Friday, 27 July 2012

kya aap manushy hai


आप तो मनुष्य है ना ........................
आज एक कुत्ता अपने बच्चे को जो बार दौड़ कर सड़क पर चला जाता था , उसको मुह से पकड़ कर ले आता था और अगर कोई वाहन आता दिखाई पड़ जाता तो उसकी तरफ जपत उठता मानो कह रहा हो ...जानते नही यह मेरा बच्चा है कोई आदमी का नही जो सालो से कोर्ट इस लिए दौड़ता है कि उसका बाप उसको अपनी  औलाद मानने को तैयार नही है ...............खैर हमको पता है आज तक किसी आदमी ने कुत्ते को भूल से भी आदमी नही कहा होगा क्योकि हम अपने से किसी जानवर की तुलना कर भी कैसे सकते है ...............कुत्तो का अनाथलय कही आपको पता है ..पुरे मन से तन से जीते अपने बच्चो के लिए .जब तक रहते है दुनिया को दिल खोल कर बताते है कि देखो मै इस पिल्लै का बाप हूं और कोई मजक तो है नही अपनेको जानवर से अलग करना ...तो लीजिये हरम की औलाद की लाइन लग गई .....बस हो गए ना हम सन मनुष्य और जानवर से ऊँचे .................हा हा आपको को जानवर कहलाना कभी पसंद रहा भी नही कोई आप हम चार पैर पर चलने वाले जानवर है ....हम तो सर्कस के वो जानवर है जो दो पैर पर चल कर दिखा देता है ...अरे अरे वो देखिये देखि मेरी स्टोप्स गर्भपात क्लिनिक .वह क्या बात है ????????? हम कोई जानवर थोड़ी न है ...जो हम किसी को इस दुनिया में आने दे ...............और ना ही हम मशीन है ,,,,,,पर हम तो भगवन है जो अगर नही चाहेंगे तो कोई पैदा नही हो सकता ....वो देखिये शायद कूई भारत पुत्र या भारत पुत्री सड़क के किनारे ,,,कूड़े में ,,,,नाले में पड़ा है ...काश कुत्तिया के लिए भी को गर्भपात केंद्र होता तो उसको भी एक बार तो मनुष्य बन्ने का आनंद मिल जाता ....कितने पुण्य के बाद तो यह मानव शरीर मिलता है ..और उसके मिलने के बाद अगर कंडोम का प्रयोग ना कर पाए तो क्या फायेदा कम से कम कुत्ता कभी आदमी नही बन पायेगा .....बेचारा .......न जाने उसके पुण्य कब पूरे होंगे ...........लीजिये अब इनकी सुनिए कह रहे है ..आपको मनुष्य के लिए इतना गन्दा कहते हुए शर्म नही आती ????? मनुष्य के पास शर्म ही तो है .......इसी लिए तो जब देश के नागरिक आसाम में बेघर हो रहे थे ...४ लाख लोग विस्थापित हो हाय ५८ लोग मार दिए गए ...तब राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण समारोह चल रहा था ........अगर शर्म ना होती तो पाने ही देश के लोग के दर्द में ...मारे जाने के दर्द में शपथ ग्रहण रोक ना देते ........पर शर्म करे भी तो किस से संसद के आलवा पूरे भारतमे कीड़े मकोड़े रहते है .........अब आप को अपने मनुष्य होने का नशा चढ़ा है तो प्रजा तंत्र है जो चाहिए कह सकते है ......पर प्रजातंत्र में रहने वाला कुत्ता जनता है  ...कि उसने ऐसा कोई पुण्य नही किया जो अपने को मनुष्य कह सके ..मनुष्य जो है वो इस बात स्सेखुश है कि उनके बीच में कोई मनुष्य आज राष्ट्रपति बन गया ...अगर आप मनुष्य होते तो अंधे तो है नही आपके मत से जीते हुए संसद के लोग जो मरने वालो पर शोक न करते .....पर मनुष्य तो इंदिरा जी और राजीव जी थे जिनके मरने पर हर साल कोरोड़ो बहा कर याद किया जाता है ....क्या कभी किसी कुत्ते को मरने पर याद किया जाता है ...........खैर मत देने के समय आप दस्तावेजो में आदमी ही दर्ज है ....इस लिए आप को परेशान होने कि जरूरत नही है .........वैसे आप लगते आदमी ही है क्योकि लगातार अभ्यास करके आप को दो पैर पर चलने के काबिल बना दिया गया है ............लेकिन अगर प्रधानमंत्री कि गाड़ी निकल गयी .तो आप अगर अस्पताल न जाने के कारण मर गए तो कोई बात नही रोज सड़क पर न जाने कितने जानवर कुचल कर मर जाते है ....और किसी ने प्रधानमंत्री  से बिना पूछकर अस्पताल जाने को कहा था .............पर आप पाने को को न आदमी माने.............आप भी तो आदमी कि तरह ही खाते है ...........आज मुकेश अम्बानी के कुत्ते के लिए डॉक्टर लगा है जो खाना चेक करके कुत्ते ......माफ़ करियेगा  कुत्ते जी को खाना देता है ................और आप कही दीपक जला कर दिन भर पसीना बहा कर रोटी पका रहे होंगे ..........अरे भाई इसी से तो पता चलता है कि आप मनुष्य है वरना जीने का मजा क्या ..............वो बात अलग है कि शहर भर में जा जाने कितने कुत्ते खुले आसमान में सोते है ................आप तो इस लिए सोते है ताकि गाँव में पैसा भेज सके ......आप आदमी है और कर्म ही पूजा है ...........वो बात अलग है कि कुत्ता भी कर्म करता है ...और ज्यादातर आदमी पर ही भोंकता है ..........पर कुत्ता खुद उनको कहा आदमी मानता है ..वो तो उनको आदमी मानता है जिनके यहाँ पलता है ....पर कोई बात नही आप भारत में अपने को कुछ भी समझ सकते है ................हा हा आदमी समझने के कारण ही तो भर्ष्टाचार को आप समझ पाए ..वरना बेचारी गाये की क्या मजाल जो किसी मनुष्य का दूध दुह कर अपने बच्चो को पिला दे ..........आखिर आदमी ही किसी कि छातिका दूध निकल का अप्मने घर में चाय बना सकता है ............आप मनुष्य है ..खड़ा कर दीजिये बछेड़े को गाय के सामने ..बस देकिये गाय के थान से दूध बहने लगेगा ...और बन जाइये कॉम्प्लान बॉय .पर कुत्तिया के छाती से ६ बच्चे भी चिपके रहे तो वो सबको जिला लेती है ...पर माँ के दूध के बाद भी आपका बच्चा बिना गाय , भैस के दूध के जिन्दा ही नही रह पता ...आखिर मनुष्य कुछ तो अलग होना चाहिए न जानवर से .......जानवर क्या करते सिर्फ आप पर हमला करके मार कर खा लेते है ...पर आप जानवर थोड़ी ना है ...आप पहले उसको घर पर पलते है .....उसको प्यार करते है ...फिर एक दिन अपने घर में ही काट कर बना कर खा लेते है .............यह हुई ना मर्दों वाली बात ............अगर मनुष्य कहलाना है तो जानवर से हट कर तो करना ही पड़ेगा ..................अन्ना के लिए आप क्यों जिए ????? देश में भ्रष्टाचार क्यों मिटाए ??????????????? आखिर आप मनुष्य है ..अगर भर्ष्टाचार मिट गया तो लोग आपको अनवर नही कहने लगेंगे .......भला आपने कभी सुना कि शेर ने भर्ष्टाचार किया ..........और आप तो शेर कहलाने ...गलती क्षमा क्षमा ...शेर नही जानवर ...( शेर भी अपनी  बेइज्जती  सुनकर मुझको कच्चा खा जायेगा ) क्यों कहलायेंगे ...................भ्रष्टाचार करना तो आदमी अ ही काम है ...तो उसको तो जरी रहना ही चाहिए .................और सरकार क्यों माने आपकी बात अन्ना कि बात ....मतलब सरकार कि नजर में वैसे ही अन्ना और देश कि जनता कीड़े मकोडो से ऊपर नही है ......वो खुद अपने को मनुष्य मानती है ....और अब अन्ना भ्रष्टाचार खत्म करने को कह रहे है .................तो सरकार अपने मनुष्य होने के निशान भी खो दे ....न बाबा न ////सर कता सकते है लेकिन सरझुका सकते नही .......मनुष्य है मनुष्य रहेंगे ...इतनी मुश्किल से तो पहले मनुष्य का जन्म हुआ और फिर भ्रष्ट चार करके भारत में मनुष्य खुद को सिद्ध करने का मौका मिला ..............तो क्यों छोड़े ......और आसाम में लाशो को गिरते देख कर भी आंसू न गिरना भी तो यही बता गया ना कि वो जानवरों पर देश में शाशन कर रहे है ............................जी नही यह मैं नही कह रहा हूं ...यह तो आप कह रहे है ...क्यों कि आप मनुष्य है .................और मैं ....................हा हा हा जी जी अब क्या कहू आप तो कुछ ज्यादा ही समझदार निकले ...........आइये चले आज घसीटे राम को अपनी शानदार जीत पर  आसाम के लोगो के मरने पर शपथ लेना है ...कि मै देश का प्रथम  दूसरा ...तीसरा ...( पता नही कौन सा मनुष्य है यह ) नागरिक इस देश मनुष्य को जिन्दा रखने के लिए कुछ लोगो के बलिदान को हमेशा जरी रखेंगे ताकि देश में लोग कम होते रहे और कोई भोजन के बिना भूखा न रहे .....और अगर फिर भी भूखा रह जाता है ....तो जानवरों कि तरह हम अपनों को नोच कर नही खायेंगे  बल्कि अपनी त्याग कि नयी मिशाल कयाम करते कहे आप मारे गाये आदमियों ( जानवरों ) कि लाश के टुकड़े घर ले जाकर बना कर खाइए ...जिसे लाश को जलने कि समस्या से निजत मिलेगी ...प्रयावरण सुरक्षित रहेगा और आदमी भूखा भी नही रहेगा ....आखिर हको जानवर से कुछ हट कर रहना है ..ताकि हमको मनुष्य होने पर गर्व हो सके .................आप भर्ष्टाचार का विरोध नही कर रहे ...ओह हो ...आप तो मनुष्य है ................

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