किसको कहा आपने गधा ....................आपकी तो !!!!!!!!!!!!
आज निकाय चुनाव के लिए लखनऊ में वोट पड़ रहे है ...भाई मई भी कोई कम भारत का नागरिक मेरा मतलब भारतीय ना सही पर भारत वासी तो हूँ ही और इस लिए अपने जमींदार को .....हा हा भाई समझ गया की मुझ जैसे कम अक्ल को नही पता की जमींदारी प्रथा तो कब की ख़त्म हो गई ....पर क्या आप यही देश कर वोट नही देते की कौन आपकी जाति का है...किसको वोट देने से आपको भविष्य में फायेदा रहेगा और आपके काम चलते रहेंगे ....मैंने तो इसी लिए जमींदार कहा क्योकि रूप बदल गे अपर जमींदार साहब ....मेरा मतलब नेता जी के यहा दरबार तो आज भी लगता है .........जमींदार साहब के लिए अलग कुर्सी अलग हिसाब किताब ............खैर मै भी दौड़ा कि इस देश की सत्ता किसको सौप ( मुझे अपनी औकात पता है कि मै देश या शहर नही चला सकता और जो चला सकते है वो आप से श्रेष्ठ है तभी तो आप उनको चुनना चाहते है ...काम से काम हम एक जगह तो यह मान लेते है ...कि हम कितने बौने है इन नेताओ के आगे ) दूँ ......लाइन लम्बी थी और मै झट से करोडो शुक्राणुओं की तरह खड़ा हो गया ( मेरा मतलब है शुक्राणु तो करोडो निकलते है सृजन के लिए पर सृजन एक ही करता है ....अब पता नही इतनी लम्बी लाइन में देश के लिए कौन खड़ा था और वो एक पहचानना मुश्किल था ) लाइन लम्बी थी मैंने बुदबुदाते हुए कहा की ....गधो???????? के लिए सिद्ध करो कि मै देश के लिए जी रहा हूँ ....मुझसे सट कर खड़े एक व्यक्ति ....शायद गधे से ज्यादा प्रेम करते है टपक से बोल पड़े आपने गधा किसको कहा ....जी आप तो समझदार है ...आप जन्टर होंगे कि किसको गधा कहा ........जी मुझे पता है कि आप नेता को गधे कह रहे है पर ...न न भाई साहब क्यों गधो का अपमान कर रहे ...बेचारे रात दिन चुप चाप काम करते है ................क्यों उनको हरामखोरो के साथ बैठा रहे है ........क्या आप ने नेता को गाली दी ..... जी !!!!!!!!!!!!!!!! नेता को गाली क्या गाली का कोई मान सम्मान है क्या नही ....आपको क्यों लगता है कि नेता के लिए कोई शब्द अपनी क़ुरबानी देना चाहेगा ...........ये नेता तो कमल में कीचड़ है .......ओह हो मेरी जबुन को क्या हो गया है ???????? मतलब कीचड़ में कमल है .................पर कीचड़ में कोई मनुष्य क्यों रहना चाहेगा ................ये तो बस सूअर का काम है कीचड़ में लोटो और मस्त रहो पर कमल का अपना मजा है ...कीचड़ में भी रहो और खिले भी रहो ...इतना बेशर्म होना क्या ..मतलब साहसी होना कोई मजाक बात तो है नही !!!!!!!!! देखिये आप अपने को काबिल मत समझिये मै सब समझता हूँ कि आप क्या कहना चाहते है ????????? हे भगवन .......क्या यही वो एक शुक्राणु .....मेरा मतलब है देश भक्त है जो देश कि असलियत पहचानते है ......मैंने कहा देखिये आपको क्यों लगता है कि मै किसी को गधा कहूँगा ...और मनुष्य ने कुछ सोच कर ही गधे को गधा कहा होगा .......अगर कोई खासियत उसकी मनुष्य में है तो बुराई क्या है ..........क्या नेता आदमी ही हो सकता है ....आरे भाई नेता तो गधे में भी हो सकता है ...हो सकता है सभी गधो में कोई गधा ज्यादा अच्छा सोच पा रहा हो ....और बस इसी लिए उसको नेता चुन ले .........आप जानते नही हमारे देश में आंख बंद करके काम होता है .......मरे आदमी को फंसी कि माफ़ी संविधान के अनुच्छेद ७२ में मिल जाति है ...आप ही बताइए इस देश में मरे आदमी का इतना ख्याल रखा जाता हो वहा जिन्दा आसमी का कितना ख्याल रखा जाता होगा ...........क्या कहने की जरूरत है ...........और यही नही कई नबार तो जिन्दा को मार देते ...अब ऐसे देश में क्या कहू ................तभी एक गधा सामने से आता हुआ दिखाई दिया .......मैंने कहा भाईसाहब नाम लिया और राक्षस हाजिर .......पर इसका यहा क्या काम ...काम तो हम वोटर का है .......पर ठीक है चलिए वोट तो डाल ही दे .....यहा भी फर्जी चला आया ...गधा कही का ..........क्या गधा सिर्फ धोबी के यहा और कुम्हार के यहा पाया जाता है ????????? मतलब और किसी को इसकी जरूरत नही पड़ती .......पर गधे के साथ रह कर भी गरीब तो गरीब ही रह जाते है .....हा गधा वही खाता है जो उसे खाना है और मन नही माना तो गरीबो के घर से निकल कर आमिरो की बस्ती में घूम आया ...........गधा भो होता चालाक है ...दिखता है की मै तो कुम्हार , धोबी ( गरीब लोग) का हूँ और खाना और मस्ती आमिरो की बस्ती में ढूंढ़ता है .........चलो अच्छा है गधा दर्शन कही तो काम आ रहा है ...कोई नौकरी नही तो ....वोट की भीझ से सबसे आमिर बनता जा रहा है.....भीख से याद आया ...कि अभी कुछ दिन पहले अखबार में खबर आई थी कि एक भिखारी मर तो उसके पास लाखो रुपये निकले ....आपको सच न लगे तो गूगल पर ढूंढ़ लीजिये .........अब आप ही बताइए भीकह मांगने का कितना फायेदा है ......चाहे पैसा और चाहे वोट ...........न मांगिये आप अपने को फर्जी देश का स्वाभिमानी नागरिक कहते रहिये ....तो मरिये राणा प्रताप की तरह घास की रोटी खाकर ...........और भीख मंगेने वाले आपके सामने कार में निकलेंगे.......खैर आप प्रताप की तरह घोड़े पर चने वाले गधे के लिए ख्वाहिश क्यों करेंगे .........क्या आप लाइन में खड़े है वोट की ...देखिएगा .....कोई गधा दुल्लती न मार दे ...आखिर आप तो मनुष्य है ..............और मनुष्य कौन वाले ????????? रुखा सुखा खाई के ठंडा पानी पिऊ ....देख परे चुपड़ी मत ललचावे जिउ .............. संतोषम परम सुखं ...........देखिये संभालिये आपकी गाली में गधा घूम रहा है जो आपकी कहा कर अपना जीवन चलाने वाला है ..................रोज रोज .....महीने ...वर्षो ...या तब तक जब तक आप न चेते ...................
आज निकाय चुनाव के लिए लखनऊ में वोट पड़ रहे है ...भाई मई भी कोई कम भारत का नागरिक मेरा मतलब भारतीय ना सही पर भारत वासी तो हूँ ही और इस लिए अपने जमींदार को .....हा हा भाई समझ गया की मुझ जैसे कम अक्ल को नही पता की जमींदारी प्रथा तो कब की ख़त्म हो गई ....पर क्या आप यही देश कर वोट नही देते की कौन आपकी जाति का है...किसको वोट देने से आपको भविष्य में फायेदा रहेगा और आपके काम चलते रहेंगे ....मैंने तो इसी लिए जमींदार कहा क्योकि रूप बदल गे अपर जमींदार साहब ....मेरा मतलब नेता जी के यहा दरबार तो आज भी लगता है .........जमींदार साहब के लिए अलग कुर्सी अलग हिसाब किताब ............खैर मै भी दौड़ा कि इस देश की सत्ता किसको सौप ( मुझे अपनी औकात पता है कि मै देश या शहर नही चला सकता और जो चला सकते है वो आप से श्रेष्ठ है तभी तो आप उनको चुनना चाहते है ...काम से काम हम एक जगह तो यह मान लेते है ...कि हम कितने बौने है इन नेताओ के आगे ) दूँ ......लाइन लम्बी थी और मै झट से करोडो शुक्राणुओं की तरह खड़ा हो गया ( मेरा मतलब है शुक्राणु तो करोडो निकलते है सृजन के लिए पर सृजन एक ही करता है ....अब पता नही इतनी लम्बी लाइन में देश के लिए कौन खड़ा था और वो एक पहचानना मुश्किल था ) लाइन लम्बी थी मैंने बुदबुदाते हुए कहा की ....गधो???????? के लिए सिद्ध करो कि मै देश के लिए जी रहा हूँ ....मुझसे सट कर खड़े एक व्यक्ति ....शायद गधे से ज्यादा प्रेम करते है टपक से बोल पड़े आपने गधा किसको कहा ....जी आप तो समझदार है ...आप जन्टर होंगे कि किसको गधा कहा ........जी मुझे पता है कि आप नेता को गधे कह रहे है पर ...न न भाई साहब क्यों गधो का अपमान कर रहे ...बेचारे रात दिन चुप चाप काम करते है ................क्यों उनको हरामखोरो के साथ बैठा रहे है ........क्या आप ने नेता को गाली दी ..... जी !!!!!!!!!!!!!!!! नेता को गाली क्या गाली का कोई मान सम्मान है क्या नही ....आपको क्यों लगता है कि नेता के लिए कोई शब्द अपनी क़ुरबानी देना चाहेगा ...........ये नेता तो कमल में कीचड़ है .......ओह हो मेरी जबुन को क्या हो गया है ???????? मतलब कीचड़ में कमल है .................पर कीचड़ में कोई मनुष्य क्यों रहना चाहेगा ................ये तो बस सूअर का काम है कीचड़ में लोटो और मस्त रहो पर कमल का अपना मजा है ...कीचड़ में भी रहो और खिले भी रहो ...इतना बेशर्म होना क्या ..मतलब साहसी होना कोई मजाक बात तो है नही !!!!!!!!! देखिये आप अपने को काबिल मत समझिये मै सब समझता हूँ कि आप क्या कहना चाहते है ????????? हे भगवन .......क्या यही वो एक शुक्राणु .....मेरा मतलब है देश भक्त है जो देश कि असलियत पहचानते है ......मैंने कहा देखिये आपको क्यों लगता है कि मै किसी को गधा कहूँगा ...और मनुष्य ने कुछ सोच कर ही गधे को गधा कहा होगा .......अगर कोई खासियत उसकी मनुष्य में है तो बुराई क्या है ..........क्या नेता आदमी ही हो सकता है ....आरे भाई नेता तो गधे में भी हो सकता है ...हो सकता है सभी गधो में कोई गधा ज्यादा अच्छा सोच पा रहा हो ....और बस इसी लिए उसको नेता चुन ले .........आप जानते नही हमारे देश में आंख बंद करके काम होता है .......मरे आदमी को फंसी कि माफ़ी संविधान के अनुच्छेद ७२ में मिल जाति है ...आप ही बताइए इस देश में मरे आदमी का इतना ख्याल रखा जाता हो वहा जिन्दा आसमी का कितना ख्याल रखा जाता होगा ...........क्या कहने की जरूरत है ...........और यही नही कई नबार तो जिन्दा को मार देते ...अब ऐसे देश में क्या कहू ................तभी एक गधा सामने से आता हुआ दिखाई दिया .......मैंने कहा भाईसाहब नाम लिया और राक्षस हाजिर .......पर इसका यहा क्या काम ...काम तो हम वोटर का है .......पर ठीक है चलिए वोट तो डाल ही दे .....यहा भी फर्जी चला आया ...गधा कही का ..........क्या गधा सिर्फ धोबी के यहा और कुम्हार के यहा पाया जाता है ????????? मतलब और किसी को इसकी जरूरत नही पड़ती .......पर गधे के साथ रह कर भी गरीब तो गरीब ही रह जाते है .....हा गधा वही खाता है जो उसे खाना है और मन नही माना तो गरीबो के घर से निकल कर आमिरो की बस्ती में घूम आया ...........गधा भो होता चालाक है ...दिखता है की मै तो कुम्हार , धोबी ( गरीब लोग) का हूँ और खाना और मस्ती आमिरो की बस्ती में ढूंढ़ता है .........चलो अच्छा है गधा दर्शन कही तो काम आ रहा है ...कोई नौकरी नही तो ....वोट की भीझ से सबसे आमिर बनता जा रहा है.....भीख से याद आया ...कि अभी कुछ दिन पहले अखबार में खबर आई थी कि एक भिखारी मर तो उसके पास लाखो रुपये निकले ....आपको सच न लगे तो गूगल पर ढूंढ़ लीजिये .........अब आप ही बताइए भीकह मांगने का कितना फायेदा है ......चाहे पैसा और चाहे वोट ...........न मांगिये आप अपने को फर्जी देश का स्वाभिमानी नागरिक कहते रहिये ....तो मरिये राणा प्रताप की तरह घास की रोटी खाकर ...........और भीख मंगेने वाले आपके सामने कार में निकलेंगे.......खैर आप प्रताप की तरह घोड़े पर चने वाले गधे के लिए ख्वाहिश क्यों करेंगे .........क्या आप लाइन में खड़े है वोट की ...देखिएगा .....कोई गधा दुल्लती न मार दे ...आखिर आप तो मनुष्य है ..............और मनुष्य कौन वाले ????????? रुखा सुखा खाई के ठंडा पानी पिऊ ....देख परे चुपड़ी मत ललचावे जिउ .............. संतोषम परम सुखं ...........देखिये संभालिये आपकी गाली में गधा घूम रहा है जो आपकी कहा कर अपना जीवन चलाने वाला है ..................रोज रोज .....महीने ...वर्षो ...या तब तक जब तक आप न चेते ...................
वाह कमाल धमाल शैली है आपकी प्रवाह ने बांधे रखा । बहुत ्खूब
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