आज रात में होलिका ( महिला जो हिरन्य कश्यप की बहन थी ) जलाई जाएगी और कल
आप होली खेलेंगे,मै अखिल भारतए अधिकार संगठन आप सब को बधाई प्रेषित करता
हूँ पर आगे लिखी बातो को पढ़ कर सोचिये कि हम किध र जा रहे है ...पढेंगे न
इस भारत की सूरत .... , कितनी ख़ुशी की बात हम सब के लिए होगी कि जिस देश
में जिन्दा लड़की जला दी जाती है और हमारे ऊपर कोइफ्रक नही पड़ता , उसी
देश में एक महिला के होलिका कहकर जलने का तोय्हार काफी धूम धाम से मनाया
जाता है . शय हमारे मूल्य हमें प्रेरित करते है कि होलिका के प्रतीक के
रूप में हम सब हर बर्ष इस देश हजारो लडकिया दहेज़ के नाम पर जिन्दा जला
कर अपने पूर्वजो को सन्देश भेजे कि ऍम उनके कोई संस्कार नही भूले , पहले
विधवा कह कर मरे पीटीआई के साथ चिता पर जलने के लिए मजबूर करते थे पर
लोगो को लगा कि यह क्या पति के मरने के बाद पत्नी के जलने पर उसे (पति )
को क्या फायेदा मिलता है , इस लिए हम भारतीयों ने थोडा सा तबदीली कर ली
और जिन्दा पति के सामने ही पत्नी को जलने लगे टेक पति को फिर दूसरी पत्नी
, दहेज़ मिल सके ....यही तो वो मूल्य है जिस पर हम जगद गुरु कहलाते थे और
हमारे मूल्य सर्वश्रेष्ठ थे पर बात यही खत्म नही होती क्यों कि कल हमारे
देश में भी विश्व के अनेको देशो की तरह विश्व महिला दिवस मनाया जायेगा
....एक तरफ होलिका (महिला ) जल रही होगी और दूसरी तरफ हम महिला के लिए
गान गा रहे होंगे ...मै एक ऐसी महिला को जनता हूँ जिसकी सधिध्खे से एक
कोढ़ी से हो गई ...जब बारात दरवाजे पर आई तो लड़की के घर वालो को पता चल
गया कि लड़का वो नही है जिस से शादी तय हुई थी ...लड़की की विधवा माँ
बेहोश हो गई ...हाहा कर मच गया पर लड़की ने कहा कि अगर मेरे दरवाजे पर गलत
बारात आ भी गई है तो मै उसी से शादी करुँगी जो दरजे पर आया है , मै अपने
घर की बदनामी नही देख सकती और उनको ने शादी कर ली ....पूरा जीवन नरक बना
कर उन्हों ने पाने कोढ़ी पति की सेवा की ...लखेरा पति केलिए पढाई की
नौकरी कर के टीचर बनी और मुझे याद है की अपने उस नाकारा पति के मरने पर
वो कितना रोई थी ...यह करनी है लखनऊ के बहुत बड़े डॉक्टर के लड़के की
...डॉक्टर साहब के नाम रोड है अपर उन्हों ने एक लड़की का जीवन पाने पुत्र
के लिए बर्बाद कर दिए पर उस महिला ने कभी अपने पतीके लिए कुछ नही कहा
...क्या भारत का कोई पुरुशितना त्याग करके एक कोढ़ी लड़की से शादी कर सकता
है ....सिर्फ इतना सुन कर कि लड़की का शादी के पहले किसी के साथ उठना
बैठना था ...पुरुष शादी से इंकार कर देता है ...आप एक बार टी वि पर टाटा
स्काई का विज्ञापन देख लीजिये , अविवा का विघ्यापन देख लीजिये ..आप जान
जायंगे कि महिला को लेकर पुरुष का मानशिक स्तर क्या है ...अब आप को बताता
हूँ कि आज उस विधवा कि उम्र ८३ साल है और उसके गर्भ से एक सुंदर लड़के ने
जन्म लिया अपर बाद में उसे भी कोढ़ हो गया , मै अक्सर उनके पास जाता हूँ
तो उनकी बूढी आँखे मुझे देखकर कहती है कि जरा मेरा हाथ देखकर बताओ कि अभी
मै कितने साल और जिन्दा रहूंगी ...मै पूछता हूँ कि आप चल्तक नही पाती तो
अब क्यों जिन्दा रहना चाहती है ??????????????????????????? वो हस्ती है
और अपना ऐनक सही करके कहती है ...तुम तो जानते हो कि मेरा लड़का है और वह
भी कुछ नही कर सकता अपर मुझे पेंशन मिल रही है तो उसका जीवन तो चल रहा है
अगर मै मर गई तो मेरा बेटा मर जायेगा भूखो ...उसको खाना कौन देगा
??????उसके तो कोई पास भी नही आएगा .....अकसर मै उनकी बात सुनकर रो देता
हूँ क्यों कि उनके पुत्र कि उम्र ५० साल है और एक औरत ८० साल से ऊपर होकर
भी अपने लिए नही अपने पुत्र के लिए जीना चाहती है ...क्या कोई पुरुष इतना
नैतिक सहस रखता है और वही पुरुष एक औरत को जला देता है ....कैसा है ये
देश झा सुदर महिलाओ को पेस्ट करना और उसे लिखे करना ही लोग सोसिअल
नेट्वोर्किंग साईट का उद्देश्य समझते है और गंभीर मुद्दों के लिए उनके
पास समय ही नही है !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! कल महिला दिवस है और होलिका
के जलने का दिवस भी अपर अखिल भारतीय अधिकार संगठन आपके सामने यही यक्ष
प्रश्न रख रहा है कि औअर्ट के लिए हमारा विमर्श कब बदलेगा
??????????????वो कब कब पुरुष के बराबर की मनुष्य समझी जाएगी जबकि मेरी
ऊपर की सच्ची कहानी से स्पष्ट है कि महिला का मुकाबला आसन नही है पर आपके
पास तो ऐसे उदहारण ज्यादा होंगे जिसमे लड़की ने प्रेम में धोखा दिया होगा,
वैश्यावृति , कॉल गर्ल , में सलंग होगी अपर प्रश्न फिर वही है कि माहि
यह सब बनी किस के लिए ??????????????????????????????
शत नमन जिसने होलिका के रूप में जल कर भी समाज को ख़ुशी मानाने का मौका
दिया ...आईये हम भी तोधा अपने को तपा कर किसी महिला को हँसाने कोइ कोशिश
करे ...क्या आप करेंगे ऐसा ??????????????????????????????
अधिकार संगठन आप सभी को होली की शुभ कामना प्रेषित करता है और कामना करते
है कि जलती होलिका(महिला ) को देख कर हम महिला दिवस के सही मर्म को
समझेंगे ताकि हमारी ख़ुशी के लिए फिर पूरे वर्ष कोई महिला न जले
//////////// डॉ आलोक चान्टिया
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