हम नमक हराम नही ..........नेता जी जिन्दा बाद
आज सुबह से ही लखनऊ में पानी बरस रहा है ...मैं नही जानता कि कौन पानी पानी हो रहा है पर लखनऊ जरुर पानी पानी हो रहा है ..........हर घर में पानी बिन बुलाये मेहमान की तरह घुसना चाहता है ......और वो देखिये गुप्ता जी बेचारे पानी को बाहर निकालने के लिए झाड़ू लिए जुटे है औत जुटे भी क्यों ना आखिर इनके क्षेत्र का सभासद यानि पार्षद कोई इनका गुलाम है जो इनके इलाके में नाली और नाला ठीक कराये ...और मैं क्या गलत कह रहा हूँ पूछिये क्या इनकी हिम्मत है की कभी उनसे पूछे कि आपने सड़क , नाली क्यों नही बनवाई ...आरे भाई माना जमींदारी ख़त्म हो गई पर राजनितिक जमींदारी तो चल रही है और इन्ही औकात प्रेम चंद के उपन्यास के नायक होरी से ज्यादा तो है नही जो प्रजातंत्र के आका से पूछ ले कि मुझको गुलामो की तरह क्यों रखा है ????????? आखिर हम भारत वाले अपनी विरासत को कभी नही छोड़ते तभी तो देश में सब बदल गया पर गुलाम की तरह रहना हम कैसे छोड़ दे .....आखिर अंग्रेज क्या कहेंगे .....कि सैकड़ो सालो तक गुलामी सिखाने के बाद भी ये गुलाम बनना भूल गए और कहते है अपने को जगद गुरु ....................ना ना भैया आप अगर पक्के भारतीय है तो ऐसी भूल कभी ना करियेगा कि पाने जन प्रतिनिधि से पूछ लीजिये कि हमको सम्मान जनक तरह से क्यों नही रहने देते ...................कहते है कि देश में मैला ढोने का काम खत्म कर दिया गया है ...और अब कोई मैला ढोने का काम नही करा सकता ................तो करने की जरूरत ही क्या है ....लीजिये आपके घर के सामने ही नाली में बहाए देते है .........और अब आप खुद नाली में उनको साफ़ करिए ....हो गया ना समानता का भारत ....हो गई न तबियत खुश ..........आखिर संविधान का उल्लंघन करने का पाप कौन करे .....वो देखिये ५ दिन से शर्मा जी के घर के सामने के नाले एक कुत्ता सड़ रहा है अपर इस से क्या कम से कम कोई पूछेगा की सदा कुत्ता कैसा लगता है उसकी महक ( बदबू कह नही सकता क्योकि शर्मा जी ५ दिन से उसके साथ रह रहे है ) कैसी होती है तो शर्मा जी सीना फुला कर बता तो सकेंगे की धन्य है हमारे जनप्रतिनिधि जिनके सहयोग से बिना किसी फीस और सिफारिश के आप को मरे कुते पर विशेषज्ञता मिल गई ...और आज के महगांई के ज़माने में अगर कुछ भी मुफ्त मिल रहा है तो यह भाग्य की बात है और देखिये न इसी लिए पूरा भारत कूड़ा प्रबंधन का केंद्र बन गया है ...कम से कम अमेरिका वालो को हम बता तो सकते है की कूड़े के साथ रहते रहते कैसे अपनी प्रतिरक्षण प्रणाली को बढाया या मजबूत किया जा सकता है ...और इसके लिए भारत सरकार को साधुवाद जिसने मुफ्त शिक्षा के महत्व को समझते हुए जनप्रतिनिधियों को आदेश दिया की आप सब अपने इलाके में इतनी गन्दगी फैलाओ कि एक भी भारतीय यह ना कह सके कि वो कूड़ा , मॉल मूत्र , नाली के सादे पानी , गन्दी सडको के बारे में निरक्षर है ......सबको साक्षर बनाइये ताकि हम पुरे विश्व में कूड़ा प्रबंधन का जिम्मा ले सके ...................लीजिये ....सिंह साहब आ रहे है ....पर ये क्या चिल्ला रहे है ......अच्छा अच्छा आपके घर के सामने अभी कूड़ा कम है .....खुले साड़ गाये बैल , सूअर , कुत्ते अपने माल करने नही आ रहे ....इस लिए सड़क कि गन्दगी के बारे में व्यवहारिक ज्ञान नही हो पा रहा है ...और आप निरक्षर रह जायेंगे ...............क्यों परेशान है आप सिंह साहब ....आपके जनप्रतिनिधि इस बार का सारा बजट खा कर आपके यह की इतनी दुर्दशा कर देंगे कि आप को फक्र होगा कि आप के कूड़ा प्रबंधन के ज्ञान के लिए इन भारत के सपूतो ने ....जी जी यही सपूत है ...कपूत तो आप है जो देश के लिए सोचते ही नही ...कम से कम ऐसे सपूतो के कारन दुनिया यह तो जान सकती है कि जंगलीपन का माडल कैसा रहा होगा ...नंगे लोग कैसे रहते होंगे .....भूखे लोग कैसे लगते है ..................आप तो सिर्फ चुप चाप कूड़ा प्रबंधन कि पढाई में लगे रहते है ...अच्छा बताइए कितने नौकरी वाले को आप जानते है ....पर कलमाड़ी , रजा , जैलैता , सुखराम , बंगारू लक्ष्मण को कौन नही जनता ??????????? तो हुए न ये लोग सपूत .....और अगर ये कॉपत आपको कभी लगते तो आप इनके विरुद्ध आवाज़ ना उठाते बल्कि इन्ही के कारन तो आप मलेरिया , डेंगू , हैजा , कैंसर सब के बारे में जान पा रहे है ............और तो और आप गंदे होते शहर के बारे में क्यों बोले आप कोई मेरी तरह पागल तो है नही ....कम से कम घर के सामने ही कूड़ा मिल जाने से आप घर बैठे बैठे कुटीर उद्द्योग चला सकते है ...... कूड़े से घर बैठे ही खाद बनाइये और बेच दीजिये ...हर्रा लगे न फिटकरी और रंग चोखा ..................गलती गलती हो गई ....मेरी जबान ही फिसल जाती है ....अब किसी से इस उद्द्योग के बारे में नही बताऊंगा वरना जन प्रतिनिधि आपकी उन्नति से जलने लगेंगे और कूड़ा आपके घरसे हटवा कर सुअरों के लिए डलवा देंगे और वो बस इसे लोट लोट कर बर्बाद कर देंगे ....न न आप इस अनोखे फायेदे को जरी रखिये ...और जन प्रतिनिधि से कुछ भी ना कहिये ...बनने दीजिये देश के पैसे उनके महल ...घूमने दीजिये उनको गाडियों में ....जमा करने दीजिये उनको स्विस बैंक में पैसा ............आखिर संतोषम परम सुखं और इस सुख का मजा तो आज तक वो गन्दा सा सूअर ले रहा था ...अब कम से कम अआप कूड़ा विशेषज्ञ है और खाद के व्यापारी अलग से ..............और आप तो तब बोले जब नेता ने कोई चोरी की हो ....देखिये न परसों ही तो रग्घू ने दुकान से भूख के कारण एक ब्रेड चुराई थी तो करीब ५० लोगो ने उसकी धुनाई की थी और पुलिस के हवाले कर दिया था ....आखिर इस देश में कोई चोरी कर पायेगा वो भी आप जैसे देश भक्तो के सामने ................साला १० रूपया उधार न चूका पाने वाला जगदीश यादव जी की दुकान के सामने से इसी लिए नही निकलता है ....कि कही वो पैसा ना मांग ले और फिर क्या मजाल इन जन प्रतिनिधियों कि जो देश का पैसा लेकर आप के सामने से निकल जाये ...............वो तो अआप नेता को कुछ इस लिए नही कहते कि वही पैसा का उपयोग करके ही तो यह शुभ दिन आपके जीवन के आया कि आप कूड़ा प्रबंधन सीख रहे है वो भी बिना पैसे के और तो और आपको इसके लिए बधाई कि अब आप कूड़ा साक्षर हो गये है ......वो लीजिये आपके नेता जी फिर जीत गये इस बार नगर पालिका चुनाव ......जीते क्यों नही आप कोई एहसान फरमोश तो है नही और ना ही धोखे बाज है ...आपने हमेशा इस देश में जो भी घुस कर आया उसका अतिथि देवो भव कह स्वागत किया है .......और भगवान का निरादर करना तो आप सपने में भी नही सोच सकते ....इसी लिए तो आपने अपने देश के बजाये अंग्रेजो का साथ ज्यादा दिया ....क्या अतिथि को देवता मानने की इस परम्परा का कोई मुकाबला कर सकता है दुनिया में ................तो करिए अपने अतिथि का सत्कार और कमाइए पैसा अपने घर के सामने लगे कूड़े से खाद बना कर ............आखिर देश में विदेश से पैसा लाने के लिए इससे अच्छा मौका बार बार नही मिलता .....वोट सिर्फ और सिर्फ उनको दीजिये जो आपके जीवन में हर तरह की गंदगी लाने में सक्षम है क्यों की आप भला तो जग भला ...........और आपको भी तो मरे सड़े कुत्ते पर शोध करने है तो नाला तो आपके घर के सामने होना चाहिए न ...........देखिये खी आपने किसी नेक और इमानदार को जीता दिया तो आपका काफी नुकसान हो सकता है .......इस लिए कसम खाइए भारत माँ की गंगा मैया कि जब तक दम में दम है हम सब गुद्रर में रह कर गुद्रर के लाल को जिताते रहेंगे .........................विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का आप भी हिस्सा बनिए और देखिये कि देश के जनप्रतिनिधि किस तरह रात दिन अपना खून पसीना बहा कर इस देश के लोगो को अंधरे , गन्दगी , पानी के बिना रहने का तरीका सिखाने में जुटे है और देश कि जनता उनके इस अभूतपूर्व योगदान का कर्ज उतार तो नही सकती पर इतना तो कर सकती है कि ऐसे सुअरों ????????? ये पूरी तरह गलत लिख गया कि हर बार अपने वोट से उनको ऐसे सुणदा काम करने का मौका देती रहे ...............आप सबको अनुपम देश भक्ति के लिए मेरा सलाम .............अच्छा कल मिलेंगे ..............शायद मेरे घर के सामने भी कोई मर कुत्ता आकर रुक गया है ....जरा मैं भी पढ़ लू ?????????????? डॉ आलोक चान्टिया
ाच्छा कटा़क्ष।
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