सरकते काले आंचल से बंद आंखे ,
चांदी से बदन की पूरब की बाते ,
न जाने क्यों सुरूर में रही साँसे ,
आलोक तुम जल्दी क्यों नही आते ....................शुभ रात्रि
चांदी से बदन की पूरब की बाते ,
न जाने क्यों सुरूर में रही साँसे ,
आलोक तुम जल्दी क्यों नही आते ....................शुभ रात्रि
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