क्या आप अंधे है ??????????????????? मै और अँधा !!!!!!!!!!!!!!! अँधा होगा तेरा ................साले मै बिलकुल ठीक हूँ ...कैसे कहा तुने मुझको अँधा ....आरे आरे भाई साहब ...मैंने तो इस लिए कहा कि अभी अभी सफाई वाला सड़क साफ़ करके गया है और आप अपने घर का कूड़ा घर के बाहर फेक रहे है ...क्या हम सब को देश .....अबे देश देश किसको समझा रहा है ...बड़ा आया देश वाला क्या ...फायेदा इस देश को साफ़ करके .......हम दिल दिमाग सब से तो गंदे है ...और अब हम सबको गन्दगी में लोटने की आदत हो गई है .....रोज मै गोमती में मर कुत्ता , जानवर तैरता देखता हूँ क्या कभी उसको आप रोक पाए ... हम सब को बिना सड़े जानवर को पानी में डाले पानी का स्वाद ही नही आता है ...और आपको शायद नही पता हाकिंस ने हम भारतीयों के नेचर को समझ लिया था , इस लिए उसने ९१३२ में पहली बार वाराणसी में माँ ??????????? गंगा नदी में गन्दा नाला खुलवाया ...उसके बाद तो शहर वालो को पानी का स्वाद इतना भाया कि न जाने कितने नालो का मुख खोल दिया गया गंगा मैया में...................... पानी के ऐसे अद्भुत स्वाद की खबर जैसे ही देश में फैली मनो होड़ सी मच गई ..........अब देखिये अपने लखनऊ में ही २७ नाले मल मूत्र सड़े गले जानवरों के साथ आदि गंगा यानि गोमती मैया का अंचल गन्दा करते है पर क्या हुआ ...पानी तो बिलकुल टना टन स्वादिष्ट मिल रहा है .........आपने देखा कि कभी देश कि जनता ने कोई इतना बड़ा आन्दोलन किया हो कि नदियों का पानी क्यों गन्दा है .......ये लोग तो इतने पालतू हो गए है सरकार के, कि सरकार कह देती है कि गंगा के सफाई अभियान होगा ...बस इनकी छाती ठंडी हो जाती है ..........५ लाख अंग्रेजो के लिए यह स्वतंत्रता संग्राम करते है ...और करोडो भारतीयों के गंदे पानी से मुक्ति को ये कोई संग्राम न बना पाए .........बड़े आये सफाई का पाठ पढ़ाने वाले ..............भैया ये देश कीचड़ में ही कमल देखता है ...जब तक यह हर तरफ कीचड़ नही होगा ....कमल तो खिले गा ही नही ...................आप भी जाइये अपने घर का कूड़ा बाहर फेक दीजिये ताकि जल्दी कीचड़ ही कीचड़ हो जाये और कमल कि खुशबु फैले ....................और आपको शायद पता नही कि नेता खुद इस बात को समझ गए है , इसी लिए कौन अच्छा काम करना चाहता है .......देश के कोई नेता बलात्कार कर रहा है , कोई लुट रहा है , कोई पार्टी में तोड़ फोड़ कर रहा है ......अच्छा हुआ रावन जल्दी मर गया वरना ये तो उसको भी बहुमत से हटा कर खुद लंका बना देते और लंकापति बन जाते ........अच्छा हटिये मेरे लड़के को शु शु आ रही है ...और वो कह रहा है घर में नही सड़क पर ही करेगा ....जी जी बिलकुल बिलकुल ...आखिर होनहार विरवान के होत चिकने पात .............उसे भी तो कीचड़ में हो लोटना है ..........जी जी गधा नही है वो ...वो तो देश का सम्मानित नागरिक है ......जो कमल ढूंढने निकला है ...पर कमल भी तो कीचड़ में मिलेगा ........आप क्यों चौक रहे है .....क्या मै गलत कह रहा हूँ गंदगी हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है .......और हम ............आईये गंगा के कीचड़ में दुबकोइ लगा लीजिये ...क्या आप स्वर्ग नही जाना चाहते ...पर स्वर्ग तो इसी नरक से होकर जाता है ...यहा का आदमी .....बनाते रहिये मुंह .....झूठ को तो आंच लगती है ..... जी जी गंगा तेरा पानी अमृत झर झर बहता जाये............ वो देखिये देखिये अमृत अमृत ...मर कुत्ता भा जा रहा है ...पकड़ तो लीजिये ...वरना हम सब का उद्धार कैसे होगा ........ डॉ आलोक चान्टिया ,
सही जगह पर चोट की है आलोक जी आपने । अफ़सोस कि लोग ये नहीं समझते कि इसके लिए तो किसी कानून , किसी पुलिस , किसी सरकार की जरूरत नहीं है । कोशिश ये क्यों न की जाए कि गंदगी न फ़ैले , समस्या बनने से पहले उस पर काम किया जाए तो बात ही क्या । शैली ने प्रभावित किया । बधाई
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