हम सब नंगे ही तो है ....................ओह हो आप कह रहे है की नंगे तो हम हमाम में भी होते है ......पर मै तो उस कुदरत की बात कर रहा था जिस ने हम सब को नंगा ही भेजा है ..............खैर आप क्या समझेंगे मेरी बात क्या समझेंगे . वो तो भला हो मल्लिका शेरावत का जो समाज करने के लिए तैयार हो गई और फिल्म के माध्यम से हम को यही बताने लगी की हम सब नंगे ही तो है .........पर हम यह सब सीख कर करे भी क्या ...नंगापन कोई सीखने की चीज है .........बस आप सोच ले की मुझे नंगई करनी है पर ज्यादा प्रेषण ना होइए ...अगर आप इसी तरह प्रदुषण बढ़ाते रहे ...और पदों को काटते रहे तो वो दिन दूर नही की प्रथ्वी का तापमान इतना हो जायेगा कि चाहकर भी आप कपडे नही पहन पाएंगे ..और फिर पूरी दुनिया नंगी ही दिखाई देगी ......पर आपको इस तरह मल्लिका शेरावत , शकीरा के पेट पर लात नही मारनी चाहिए ...आप तो जिओ और जीने दो पर विश्वास करते हो ......आरे यार मल्लिका के लिए न चलो गाड़ी पर ...न काटो पेड़ ...कम से कम वो अपना पेट पालने के लिए जो कर रही है या दिखा रही है ....उसको खतम क्यों कर रहे हो ...........प्लीज मल्लिका के जीवन के लिए प्रयावरण को नुकसान न पहुचाओ ........गाँधी जी भी तो यही कहते थे कि जो भी करो ...यह देखो कि उससे समाज के सबसे कमजोर व्यक्ति को क्या लाभ पहुच रहा है ...........क्यों भूखे नंगो को आप बर्बाद करने पर लगे है ...........लोकतंत्र में इनको भी जीने का हक़ है .......मत काटिए पेड़ .......... मल्लिका और आप में फर्क क्या रह जायेगा ..आप भी नंगे और वो भी ..............लेकिन आपको किसी कि नौकरी या पेट पर लात मरने का हक़ नही है .............क्या आप पर्थिवी और मल्लिका दोनों को बर्बाद करना चाहते है ????????????? सिर्फ अपनी ख़ुशी के लिए .........क्या आप बेरोजगार तो नही ........जो मल्लिका को बर्बाद करने जा रहे है .......एक पेड़ फिर काटने जा रहे है .............अखिल भारतीय अधिकार संगठन ........डॉ आलोक चान्टिया
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