माही की औकात ...................तमाचा
आज भारत की सेना और पुलिस दोनों ने अपनी मर्दानगी का परिचय देते हुए माही के माता पिता को गुडगाँव में ८६ घंटे से बोरवेल में फंसी माही को बिना सांस के वापस कर दिया ....लगा मनो कह रहे हो देखिये आपकी बिटिया सांस के साथ अंदर गई थी और हमने बिना सांस के वापस कर दिया ....क्या कोई इतना बड़ा जादूगर हो सकता है ........वही एक दाल पर बैठा बंदर भी सेना और पुलिस की शेखी पर हसने लगा ..........यार तुम आदमी लोग भी पूरी तरह मेरी तरह ही हो .....द्देखो मुझे भी एक बार जंगल वालो ने राजा बनाया था और जब एक बार शेर ने बकरी के बच्चे को दबोच लिया और वह रोते हुए माही की माँ की तरह मेरे पास आई तो मैंने इस देश की पुलिस और सेना की तरह उससे कहा कि बस अब परेशान ना हो मै हूँ ना और कुछ देर बाद जब फिर बकरी ने कहा तो सेना के लोगो कि तरह बंदर भी कहता रहा बस अभी आधे घंटे बाद बच्चा आपके हाथ में होगा .........जब बकरी से रहा नही गया तो उसने चिला कर कख क्या कुछ करेंगे भी ....इतना सुनना था कि बंदर पेड़ पर चढ़ गया और इधर उधर कूदने लगा .....बकरी यह देख कर चिल्लाने लगी ...बंदर जी मेरे बच्चे की जान जा रही है और आप एक डाल से दूसरी डाल पर कूद रहे है ...बंदर ने तपाक से कहा कि मुझे जो आता है वही तो कर सकता हूँ ............और बकरी का बच्चा मर गया ............आप भी मेरी भाई ही निकले .....हा हा हा ..भारत में आदमी बंदर से ही बना है यह सिद्ध हो गया ...........पर माही के पिता का आरोप सुन कर कि डीजल माँगा गया और इस देरी के कारण माही भगवन से मिलने समय से पहले चली .....नेता जी बंदर कि तरह कूदने लगा ......बस लगने फर्जी आरोप .........कोई नही देखता कि कम से कम बच्चे बोरवेल में मर रहे है .....नदी में तो नही गिर रहे है ........और अगर हम लोग ही नए तरीके नही निकालेंगे तो देश कि आबादी का तो आप सत्यानाश कर देंगे ...........भूल चूक लेनी देनी कह कर काम चलन अहि पड़ता है .............बच्चो को मरने से बच्च्चाने से देश को क्या मिल रहा है ...मिड डे मील दो ....शिक्षा दो ...ऐसे आप का काम भी चल गया कि हम माता पिता बने थे और देश कि जनसँख्या भी रुकी रही ....यार वो वो बोरवेल वाला कहा है ....उसको ढूंढ़ कर लाओ ......उसने देश के लिए जो किया है उसके लिए राष्ट्र रत्न उसको मिलना चाहिए ........और आप लोग फर्जी देश पर सेना , पुलिस पर क्या आरोप लगा रहे है ...बच्चे तो भगवन कि मूरत होते है ...और मूरत ..सच्चे भगवान में समा गयी तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ा ........आप ही लोग तो कहते है राम नाम सत्य है ...सत्य बोलो मुक्ति है .....और सत्य का रास्ता देश की प्रगति से होकर जाता है ......और सबसे बड़ी बात की आप बच्चो को घर से निकलने ही क्यों देते है ......उसको चिडया घर के पिंजड़ो की तरह रखिये अब देखिये जो जानवर पिंजड़ो में बंद रहते है कितने सुरक्षित रहते है ??????? और अगर जीवन जीना है तो जानवर की तरह रहिये ....मेरा मतलनबी ...चिड़िया घर में रहने वाले जानवरों की तरह रहिये ...वैसे तो आप सबके घर का आकार कोई पिंजड़े से बेहतर नही है ...और हर समय सब एक दुसरे के सामने रहते है पर पिंजड़े में चीटी तो रखी नही जा सकती ..........मेरा मतलब बच्चे कोई चीटी से बेहतर है ...कब कहा निकल गए और कहा पिस गए पता ही नही चलता ....नेता के बच्चो को देखिये कुचल कर चले आयेंगे पर क्या मजाल कि कोई उनको कुचल दे ........आखिर माही के घर वालो ने जरा सरे बच्चे से लिमका बुक या गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड बनवाने के लिए क्यों बोरवेल में उतार दिया ....अब जब रिकार्ड बनाने का इतना शौक है तो उसके परिणाम को भी भुक्तो ...........आरे नेता जी क्या भौकते चले जा रहे है .....एक बच्ची को क्या क्या बना दे रहीइ है आप .....देखिये बकवास मत करिए ...मै वही कह रहा हूँ जो प्राथमिक जांच में आया है ........माही के माता पिता ने पैसे की लालच में नन्ही सी जान को खुद बोरवेल में उतारा और जब फंस गई तो अब देश , सेना पुलिस , को दोष दे रहे है ...........पर मै आप लोगो के दर्द को समझता हूँ और इसी लिए मोंटेक सिंह अहलुवालिया के गहन और मानवीय मूल्यों के आधार पर किये गए घोषणा कि शहरी लोगो प्रतिदिन ३२ रुपये में खर्चा चला सकते है ....मै यह खड़े और माही से प्रेम और संवेदना रखने वालो को १६ -१६ रुपये देने का ऐलान करता हूँ ताकि वो उसकी याद में एक समय का खाना सरकार के खर्चे से खा सके ...ताकि सरकार के लोक कल्याणकारी भावना को साबित किया जा सके और आपके पास भी सरकार के द्वारा प्रदत १६ रूपया महंगाई में आपकी कमर की हड्डी सीधी कर सके ........और मै माही के बलिदान और देश प्रेम को हमेशा याद रखूंगा जिसने कच्ची उम्र में प्राणों का त्याग करके इस देश को प्रदुषण से बचाया है क्योकि उसकी लाश को दफनाया जायेगा ...जलाया जा नही सकता ....उसकी वजह से जितनी लकड़ी बची और जितना दह संस्कार में खरचा बचा ...उसको भी बेकार नही जाने दिया जायेगा ...पुलिस वालो ने जितना तेल माही को निकालने में बहाया है उसको माही के पर्यावरण प्रेम के रूप पुलिस को वापस कर दिया जायेगा ......और यही नही माही के जल्दी मर जाने के कारण सरकार द्वारा जो पैसा उसके ६ वर्ष से १४ वर्ष तक मुफ्त शिक्षा पर बहाना पड़ता वह सब बचा कर उसने आर्थिक मंदी के समय देश को जो सहारा बचत करा के दिया है ...वह भी अनुकार्निये है ,...मै तो कहता हूँ की अगर आप में जरा सा भी देश प्रेम है या फिर अगर आपको माही ने प्रभित किया है ...तो उसके बलिदान को खाली ना जाने दे ...और ज्यादा से जायदा बच्चो को बोरवेल की ओर भेजे ताकि कम उम्र में देश के लिए जान देने वालो का एक नया रिकार्ड गिनीज बुक में शामिल हो और भारत उसमे अग्रणी हो और इस तरह रोज सैकड़ो ..हजारो बच्चो के बलिदान से शिक्षा , चिकित्सा , बाल श्रम और न जाने क्या क्या ....पर कितन पैसा बचेगा ...आप आज ही सारा काम छोड़ कर जोड़ने जुट जाइये ...और यह कोई कम बड़ी बात नही की हर बोरवेल में शहीद होने वाले बच्चे पर अपना दुःख दिखने पर आपको मिल जाये १६ रुपया बिलकुल मुफ्त .....और चाहिए तो इस को आप एक नौकरी के रूप में भी देख सकते है ...अगर राज आप इस तरह १० बच्चो के बलिदान में शामिल हुए तो १६० के अतिरिक्त १६ रुपये बोनस के मिलेंगे ...अब आप ही सोचिये ही महीने में कितने हो गए ...........नेता जी माही के शोक सभा में बोल रहे थे और कह रहे थे बताइए क्या मै गलत कह रहा हूँ ...देश पुलिस , सेना पर ऊँगली उठा कर समय बर्बाद करने से बेहतर है ...आप सब अपना कल बेहतर बनाइए और सरकार की स अनूठी बोरवेल बलिदान योजना का हिस्सा बनिए ..........नेता जी के सचिव ने टोका भी ,,,,आरे यह सब क्या कह रहे है ....नेता जी ने बुदबुदाते हुए खा ...बेवकूफ ......इस देश में भूख अक तमाचा ...कल का तमाचा ...भविष्य का तमाचा मार कर अंग्रेज , मुसलमान , हूण, शक , कौन नही अपना उल्लू सीधा कर गया यह के उल्लुओ .....मतलब देशवासियो से .....तुम परेशान न हो कल यह सब लाइन में लगे होंगे .....बस तुम पुरे शहर को बोरवेल से पटवा दो .............भारत माता की ..जय ...माही का बलिदान ...अमर रहे .........जैसा देश वैसा वेश ....और जैसा राजा ..वैसी प्रजा ..........तभी हल्ला उठा की रग्घू ने भूख से बेहाल होकर अपनी बिटिया को बोरवेल में फेक दिया है ..................और चिला रहा है ....लाओ लाओ १६ रूपया दे दो १६ रूपया दे दो ..............माही बिटिया अमर रहो ...तुम हम सब का रास्ता दिखाई गई ...आखिर ई देश में जिन्दा रहे के खातिर कुछ तो करे का है ना ..........नेता जी ना होते तो हम सन अँधेरे माँ रह जाते ..और माही बेचारी कबहू मुक्ति न पैती .....माही बिटिया अमर रहे ...नेता जी का सितारा बुलंद रहे ........कम से कम हम सब का जीवे की रह तो मिल गई ..........नेता जी खुश हो गए ...सचिव से बोले कल और बोरवेल खुद जाये ...2014 का चुनाव करीब है .........क्या माही इस देश में कभी दिखी आपको ??????????????? बोरवेल में देखा ???????? डॉ आलोक चान्टिया
आज भारत की सेना और पुलिस दोनों ने अपनी मर्दानगी का परिचय देते हुए माही के माता पिता को गुडगाँव में ८६ घंटे से बोरवेल में फंसी माही को बिना सांस के वापस कर दिया ....लगा मनो कह रहे हो देखिये आपकी बिटिया सांस के साथ अंदर गई थी और हमने बिना सांस के वापस कर दिया ....क्या कोई इतना बड़ा जादूगर हो सकता है ........वही एक दाल पर बैठा बंदर भी सेना और पुलिस की शेखी पर हसने लगा ..........यार तुम आदमी लोग भी पूरी तरह मेरी तरह ही हो .....द्देखो मुझे भी एक बार जंगल वालो ने राजा बनाया था और जब एक बार शेर ने बकरी के बच्चे को दबोच लिया और वह रोते हुए माही की माँ की तरह मेरे पास आई तो मैंने इस देश की पुलिस और सेना की तरह उससे कहा कि बस अब परेशान ना हो मै हूँ ना और कुछ देर बाद जब फिर बकरी ने कहा तो सेना के लोगो कि तरह बंदर भी कहता रहा बस अभी आधे घंटे बाद बच्चा आपके हाथ में होगा .........जब बकरी से रहा नही गया तो उसने चिला कर कख क्या कुछ करेंगे भी ....इतना सुनना था कि बंदर पेड़ पर चढ़ गया और इधर उधर कूदने लगा .....बकरी यह देख कर चिल्लाने लगी ...बंदर जी मेरे बच्चे की जान जा रही है और आप एक डाल से दूसरी डाल पर कूद रहे है ...बंदर ने तपाक से कहा कि मुझे जो आता है वही तो कर सकता हूँ ............और बकरी का बच्चा मर गया ............आप भी मेरी भाई ही निकले .....हा हा हा ..भारत में आदमी बंदर से ही बना है यह सिद्ध हो गया ...........पर माही के पिता का आरोप सुन कर कि डीजल माँगा गया और इस देरी के कारण माही भगवन से मिलने समय से पहले चली .....नेता जी बंदर कि तरह कूदने लगा ......बस लगने फर्जी आरोप .........कोई नही देखता कि कम से कम बच्चे बोरवेल में मर रहे है .....नदी में तो नही गिर रहे है ........और अगर हम लोग ही नए तरीके नही निकालेंगे तो देश कि आबादी का तो आप सत्यानाश कर देंगे ...........भूल चूक लेनी देनी कह कर काम चलन अहि पड़ता है .............बच्चो को मरने से बच्च्चाने से देश को क्या मिल रहा है ...मिड डे मील दो ....शिक्षा दो ...ऐसे आप का काम भी चल गया कि हम माता पिता बने थे और देश कि जनसँख्या भी रुकी रही ....यार वो वो बोरवेल वाला कहा है ....उसको ढूंढ़ कर लाओ ......उसने देश के लिए जो किया है उसके लिए राष्ट्र रत्न उसको मिलना चाहिए ........और आप लोग फर्जी देश पर सेना , पुलिस पर क्या आरोप लगा रहे है ...बच्चे तो भगवन कि मूरत होते है ...और मूरत ..सच्चे भगवान में समा गयी तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ा ........आप ही लोग तो कहते है राम नाम सत्य है ...सत्य बोलो मुक्ति है .....और सत्य का रास्ता देश की प्रगति से होकर जाता है ......और सबसे बड़ी बात की आप बच्चो को घर से निकलने ही क्यों देते है ......उसको चिडया घर के पिंजड़ो की तरह रखिये अब देखिये जो जानवर पिंजड़ो में बंद रहते है कितने सुरक्षित रहते है ??????? और अगर जीवन जीना है तो जानवर की तरह रहिये ....मेरा मतलनबी ...चिड़िया घर में रहने वाले जानवरों की तरह रहिये ...वैसे तो आप सबके घर का आकार कोई पिंजड़े से बेहतर नही है ...और हर समय सब एक दुसरे के सामने रहते है पर पिंजड़े में चीटी तो रखी नही जा सकती ..........मेरा मतलब बच्चे कोई चीटी से बेहतर है ...कब कहा निकल गए और कहा पिस गए पता ही नही चलता ....नेता के बच्चो को देखिये कुचल कर चले आयेंगे पर क्या मजाल कि कोई उनको कुचल दे ........आखिर माही के घर वालो ने जरा सरे बच्चे से लिमका बुक या गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड बनवाने के लिए क्यों बोरवेल में उतार दिया ....अब जब रिकार्ड बनाने का इतना शौक है तो उसके परिणाम को भी भुक्तो ...........आरे नेता जी क्या भौकते चले जा रहे है .....एक बच्ची को क्या क्या बना दे रहीइ है आप .....देखिये बकवास मत करिए ...मै वही कह रहा हूँ जो प्राथमिक जांच में आया है ........माही के माता पिता ने पैसे की लालच में नन्ही सी जान को खुद बोरवेल में उतारा और जब फंस गई तो अब देश , सेना पुलिस , को दोष दे रहे है ...........पर मै आप लोगो के दर्द को समझता हूँ और इसी लिए मोंटेक सिंह अहलुवालिया के गहन और मानवीय मूल्यों के आधार पर किये गए घोषणा कि शहरी लोगो प्रतिदिन ३२ रुपये में खर्चा चला सकते है ....मै यह खड़े और माही से प्रेम और संवेदना रखने वालो को १६ -१६ रुपये देने का ऐलान करता हूँ ताकि वो उसकी याद में एक समय का खाना सरकार के खर्चे से खा सके ...ताकि सरकार के लोक कल्याणकारी भावना को साबित किया जा सके और आपके पास भी सरकार के द्वारा प्रदत १६ रूपया महंगाई में आपकी कमर की हड्डी सीधी कर सके ........और मै माही के बलिदान और देश प्रेम को हमेशा याद रखूंगा जिसने कच्ची उम्र में प्राणों का त्याग करके इस देश को प्रदुषण से बचाया है क्योकि उसकी लाश को दफनाया जायेगा ...जलाया जा नही सकता ....उसकी वजह से जितनी लकड़ी बची और जितना दह संस्कार में खरचा बचा ...उसको भी बेकार नही जाने दिया जायेगा ...पुलिस वालो ने जितना तेल माही को निकालने में बहाया है उसको माही के पर्यावरण प्रेम के रूप पुलिस को वापस कर दिया जायेगा ......और यही नही माही के जल्दी मर जाने के कारण सरकार द्वारा जो पैसा उसके ६ वर्ष से १४ वर्ष तक मुफ्त शिक्षा पर बहाना पड़ता वह सब बचा कर उसने आर्थिक मंदी के समय देश को जो सहारा बचत करा के दिया है ...वह भी अनुकार्निये है ,...मै तो कहता हूँ की अगर आप में जरा सा भी देश प्रेम है या फिर अगर आपको माही ने प्रभित किया है ...तो उसके बलिदान को खाली ना जाने दे ...और ज्यादा से जायदा बच्चो को बोरवेल की ओर भेजे ताकि कम उम्र में देश के लिए जान देने वालो का एक नया रिकार्ड गिनीज बुक में शामिल हो और भारत उसमे अग्रणी हो और इस तरह रोज सैकड़ो ..हजारो बच्चो के बलिदान से शिक्षा , चिकित्सा , बाल श्रम और न जाने क्या क्या ....पर कितन पैसा बचेगा ...आप आज ही सारा काम छोड़ कर जोड़ने जुट जाइये ...और यह कोई कम बड़ी बात नही की हर बोरवेल में शहीद होने वाले बच्चे पर अपना दुःख दिखने पर आपको मिल जाये १६ रुपया बिलकुल मुफ्त .....और चाहिए तो इस को आप एक नौकरी के रूप में भी देख सकते है ...अगर राज आप इस तरह १० बच्चो के बलिदान में शामिल हुए तो १६० के अतिरिक्त १६ रुपये बोनस के मिलेंगे ...अब आप ही सोचिये ही महीने में कितने हो गए ...........नेता जी माही के शोक सभा में बोल रहे थे और कह रहे थे बताइए क्या मै गलत कह रहा हूँ ...देश पुलिस , सेना पर ऊँगली उठा कर समय बर्बाद करने से बेहतर है ...आप सब अपना कल बेहतर बनाइए और सरकार की स अनूठी बोरवेल बलिदान योजना का हिस्सा बनिए ..........नेता जी के सचिव ने टोका भी ,,,,आरे यह सब क्या कह रहे है ....नेता जी ने बुदबुदाते हुए खा ...बेवकूफ ......इस देश में भूख अक तमाचा ...कल का तमाचा ...भविष्य का तमाचा मार कर अंग्रेज , मुसलमान , हूण, शक , कौन नही अपना उल्लू सीधा कर गया यह के उल्लुओ .....मतलब देशवासियो से .....तुम परेशान न हो कल यह सब लाइन में लगे होंगे .....बस तुम पुरे शहर को बोरवेल से पटवा दो .............भारत माता की ..जय ...माही का बलिदान ...अमर रहे .........जैसा देश वैसा वेश ....और जैसा राजा ..वैसी प्रजा ..........तभी हल्ला उठा की रग्घू ने भूख से बेहाल होकर अपनी बिटिया को बोरवेल में फेक दिया है ..................और चिला रहा है ....लाओ लाओ १६ रूपया दे दो १६ रूपया दे दो ..............माही बिटिया अमर रहो ...तुम हम सब का रास्ता दिखाई गई ...आखिर ई देश में जिन्दा रहे के खातिर कुछ तो करे का है ना ..........नेता जी ना होते तो हम सन अँधेरे माँ रह जाते ..और माही बेचारी कबहू मुक्ति न पैती .....माही बिटिया अमर रहे ...नेता जी का सितारा बुलंद रहे ........कम से कम हम सब का जीवे की रह तो मिल गई ..........नेता जी खुश हो गए ...सचिव से बोले कल और बोरवेल खुद जाये ...2014 का चुनाव करीब है .........क्या माही इस देश में कभी दिखी आपको ??????????????? बोरवेल में देखा ???????? डॉ आलोक चान्टिया
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