Wednesday 20 June 2012

andhera kayam ho

रोज की तरह राज्य की राजधानी में भी अँधेरा ...बिजली नही और मै बाहर खड़ा आकाश में कडकती बिजली की के सहारे पानी बरसने की बाँट जोहने वाले कर्ज में डूबे किसान की तरह बिजली आने की राह में पलके बिछाए  था कि बगल में रहने वाले गुप्ता जी ( भारतीय तो यह है नही )  तपाक से शायद समय काटने के लिए भारत में बिना पैसे के मनोरंजन के रूप में परपंच काफी प्रचलित है ...कहिये तो बातो बातो में अमिताभ बच्चन से अपने घर पर डांस करवा ले और आश्चर्य नही अगर प्रधान मंत्री से यह बर्तन न धुलवा ले ( भले ही एक सिपाही को देख पह सूखे में गीले का एहसास हो जाता हो )...काहिर बोले भाई साहब इस देश का भी पूछिये मत .......ये साला देश है जहाँ न ढंग से बिजली आती हो वहाँ तरक्की क्या खाक होगी .............पर जब उन्होंने बर्रे के छाते में हाथ दाल ही दिया था तो फिर मेरी सीधी बातो से कैसे बचते .......मैंने कहा बिलकुल गलत ...इस देश के नेताओ ने तो हमेशा से ही इस देश की संस्कृति की रक्षा की है .......आप गलत फहमी में है की वो लोग चाहते है की बिजली न रहे .....आरे भाई हमारे यह कहा जाता है न .......तमसो मा ज्योतिर  गमय ...यानि हमें अंधकार से प्रकाश की ओर चलना है और अगर अँधेरा होगा ही नही तो प्रकाश की ओर क्या खाक चलेंगे ....बस ये नेता पूरे देश के लोगो को अँधेरे में रख कर उनको अपनी संस्कृति से जोड़े हुए है ...........बही साहब आप भी मजाक अच्छा कर लेते है .......मजाक और मै ....इस देश  में मजाक मजाक में  पांडव पानी पत्नी हार जाते है .....मजाक मजाक में लोग जन ही नही पते की माँ या पिता बन गए है वो तो महीनो बाद उन्हें लगता है .......अँधेरे में उस दिन जो मजाक किया था ..उसके कारण अँधेरे में एक दिल धड़कने लगा है ......अँधेरा ही तो सब कुछ  है न विश्वास हो तो उर्जा मंत्री से पूछ लीजिये ........कहते है अगर अँधेरा न होता तो क्या लोग अन्तरिक्ष का आनंद ले पते और फिर आप तारे कैसे देख पाते........अँधेरे के कारण आप क्या कर रहे है  कोई सामने होकर भी जान नही सकता  पर देश की जनसँख्या छिपाना मुश्किल है .......यही कारण है की गाँव अँधेरे में डूबे है .........पर नेता तो कभी अँधेरे में रहते उनके घर तो जगमगते रहते है ..........न न न न ..ये आप क्या कह रहे है उन उल्लुओ ????????? माफ़ कीजियेगा नेता को रात में दिखाई देता है तभी तो रात में हर कम करते है | बल्कि ये तो अपने घरो में उजाला इस लिए रखते है ताकि रात में पतंगे और जुगनू अपने जीवन को न्योछावर कर करके इनको उजाले का मतलब बता सके ................अभी आज कल एक नेता रात के उजाले में जो किया थे उसको मानने को तैयार ही नही है और अपना डी एन ए टेस्ट करवाने तो राजी नही है ......बहिया ररत का अँधेरा जनता के घरो में दिलो में है नही  तो क्यों भाग रहे हो ..देश को आजादी रात में मिली ...देश आधी रात में बंटा, देहस में माँ का अंचल रात में उतारा गया और एक नेता जी तो कह रहे थे कोई मामूली बात थोड़ी न है हम कई मामलो में विश्व में आगे है ......हम लंगड़ो के मामले में सबसे आगे है .......कोढ़ी सबसे ज्यादा यही है और हां अंधे भी विश्व के सबसे ज्यादा यही है और फिर हम सब तो वसुधैव कुतुम्बुकम की भावना से जीते है अब अपने ही देश के लोगो को कैसे अलग समझ सकते है ...इस लिए देश के लोगो के हित और आपसी भाई चारा बनाये रखने के लिए पूरे देश को सरकार ने अँधेरे में रखने का फैसला किया है ताकि हम सब अन्धो का दर्द समझ सके और अन्धो की तरह ही रहे ..और रही नेता की बात तो इनको दिन में दिखाई नही पड़ता ..ए रात के उल ..... है अब आप ही बताइए सरकार क्या गलत कर रही जो आप को बिजली नही दे रही ..हमारा संविधान तक कलायन करी राज्य की संकल्पना की वकालत करता है और इस देश में तो कहा भी गया है .कि अंधेर नगरी चौपट राजा यानि जान हमर देश अँधेरे में होगा तो यह का राजा ( प्रधानमंत्री ) कैसा होगा ........चौ ..........बस बस बस मै समझ गया कि आप इस देश के अक्लमंद नागरिक है पर आप फिर भूल रहे है .कि जैसा राजा .वैसी प्रजा ...और अभी आप ही कह रहे थे कि राजा अँधेरे में चौपट ही होता है ,,,,,तो फिर देर किस बात की आइये चौपाटी पर बैठ कर चुस्की खाते हुए चौपट होने का आनंद लेते है .......सच मानिये इस देश में अगर अँधेरा खत्म हो गया तो उल्लुओ का क्या होगा और आपको दिन में तारे दिखाई देने लगेंगे तप क्या आप कुछ उल्टा पुलटा इस देश में चाहते है ..नही न यही तो देश प्रेम है ........अँधेरा कायम रहे ...संस्कृति कायम रहे ........नेता मर जाये .........ओह ...यह क्या कह गया ...मेरा मतलब अमर रहे .....वरना गाना कौन गायेगा ........हर डाल पर उल्लू बैठे है अंजामे गुलिश्तां क्या होगा ?????? भारत माँ की जाये अन्ध्रेरा कायम रहे .......कश्मीर से कन्या कुमारी तक ...........सरे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तान हमारा हम बुलबुले ..................संभल के भैया  कही फूट न जाये .........खैर हमें  पूरे  अंधरे की ही तलाश में ही तो है ....इस बार अँधेरे वाले को जरुर जितैयेगा ..........संसद में भी अँधेरा ...........खैर  वहा भी  तो अंधे ...मतलब अंधे  भी तो सम्मानित सांसद बन कर जा सकते है ........क्या आप अँधेरे के पक्षधर नही है????????? अखिल भारतीय अधिकार संगठन  









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