राष्ट्रपति और स्टाम्प पैड की खोज
मै भारत हूँ .........आप चौकिये नही क्योकि मै भारत इस लिए हूँ क्योकि मै अपना विभाजन द्देखता हूँ , देश से ज्यादा वोट की राजनीती के कारण जनसँख्या को वहा पंहुचा रहा हूँ जहा हर प्रगति के बाद भी गरीबी का जाल इसको हमेशा जकड़े रहेगा | सभी भारतीय भाई बहन कहकर हर दिन बलात्कार , लडकियों को अगवा करवाना हमारी शान बनती जा रही है | देश में समरसता से ज्यादा इस बात का ख्याल रखा जा रहा है कि प्रतिशत के आधार पर अनुसूचित जाति , जनजाति और पिछड़ी जाति कि जनसँख्या को आरक्षण के नाम पर साम्प्रदायिकता और विषमता की उस आग में झोक देना है कि भारत के लोग कभी इन झगडे से ऊपर उठ ही न पाए और ऐसे ही देश में राष्ट्रपति एक ऐसा नाम है जिसने आज तक जनमानस पर न तो कोई छाप छोड़ी है और न ही देश के लोगो में इस नाम को लेकर कोई उत्साह है | यह पद ठीक शादी के उस गौर गणेश की तरह है जिसको गोबर से बना कर सिर्फ रख दिया जाता है \ इसके लिए न तो कोई परेशान होता है और न ही कोई प्रयास करता दिखाई देता है | राष्ट्रपति पद का उपयोग अगर यह देश सबसे ज्यादा कर पाया है तो वह है देश के कुख्यात अपराधियों को फांसी से बचाने के लिए , जिसमे संविधान के अनुच्छेद ७२ में क्षमा याचना की जाती है | आपको शायद ही पता हो की वर्तमान राष्ट्रपति ने अभी ३० अपराधियो को प्राण क्षमादान किया है और सालो वादियो और न्यालायाय की म्हणत के बाद देश के प्रथम व्यक्ति ने उन्हें क्षमा कर दिया और इस लिए देश इस पद पर ऐसे व्यक्ति को बैठाना चाहता है जो अतंकवादियो , राष्ट्र के हितो के दुश्मन को क्षम प्रदान कर सके और उनके मानवाधिकारों की रक्षा कर सके | क्या देश ने राष्ट्रपति को सामान्य जनता के लिए इतना मजबूत क्षमादान करने का अधिकार दिया है ??????????????? क्या आपको लगता है कि क्षमादान के प्रयोग के प्रकाश में राष्ट्रपति का पद रबर स्टाम्प कहा जाना चाहिए ????????? हा जहा पर नेताओ के अधिकारों का मामला है वहा राष्ट्रपति रबर स्टाम्प ही है क्योकि नेता को इस देश के पसंद ही नही है कि वह कानून बनाये और उस पर कोई आपत्ति करे और इसी लिए राष्ट्रपति को भी उसने यह अधिकार नही दिया है कि उसके द्वारा संसद में बनाये गए किसी कानून पर राष्ट्रपति ज्यादा नुक्ता चीनी कर सके | ऐसे तानाशाह नेताओ के लिए राष्ट्रपति रबर स्टाम्प ही है | काश आना हजारे इस बात पर विचार कर पाते कि इस देश में राष्ट्रपति की बात जब नेता नही सुन पाते तो उनके भर्ष्टाचार की बात को यह के नेता कैसे पचा पाएंगे और इसी लिए अन्ना विरोध का सामना कर रहे है | खैर राष्ट्रपति की लाचारी के पीछे कारण अब आपको पता है | इस देश में युवाओ को कभी मौका नही मिला और अगर आप देखे तो युवा वही लोग राजनीती में है जो राजनितिक परिवार से सम्बंधित है | यानि इस देश में प्रजातान्त्रिक रूप से युवा को कभी मौका नही मिलता हा राजशाही परम्परा के अवशेष में यवा को राजनीती में देखा जा सकता है पर आज तक किसी राजनितिक परिवार ने अपने घर के किसी युवा को राष्ट्रपति बनाना चाहा हो यानि उनकी नजर में राष्ट्रपति बनना एक व्यर्थ का कार्य है | अगर ऐसा नही है तो क्या इस देश में आज तक ३५ वर्ष का कोई युवा राष्ट्रपति बना जबकि राष्ट्रपति बनने की न्यूनतम आयु ३५ वर्ष है | क्या आओ कोई ४० , ४५, या ५० वर्ष का राष्ट्रपति होना पता है | यानीस देश में उर्जावान व्यक्ति को राष्ट्रपति बनाना निषेध है और हर बार क्यों नेता अपने बीच में ही से राष्ट्रपति ढूंढते है क्यों नही देश की जनता से कोई राष्ट्रपति बनता है ???? हमारा सदेश टी एन शेषण को राष्ट्र पति बनाना नही चाहता है क्यों की चुनाव सुधार के स्वप्न में उनका चहेरा सामने आता है और अगर वह राष्ट्रपति हो गए तो देश के लोग राष्ट्रपति का भी मतलब जान जायेंगे | कलम जी एक बार राष्ट्रपति बने पर दोबारा क्यों नही बन सकते क्योकि उनकी सोच वैज्ञानिक है और देश को विद्ध्योत्मा का कालिदास चाहिए जो वही करे जो मंत्री , प्रधान मंत्री कहे और नेता को तो अब ये भी अखर रहा है कि प्रणव के रहते राहुल का प्रधानमंत्री बनान कठिन है इस लिए उनके राजनितिक जीवन को राष्ट्रपति बना कर खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है | मनमोहन सिंह का नाम भीसी लिए उछाला जा रहा है कि अब तुमहरा भी राजनीती जीवन समाप्त है | भारत में राष्ट्रपति राजनितिक सन्यास कि अवस्था है जब एक व्यक्ति की सक्रिय राजनीती को समाप्त कर दिया जाता है और इसी लिए राष्ट्रपति न तो मुलायम सिंह बनान चाहते है और ना ही मायावती | कितना आजीब लगता है कि एक अरब ३० करोड़ की जनसँख्या वाले देश में एक भारतीय को ढूँढना मुश्किल लग रहा है जो इस देश का प्रथम व्यक्ति बन सके | मैं एक यक्ष प्रशन देश के नेताओ से पूछना चाहता हूँ की मैं राष्ट्र पति क्यों नही बन सकता और आप मेरे नाम का समर्थन क्यों नही करना चाहते ?? क्यों नही नेता एक युवा को राष्ट्रपति बनाना चाहते ??? क्या क्षमा दान के अलवा राष्ट्र को बनाने के लिए एक राष्ट्रपति का कोई उयोग नही किया जा सकता ??????????? और अगर है और आपको मेरे नाम से नफरत है तो कम कम से वैज्ञानिक सोच वाले कलम साहेब को ही मौका दे दीजिये , कभी तो देश के लिए भी जी लीजिये और इस बार तो मौका है राष्ट्रपति चुनने का ...............की अआप नेताओ में नैतिक सहस बचा है ??????????????? डॉ आलोक चान्टिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन
मै भारत हूँ .........आप चौकिये नही क्योकि मै भारत इस लिए हूँ क्योकि मै अपना विभाजन द्देखता हूँ , देश से ज्यादा वोट की राजनीती के कारण जनसँख्या को वहा पंहुचा रहा हूँ जहा हर प्रगति के बाद भी गरीबी का जाल इसको हमेशा जकड़े रहेगा | सभी भारतीय भाई बहन कहकर हर दिन बलात्कार , लडकियों को अगवा करवाना हमारी शान बनती जा रही है | देश में समरसता से ज्यादा इस बात का ख्याल रखा जा रहा है कि प्रतिशत के आधार पर अनुसूचित जाति , जनजाति और पिछड़ी जाति कि जनसँख्या को आरक्षण के नाम पर साम्प्रदायिकता और विषमता की उस आग में झोक देना है कि भारत के लोग कभी इन झगडे से ऊपर उठ ही न पाए और ऐसे ही देश में राष्ट्रपति एक ऐसा नाम है जिसने आज तक जनमानस पर न तो कोई छाप छोड़ी है और न ही देश के लोगो में इस नाम को लेकर कोई उत्साह है | यह पद ठीक शादी के उस गौर गणेश की तरह है जिसको गोबर से बना कर सिर्फ रख दिया जाता है \ इसके लिए न तो कोई परेशान होता है और न ही कोई प्रयास करता दिखाई देता है | राष्ट्रपति पद का उपयोग अगर यह देश सबसे ज्यादा कर पाया है तो वह है देश के कुख्यात अपराधियों को फांसी से बचाने के लिए , जिसमे संविधान के अनुच्छेद ७२ में क्षमा याचना की जाती है | आपको शायद ही पता हो की वर्तमान राष्ट्रपति ने अभी ३० अपराधियो को प्राण क्षमादान किया है और सालो वादियो और न्यालायाय की म्हणत के बाद देश के प्रथम व्यक्ति ने उन्हें क्षमा कर दिया और इस लिए देश इस पद पर ऐसे व्यक्ति को बैठाना चाहता है जो अतंकवादियो , राष्ट्र के हितो के दुश्मन को क्षम प्रदान कर सके और उनके मानवाधिकारों की रक्षा कर सके | क्या देश ने राष्ट्रपति को सामान्य जनता के लिए इतना मजबूत क्षमादान करने का अधिकार दिया है ??????????????? क्या आपको लगता है कि क्षमादान के प्रयोग के प्रकाश में राष्ट्रपति का पद रबर स्टाम्प कहा जाना चाहिए ????????? हा जहा पर नेताओ के अधिकारों का मामला है वहा राष्ट्रपति रबर स्टाम्प ही है क्योकि नेता को इस देश के पसंद ही नही है कि वह कानून बनाये और उस पर कोई आपत्ति करे और इसी लिए राष्ट्रपति को भी उसने यह अधिकार नही दिया है कि उसके द्वारा संसद में बनाये गए किसी कानून पर राष्ट्रपति ज्यादा नुक्ता चीनी कर सके | ऐसे तानाशाह नेताओ के लिए राष्ट्रपति रबर स्टाम्प ही है | काश आना हजारे इस बात पर विचार कर पाते कि इस देश में राष्ट्रपति की बात जब नेता नही सुन पाते तो उनके भर्ष्टाचार की बात को यह के नेता कैसे पचा पाएंगे और इसी लिए अन्ना विरोध का सामना कर रहे है | खैर राष्ट्रपति की लाचारी के पीछे कारण अब आपको पता है | इस देश में युवाओ को कभी मौका नही मिला और अगर आप देखे तो युवा वही लोग राजनीती में है जो राजनितिक परिवार से सम्बंधित है | यानि इस देश में प्रजातान्त्रिक रूप से युवा को कभी मौका नही मिलता हा राजशाही परम्परा के अवशेष में यवा को राजनीती में देखा जा सकता है पर आज तक किसी राजनितिक परिवार ने अपने घर के किसी युवा को राष्ट्रपति बनाना चाहा हो यानि उनकी नजर में राष्ट्रपति बनना एक व्यर्थ का कार्य है | अगर ऐसा नही है तो क्या इस देश में आज तक ३५ वर्ष का कोई युवा राष्ट्रपति बना जबकि राष्ट्रपति बनने की न्यूनतम आयु ३५ वर्ष है | क्या आओ कोई ४० , ४५, या ५० वर्ष का राष्ट्रपति होना पता है | यानीस देश में उर्जावान व्यक्ति को राष्ट्रपति बनाना निषेध है और हर बार क्यों नेता अपने बीच में ही से राष्ट्रपति ढूंढते है क्यों नही देश की जनता से कोई राष्ट्रपति बनता है ???? हमारा सदेश टी एन शेषण को राष्ट्र पति बनाना नही चाहता है क्यों की चुनाव सुधार के स्वप्न में उनका चहेरा सामने आता है और अगर वह राष्ट्रपति हो गए तो देश के लोग राष्ट्रपति का भी मतलब जान जायेंगे | कलम जी एक बार राष्ट्रपति बने पर दोबारा क्यों नही बन सकते क्योकि उनकी सोच वैज्ञानिक है और देश को विद्ध्योत्मा का कालिदास चाहिए जो वही करे जो मंत्री , प्रधान मंत्री कहे और नेता को तो अब ये भी अखर रहा है कि प्रणव के रहते राहुल का प्रधानमंत्री बनान कठिन है इस लिए उनके राजनितिक जीवन को राष्ट्रपति बना कर खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है | मनमोहन सिंह का नाम भीसी लिए उछाला जा रहा है कि अब तुमहरा भी राजनीती जीवन समाप्त है | भारत में राष्ट्रपति राजनितिक सन्यास कि अवस्था है जब एक व्यक्ति की सक्रिय राजनीती को समाप्त कर दिया जाता है और इसी लिए राष्ट्रपति न तो मुलायम सिंह बनान चाहते है और ना ही मायावती | कितना आजीब लगता है कि एक अरब ३० करोड़ की जनसँख्या वाले देश में एक भारतीय को ढूँढना मुश्किल लग रहा है जो इस देश का प्रथम व्यक्ति बन सके | मैं एक यक्ष प्रशन देश के नेताओ से पूछना चाहता हूँ की मैं राष्ट्र पति क्यों नही बन सकता और आप मेरे नाम का समर्थन क्यों नही करना चाहते ?? क्यों नही नेता एक युवा को राष्ट्रपति बनाना चाहते ??? क्या क्षमा दान के अलवा राष्ट्र को बनाने के लिए एक राष्ट्रपति का कोई उयोग नही किया जा सकता ??????????? और अगर है और आपको मेरे नाम से नफरत है तो कम कम से वैज्ञानिक सोच वाले कलम साहेब को ही मौका दे दीजिये , कभी तो देश के लिए भी जी लीजिये और इस बार तो मौका है राष्ट्रपति चुनने का ...............की अआप नेताओ में नैतिक सहस बचा है ??????????????? डॉ आलोक चान्टिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन
इस समय सांडों कि लडाई देख रहे हैं आप - जरा दूर से देखिये -कलाम साहब चाहते हैं निर्विरोध चुनाव और वह इस ...
ReplyDelete