Sunday 8 July 2012

kya aap bhartiye hai ????????????


आप भारतीय है न ...तो शरणागत  कि रक्षा कीजिये
क्या आप रत्नाकर डाकू है .......तब तो आप बाल्मीकि बन सकते है ?????? क्या आप जोरू के गुलाम है ?????मतलब  आप अपनी पत्नी के हाड़ मांस के लिए पागल हुए जा रहे है ...वाह तब तो आप गोस्वामी तुलसी दास बनने जा रहे है | आप बेकूफ है आपको कुछ आता जाता नही तो क्या हुआ ...बस किसी के ब्रह्मण के नजर में चढ़ जाइये ...जी जी ...सही काह रहा हूँ आप को वह ना सिर्फ कालिदास बना देगा बल्कि मुफ्त में विद्द्योत्मा से जी जी देश की रानी से शादी भी हो जाएगी .......... क्या आप गुंडे मवाली ...मेरा मतलब है राक्षस के भाई है और खुद भी राक्षस है कोई बात नही किसी शरीफ ईमानदार के चरण पकड़ लीजिये भले ही देश जाये भाड़ में पर उसकी वजह से आप को दूसरा राक्षस ...जी जी विभीषण की तरह फिर राज करने के लिए मिल जायेगा ...............क्या आप शादी शुदा औरत से प्रेम करते है और वह अपने पति से ज्यादा आपको चाहती है और आप उसका दिया गुलाब का फूल लगा कर ही निकलते है .तब तो आप किसी देश के प्रथम प्रधान मंत्री बन सकते है ...........आपको यह भी लालच है की चाहे देश बात जाये पर आपको देश में पद जरुर मिले ...तो मिसी महात्मा का साथ पकड़ लीजिये जिस के लिए देश पागल हो फिर देखिये वही महात्मा आपको पद दिलाने के लिए देश तक बाट देगा ...और आप का काम भी हो गया आप स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कहलाकर मस्ती मारिये ........यही नही अगर आपके कारन ही देश का बटवारा हुआ है तो आपका जन्मदिन मरण दिन सब राष्ट्रीय दिवस घोषित कर दिया जायेगा ....और जिन्होंने स्वतंत्रता का बिगुल बजाया .......अंग्रेजो से सामने ना झुक कर गोली खाली ...उनके लिए कोई अवकाश .पर्व नही नही ..........क्या आज तक आजाद , भगत सिंह , रानी लक्ष्मी बाई , सुख देव , राज गुरु .....सही ख रहे है ....ये वो बेकूफ ....पागल देश प्रेमी है जिनके कारन आप अपने घर में रोटी तोड़ रहे है .....कान पकड़ का उठू बैठू.....इन कम अकालो के कारन थोड़ी न हमें स्वतंत्रता मिली...वो तो महान लोग वह है जो देश के प्रधान मंत्री बनने के लिए देश को बाटने से नही चुके ....जिनके कारन १९४७ में पेशावर  एक्सप्रेस लाशो से भर गई .......जय हो जय हो ....आप सही कह रहे मुझे  पागल कहेंगे नही तो आप बुद्धिमान कैसे लगेंगे ???? ये साडी बात मई इसी लिए कह रहा हूँ कि इस देश में अगर आप में कोई भी दुर्गुण है तो आप क्या नही बन सकते है बस आप अपने ऊपर के दुर्गुणों ....ओह हो ...मैं मैं कह कह रहा हूँ कि गुणों को पहचानिए और बन जाइये इस देश के महान व्यक्ति .........जी जी यह पर अशोक तभी महान कहलाता है जब वह निर्दोष ५ लाख लोगो को कलिंगा में मार कर बौद्ध धर्म स्वीकार कर लेता है ....अब आप समझे कि आपके नेता क्यों लोगो को मरवाते है .....और अगर आप राजपूतो के राज्य को उनके राजकुमारियो को अपने जीवन में लाकर छोड़ देते है तो भी आप अकबर महान कहला सकते है ....मुझे नही मालूम कि आप सब में सिकंदर को महान क्यों कहा?????????? शायद शायद इस लिए क्यों कि पहले उसने इस देश के रजा पुरु कि माँ बहन कर डाली फिर छोड़ दिया ...........तब तो हमारे यह का हर नेता महान होने वाला है क्योकि उसके लिए हम सब पुरु की तरह हारे हुए रजा से कम कहा है ??????? अब आप बताइए आप अब तक समझ गए ना कि क्यों हम अपने देश को रत्नाकर , के हाथो में दे रहे है ..................भैया ....डाकू से प्रेम करिए और उसे देश सौप दीजिये पता नही वह कल बाल्मीकि बा जाये .....आरे आरे वो देखिये एक राक्षस जैसे जीवन जीने वाला विभीषण आप कि सरन में आया है ...अब जब सरन में आ गया है तो बही आप क्यों ना उसको संरक्षण से और उसी के खंडन में इस देश कि बागडोर फिर दे दे ....लंका का शासन कोई अयोद्ध्या वाला क्यों करे ???? आप भी इस देश कि लंका में कभी किसी राम या लक्षम को मौका न दीजियेगा ..........जब बैठिये तो रावन .और रावन से ऊब जाइये तो विभीषण .............वाह आप तो कालिदास से भी आगे निकल गए .....जब भी देश के लिए सोचेंगे तो आगे गड्ढा और पीछे खाई पर आप तो ऐसा  सोचेंगे ही और इस देश को चलाया भी है ...........पराई  औरत के गुलाब  की महक ने तो हम आप तो इसी देश में रहते है ..........क्या आप भी प्रजातंत्र में किसी विभीषण को संरक्षण दे रहे है ...........कम से कम देश रहेगा तो राक्षस के ही हाथ में चाहे वो रावन हो या विभीषण ...........आखिर आप देश के सच्चे पुजारी है ......देश को आप पर नाज अहै ...अच्छा मैं भी चला अशोक ...नही नही ...कालिदास ....नही नही ..रत्नाकर ......एक गुंडा ????????जी नही मतलब आप समझ रहे है नेता ढूढने ......आखिर गुलाब की महक तो सबको चाहिए ना ...........देखिये आप भी भूलियेगा नही ....देश की गद्दी पर बैठना राक्षस .............ही चाहिए ..........वो लीजिये आप के सामने विभीषण आ भी गए ...पैर पकड़ कर वोट का संरक्षण  मांग  रहे है ......और आप क्यों न दे आखिर  शरणागत  की रक्षा करना आपका फर्ज जो है .....भारतीय कहलाना है कि नही ..................डॉ आलोक चान्टिया

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