आप को शायद ही इस बात की ख़ुशी होगी कि कल आप सबने मिल कर विश्व जनसँख्या दिवस मनाया ..........पर क्या कल कोई बच्चा पैदा नही हुआ ...............क्या आप पागल है जो दुनिया से आदमी का नामो निशान मिटा दे !!!!!!!!!!!!!!!!!! आरे बही हम सब पैदा करने के लिए ही तो दुनिया में आये है ....अगर पैदा करना बंद कर देंगे ....तो किस के लिए जियेंगे ...और फिर क्या दुनिया वालो को यह नही देखना चाहिए कि इस पृथ्वी के पास कितनी ताकत है या तो यह खुद मर जाएगी या फिर आदमियों के बढ़ते बोझ से अन्तरिक्ष में कही खो जाएगी ....और इस से बढ़िया और क्या बात होगी कि बिना पैसा लगाये आप किसी दूसरी आकाश गंगा को देख सकते है और जो लोग पैसा खर्च करके चाँद पर जाना चाहते है उनको भी बड़ी राहत मिलेगी .और मिलना भी चाहिए आखिर आदमी के इतने बड़े योग दान से भला कौन वंचित रहना चाहेगा .......बहिया जुटे रहिये मै तो कहता हूँ नौ महीने में बच्चा पैदा होना थोडा ज्यादा है .........वैज्ञानिको से कहिये कि इतनी खोज करने दिनिया कि माँ ...........................दी है अब कुछ ऐसा करो कि आदमी रोज बच्चा पैदा कर सके ताकि जल्दी ही पर्थिवी अन्तरिक्ष में खो जाये ........और जनसँख्या कि ब्रा बरी आज कोई जीव जंतु आप से कर भी नही पा रहा है .....आप तो दुनिया के चक्रवर्ती सम्राट है ...देखिये ना जाने कित्न्वे जीव जंतु कभी यह रहते थे यह भी जानना मुश्किल हो चुका है और जो बच गए है वह सभी किसी चिडिया घर में अपने वंश को बचने के लिए एडिया रगड़ रहे है ......बस चिति आप से हारना नही जानती .....न जाने कितने हो गई है .....तो लीजिये आप ने उसे कुचलने के लिए जनसँख्या इतनी बढ़ा दी कि आप का जीवन ही खुद चिति जैसा हो गया ....कोई भूख से मर जा रहा है तो कोई ननगा मर जा रहा है .....कोई नही नही हजारो रोज कुचल कर मर रहे है ...आखिर चीटी कि तरह मरेंगे नही तो लगेगा कैसे कि हम चीटी के बराबर हो गए है और फिर चीटी ही तो बरसात या मौसम परिवर्तन पर भोजन इकठ्ठा करती है .....तो आप उस से कौन पीछे है .....बस बटोर ही तो रहे है .....१०० आदमी का खाना आपके घर में और १०० आदमी घर के बाहर भूख से दम तोड़ते ...............जनसँख्या के बढ़ने से आप का क्या मतलब ....प्राकृतिक संसाधन कम हो रहे है तो हुआ करे ....हम सब से कागज के नोट बना लिए है ......जिस के पास कागज उस के घर रोटी .....और जब कोई कागज नही इकट्ठा नही कर पा रहा है ....तो उसको लंगड़े जानवर कि तरह ही शेर ....जी जी समाज द्वारा खा लिया जाना चाहिए ................लिए जनसँख्या के लिए कोई आप ही जिम्म्मेदार थोड़ी नही है ....और आप निरोध क्यों लगाये ...आखिर आप भगवन पर पूरा विश्वास करते है ....बस आप जुटे रहिये ...अगर भगवान् नही चाहता होगा तो आपके घर किलकारी तो गुजेंगी नही और वैसे भी भगवन ने आपके साथ कौन सा न्याय किया है ....................कुतिया , भालू , शेरनी सबके ४-५ बच्चे एक बार में और आप के ज्यादा तर एक और कभी कभी भूल से २ .तो आपके सामने जानवर भला कैसे आगे जा सकते है ....फिर आपको आदमी कौन कहेगा ????????????? जब आपसे ज्यादा कोई भी काम जानवर कर लेंगे ??????? तो फिर आपके इस दुनिया में सबसे बुद्धिमान होने का मतलब ही क्या ???????????बस जुटे रहिये और देखिएगा एक दिन आपकी ही विजय होगी ...और इस पूरी दुनिया में आपके सिवा कही कोई भी दिखाई देगा जी जी एक पत्ती भी नही ...आखिर आप मनुष्य है ......दुनिया आपकी है ....वो सब बेवकूफ है जो यह कहते है ...आपके कारण पृथ्वी खतम हो जाएगी .....सब ख़त्म हो जायेगा ....अरे सब कह्तं हो जायेगा तो हर तरफ आदमी तो होंगे ही ....जब भूख लगे नागिन कि तरह अपने बच्चे ...या कोई आदमी खा लीजिये ......क्या हम बकरी , ऊट , चीतल , बटेर नही खाते ....बस एक बार शुरू कर दीजियेगा बस कुछ दिन बाद आप खारे खून के भी आदी हो जायेंगे ......अच्छा मैं तो चला आखिर मैं भी तो मनुष्य हूँ ....आप का पता नही ...वैसे मनुष्य ना कहलाना आपको पसंद कब आया ......बधाई हो अभी अभी आप चाचा बन गेहे ....आप बाप बन गए ....आप मामा .....आप बुआ .....आप चाची.....आप ताई...............जनसँख्या जिन्दा बाद हम जल्दी ही दुसरे ग्रह पर पहुचने वाले है ......डॉ आलोक चान्टिया
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