Wednesday, 13 June 2012

andhkar hamara swabhav hai

अंतस के तमस में ही दिल चल पाता है ,
गर्भ के अंधकार से जन्म कोई पाता है
नींद भी आती स्वप्न भी आते रातो में ,
कालिमा से निकल सूर्य पूरब में आता है ............................
अंधकार हमारा स्वाभाव है और प्रकाश हमारा प्रयास ....कोई भी दीपक अँधेरा नही फैलाता पर  दीपक के बुझते  ही  अँधेरा खुद फ़ैल जाता है ..अणि हमको अच्छे समाज से लिए निर्माण  करना है क्यों की गलत समाज तो हमेशा से ही है .......................शुभ रात्रि अखिल भारतीय अधिकार संगठन

No comments:

Post a Comment