विकास का भारत ???????????????
सड़क के किनारे ,
भारत माँ चिथड़ो में लिपटी ,
इक्कीसवीं सदीं में ,
जा रहे देश को ,
दे रही चुनौती ,
खाने को न रोटी ,
पहनने को न धोती ,
है तो उसके हाथ में ,
कटोरा वहीं ,
जिसके आलोक में ,
झलकती है प्रगति की ,
पोथी सभी ,
किन्तु हर वर्ष होता है ,
ब्योरो का विकास ,
हमने इतनो को बांटी रोटी ,
और कितनो को आवास ,
लेकिन आज भी है उसे ,
अपने कटोरे से ही आस ,
जो शाम को जुटाएगा ,
एक सूखी रोटी और ,
तन को चिथड़ी धोती ,
पर लाल किले से आएगी ,
यही एक आवाज़ ,
हमने इस वर्ष किया ,
चाहुमुखीं विकास ,
हमने इस वर्ष किया ,
चाहुमुखीं विकास ............................ देश में फैली गरीबी के बीच न जने कितने कटोरे से ही अपना जीवन चला रहे है जब कि देश के नेता विकास का ढिंढोरा पीट रहे है .क्या आप को ऐसा भारत नही दिखाई दिया ...डॉ आलोक चान्टिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन
सड़क के किनारे ,
भारत माँ चिथड़ो में लिपटी ,
इक्कीसवीं सदीं में ,
जा रहे देश को ,
दे रही चुनौती ,
खाने को न रोटी ,
पहनने को न धोती ,
है तो उसके हाथ में ,
कटोरा वहीं ,
जिसके आलोक में ,
झलकती है प्रगति की ,
पोथी सभी ,
किन्तु हर वर्ष होता है ,
ब्योरो का विकास ,
हमने इतनो को बांटी रोटी ,
और कितनो को आवास ,
लेकिन आज भी है उसे ,
अपने कटोरे से ही आस ,
जो शाम को जुटाएगा ,
एक सूखी रोटी और ,
तन को चिथड़ी धोती ,
पर लाल किले से आएगी ,
यही एक आवाज़ ,
हमने इस वर्ष किया ,
चाहुमुखीं विकास ,
हमने इस वर्ष किया ,
चाहुमुखीं विकास ............................ देश में फैली गरीबी के बीच न जने कितने कटोरे से ही अपना जीवन चला रहे है जब कि देश के नेता विकास का ढिंढोरा पीट रहे है .क्या आप को ऐसा भारत नही दिखाई दिया ...डॉ आलोक चान्टिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन
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