Thursday 5 July 2012

lut sake to lut

आज लखनऊ में काफी समय के बाद पानी गिरा ....शायद आँखों का पानी अभी ऊपर वाले का नही सुखा और वह लोगो के गर्मी में झुलसते शरीर को नही देख पाया ..........वैसे मै लखनऊ की धरती पर आज ही वापस आया ..............वैसे भी लोग कहते है है कि झा पर अच्छे लोग जाते हा वह अच्छा ही होता है .............................पर आप क्यों उलटी करने लगे ????????क्या मै अच्छा नही हूँ ...जी जी जाकी रही भवन जैसी प्रभु मूरत देखि तीही तैसी ......पर अआप के पेट में दर्द इस लिए हो रहा है न क्योकि मैंने आपको अच्छा ख दिया और आपको पता है कि भारत में कोई अपने को अच्छा कहे ....लीजिये भाई साहब  ढूंढने लगे मेरे अतीत  के पन्ने .....मिला कुछ ....हा हा मिला गंगा का पानी निर्मल रहा खा कुछ न कुछ तो मिल जायेगा .....जूता मिला या किसी की सड़ी लाश ....पानी ही तो है ......देखिये समाज सेविओ के बल्ले बल्ले होने लगे ...बेचाहरे कितने समय से नारा लगा रहे थे की गंगा सफाई अभियान का हिस्सा बनिए ....बनिए ...बनिए ,,,आखिर ये कोई कम चुनौती है कि लखनऊ की आदि गंगा  में २७ नाले आपके यह के मल मूत्र लेकर हर दिन उसकी पवित्रता बढ़ा रहे है ...और फिर आप तो ऐसे देश के नागरिक है जहाँ ढूध का ढूध और पानी  का पानी करने का अमोघ वरदान आपको प्राप्त है .......खैर आपक पैसा कमाने का साधन तो मिल गया .....हा हा ...आप गलत समझ रहे है ...मै इस देश में नदी में फेके जाने वाले पैसे कि बात नही कर रहा हूँ ....आप ने भी फेका ....क्यों न फेके आखिर पुल से बस गुजरते समय अगर गिर गई तो कौन बचाएगा ...इतने पुन्य आपने किये नही जो आपको अपने या भगवन पर विश्वास हो ...इसी लिए आप जब भी बस ...ट्रेन , ट्रक पर बैठ कर नदी पार करते है तो ये ये ये डाला २ रूपया नदी ...जय गंगा मैया ....हमर रक्षा किया ...हम तो तुमारी ऐसी तैसी  कर दिया अपर हमारी नैया न दुबोय दियो .............और आप को पासा डालने कि आदत क्यों न हो आख़िर आपको घुस देकर सारा काम करने कि आदत है .....जरा मेरी बात पर अपना नीम खाया जैसा चेहरा देखिये ,,,,,जी मै आपको कुछ नही कह रहा ...मै तो गंगा मैया को  कह रहा  हूँ ...जो नम्बर एक कि घूसखोर है ...बिना  पैसा लिया पुल से भी पार नही होने देती ......चलिए आपको अपने को इमानदार सुन कर कीचड़ में कमल कि तरह चेहरा खिलाने का मौका तो मिला ......वैसे आपको पैसा क्यों डालते है ...क्या आपको पता है इस से देश के राजस्व को कितनी हानि होती है ??????????? पता नही आप जैसे सर फिरे इसको क्यों राजस्व की हानि बता रहे है ...आपके के कारन ही हमारा धर्म खत्म हुआ जा रहा है ....ऐसी चवन्नी जैसी बात करते रहे तो लीजिये देखिये चवन्नी की न जाने बाज़ार से कहाँ गायब हो गई .............क्या सरकार आपको अंधी लगती है ...कभी नदी में पैसा डालने के कारण कोई  गिरफ्तार हुआ ??????????? कोई कानून बना  ???  बस चले आइये फर्जी बात करने ....बिलकुल पढ़े लिखे जाहिल  लगते है आप ....अपने को क्या समझते है ...पर पर भाई साहब मै तो उस पैसे की बात कर रहा था जो सरकार ने गंगा के सफाई अभियान के लिए जारी किया है .......................और वह पैसा ....!!!!!!!!!!!! क्या वो वो पैसा लगा रखा है क्या आपक हम सब चोर लगते है जो गंगा सफाई के पैसे से अपना घर बनवा लेंगे या फिर अपनी बीवी को साड़ी खरीद कर देंगे ....आपको क्या लगता है की गंगा मैया के साथ हम दिखा करेंगे ....वो मैया है ....हम बच्चे है ...और माँ की गोद में मल मूत्र कर्ण अकों सी नयी बात है ...हा अब मैया के बच्चे ही इतने है की उनकी साड़ी ...ब्लाउज , हाथ पैर सब  गंदे हो गए तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ा ......आप ये क्यों नही कहते की हम जय से होनहार बच्चो को अपनों मैया के अंदर से बदबू दिखाई तो दे रही है वरना कौन आज के दौर में अपने माँ बाप के लिए जीना चाहता है ............आप जैसे बेगैरत लोग क्या जाने माँ का मतलब ...बस माँ पर ऊँगली उठाने  लगे ....जी मै तो कह रहा था ...की माँ की सफाई की याद बरसात में क्यों ????????????? तो तो क्या सूखे में मैया की सफाई करते .....कभी सूखे में मल मूत्र ढंग से साफ़ हो सकता है ....कैसे पागल लोग मिल जाते है .....जी जी मै वही कह रहा था की बरसात में गंगा की सफाई करने का मतलब क्या ..जब पानी के बरसने से ही नदी खुद साफ़ हो जाती है ....................एक आप ही अकल्मन्द है बाकि बारात के लोग तो मुर्ख है  है ना ....केवल आपको दिखने के लिए हम सब लोग बरसात में सफाई न करे ....किसके पास फुर्सत है ...जो पूरा दिन दे सके ...हा माँ है और माँ का मतलब भारत  वालो से ज्यादा कौन जानता है ???अब कहने को भी हो जायेगा की बच्चे नालायक नही निकले और मैया का दामन भी साफ़ हो  जायेगा .........पर मै तो कह रहा था की जब सब कुछ प्रकृति ही कर लेगी तो करोडो अरबो रूपया क्यों बर्बाद करना ....इस से तो देश और कंगाल हो जायेगा ..............क्यों कंगाल होगा ...आखिर ज रूपया हम सब मिल कर निगलेंगे वह क्या विदेशी लोग है ???????है तो भारत के ही लोग ....और क्यों एक आप ही काबिल है ...क्या हम लोग पैसा कमा नही जानते ...हम अंग्रेजो जैसे पागल नही है ...जो पैसे के लिए दूसरे देशो में भटकते रहे ...हम सब अपनों को लूटना जानते है हम दूसरे देश क्यों जाये जब अपना देश ही लूटने के लिए है और वैसे भी हम परहित सरस धरम नही भाई ....पर चलने वाले लोग है ...क्यों दूसरो को  कष्ट दे .....हम अपने को बर्बाद करके दूसरो को आबाद करते है ...परोपकराए थर्मिदम शरीरं .....यानि परोपकार के लिए ही शरीर है ............कोई यह तो नही कहेगा की गंगा साफ़ नही हुई ...गंगा भी साफ़ ...और जेब भी गरम ??????????? माफ़ करिए खजाना भी साफ़ ....क्या आप गंगा साफ़ करना चाहते है ....चलिए चलिए अम्मा की गोद में आप भी थोडा >>>>>>>>>>>>>>बदबू आ रही है ?????????? तो क्या हुआ इसी से तो आप बेटा बेटी बनेगे और पैसा भी अपना ........लीजिये फिर पानी गिरने लगा ....चलिए बहती गंगा में आप भी हाथ धो लीजिये ................शायद आपका हाथ ज्यादा गन्दा ??????????नही नही ज्यादा साफ़ है .............डॉ आलोक चान्टिया ....अखिल भारतीय अधिकार संगठन

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