जन्म दिन मुबारक हो .............आज सुबह से ही लोग इस बात की होड़ में लगे थे की कैसे वो साबित कर दे वह मुझसे ज्यादा नजदीक है ....मै भी बुढ़ापे में खुश था ...पर मै अपने को बूढ़ा क्यों कह रहा हूँ .......शेर कब बूढ़ा होता है ...और वो भी भारत का शेर ?????????????? जब चाहे मुह मार सकता ....हा हा आपको मेरी बात क्यों अच्छी लगने लगी ....जाकर जरा उन महिलाओ से पूछिये ...जो छेड़ छड से परेशान है ...और बच्चो से पूछिये .... २००७ की रिपोर्ट बताती है ५७% बच्चे घर के बूढों का ही शोषण का शिकार है .....अभी भी न समझ में आये तो दशरथ से पूछ लीजिये बुढ़ापे में शादी की थी ............पराशर मुनि ने सात्वती का शाशन बुढ़ापे में ही किया था ..............राजा ययाति ने अपनी बेटी बूढों को ही दान में दी थी .................अब ज्यादा दूर न जाइये ...रानी लक्ष्मी बाई की शादी कोई जवान से नही हुई थी .....खैर मै अपने जन्म दिन की बात करता हूँ ....बूढ़ा हूँ या नही फिर कभी लड़ लेंगे ...वैसे भी आप सब लोग मुझसे जलते है ....नही तो अब तक अविवाहित हूँ हूँ मुझको राष्ट्रीय पुरस्कार न दिला देते ....मेरी वजह से एक लड़की किसी दुसरे को मिल गयी वरण १००० पुरुषो पर ९३४ लडकिया है ...तो एक लड़के को तो अपने हिस्सा दिया की नही ...वैसे भी सरकार यह अंतर पाटने के लिए लडकियों को रोज समझती है कि पीटीआई जरा सा उची आवाज़ में बोले नही कि बस दहेज़ का वाद कायम कर देना .....इसी लिए तो सरकार दहेज़ खत्म नही कर रही ...दहेज़ होगा तो लड़की का शोषण होगा ...और शोषण होगा तो लड़की को सशक्तिकरण का भुत याद आएगा और वह तलक लेगी और फिर पुनर विवाह ...तो जिन लडको को लड़की मिलनी ही नही थी ....उनका भी तो चांस बन रहा है ....आखिर लड़की उपभोग कि ही वास्तु .........ओह ओह ....माफ़ी माफ़ी ....मेरे इतनी तुच्छ सोच के लिए माफ़ी ....औरत और आज के दौर में उपभोग कि वास्तु.....बल्कि उसने तो पहली बार अपनी कीमत गरिमा समझी है ....वो बात और है ....कि पुरुष का काम चल रहा है ......हा तो मै कह रहा था कि सरकार को मुझे इस बात के लिए भी अवार्ड देना चाहिए कि मैंने शादी नही की तो बच्चे नही पैदा हुए (....ज्यादा जोर मत डालिए दिमाग पर मुझे भी मालूम है कि बिना शादी के बच्चे पैदा हो सकते है ...पर मुझे नारायण दत्त तिवारी जैसी दुर्गति को नही प्राप्त करना है )...आखिर जनसँख्या को मैंने ही तो नियंत्रित किया ...................हा हो सकता है इस लिए नही दिया ...क्योकि अब लडकिया खुद यह नही जानती कि उन्हें किसी के साथ शादी करके कितने दिन किस पुरुष के साथ रहने है ...और पीटीआई भी बेचारा नही चाहता कि पत्नी रहे और माँ बने और फिर शोषण के नाम पर चलती बने ...और पुरे जीवन वह जितनी शादी करे सब के बच्चो का भर धोये .....हा हा हा ...मै वही कहने जा रहा था कि सरकार ने पति .पत्नी का यह दर्द समझ कर ही गर्भ निरोधक दवाए बाज़ार में उतारी है ...शादी का मजा भी लीजिये और भरण पोषण से भी बचे रहिये .....और सराकर तो इस देश में हमेशा से यह जानती है ....कि देवता वही निवास करते है ...जहा स्त्रियों की पूजा होती है ...और देवता कौन ................यही अपने पुरुष ...और पूजा का मतलब भी क्या बताऊ ...भाई आप घरेलु हिंसा पर अब मुझसे न कहलवाइए......पर सरकार की क्या मजाल जो देवता क नाराज कर दे ...इस लिए लड़कियो को सपना दिखा दिया ....आप कोई पुरुष से कम है ...आप घर से क्यों नही निकलती ...नौकरी क्यों नही करती ???????????? और बस देवता का काम हो गया ...गर्भ निरिधक ने बच्चा पैदा नही होने दिया ....और औरत यानि पत्नी की नौकरी से पुरुष मज भी ले और भरण पोषण से मुक्त ...क्या मै गाल्ट कर रहा हूँ ....कितना वधिया तरीका .....शादी खूब करिए ....तलाक लीजिये वो भी रोज ...और वो भी मुफ्त ....क्या फायेदा ...बलात्कार ...जोर जबरदस्ती के झंझट में पड़ने के ?????????????क्या मै किसी की पोल नही खोल रहा ....मै तो बता रहा था कि क्यों मेरे हर त्याग इस देश में बर्बाद हो गए ????????????काहिर मै कह रहा था कि मेरा आज जन्म दिन था ....यानि मै मौत के कुछ और करीब पहुच गया था और लोग मुझसे इतना छिड़ते है ...कि जिस देखो बस आपको जन्म दिन मुबारक कह रहा था मानो....ऐसा लगा कह हो कि अच्छा बेटा इस साल भी बच गए ...काहिर चलो मुबारक से दे पता नही अगले साल मौका मिले न मिले .........पर मै आज तक नही समझ पाया कि जन्म दिन मुबारक क्यों देते है.....हा आप क्या बता रहे है ????????? ओह हो पिछले साल से बच कर आप निकल आये इस लिए ....खैर इतनी खुदगर्ज दुनिया में ऐसा सोचना क्या गलत है ????????????? काश मेरा मृतु दिवस मन कर आप शुभ कामना देते .....जी जी आप को किसी को बुरा कहने की आदत नही है ...इसी लिए आप इस देश के किसी गलत काम पर न तो ऊँगली उठाते है ...और ना आवाज़ ..............आप तो जन्मदिन की तरह उन सारी मौत जैसी सच्चाई को सेलिब्रेट करते है .................आप क्यों कहे कि आप का दुनिया में समय ख़त्म हो रहा है ...कोई सारा ठेका आपने ले रखा है सच्चाई बताने का ........कौन देश हमारे बाप का है ???????????हम तो बस ये जानते है ...कि जब आपको ख़ुशी मिल सकती हा इहमारे झूट बोलने से तो क्यों न हम कहे जन्म दिन मुबारक हो ...............इस देश की खुशहाली भी टी तो आप जन्म दिन की ही तरह देखते है और कहते है ...हमारे देश से बढ़िया कोई मुल्क नही है ...............चलिए तो आप भी मुझे कह दीजिये जन्म दिन मुबारक ..............डॉ आलोक चान्टिया .........................
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