहने कि जरूरत नही .......बस इतना कहूँगा कि आज एक जगह रस्ते में एक बोर्ड पर एक युवा को हस्ते हुए कंडोम पकडे दिखया गया था और वो कह रहा था कि साथ लेकर चले हो कंडोम अगर , मस्त से हो जाते है डगर .....क्या यही अंतिम सत्य का सन्देश १४ का भी है ...जिस देश में बसंत ऋतू जैसा पर्व रहा हो ....जहा काम देव , रति (सुन्दरता कि देवी ) कल्पना संस्कृति में हो wha के युवा को इस तरह से फर्जी १४ फ़रवरी की क्या जरूरत ???????????? जिस देश में yoni की puja hoti हो जहा पर shiv ling की puja hoti हो wha १४ fervery की क्या जरूरत ..........इस देश में तो radha krishan का प्रेम है ......जिस के लिए कहा jata है ....kahat natat rijhat khijat milat khilat lajiyat , bhare bhwan में karat है nainan हो sau बात .....जब हम ankho से सब kuchh samjhne की takat rhkte है तो चुम्बन , shareer , को बीच में la कर bhagwan के इस shareer को क्यों galat तरह से ganda kare ........aaiye हम प्रेम kre apni तरह से पाने देश के प्रेम को samjhe ...akhil bhartiye adhikar sangthan सिर्फ aapke सामने वो la रहा है जो shayad आप jan कर भी न soch pa रहे हो ......dr alok chantia
सार्थक प्रस्तुति ...
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