हम प्राकृतिक हो गए है .............
आज मुझे एक साहब मिल गए और बोले कि भाई चान्टिया जी आज कल आप व्यंग्य बहुत सटीक लिख रहे है ........मैंने कहा व्यंग्य और मैं ???????यह तो सबसे बड़ा व्यंग्य है क्योकि मैं जो भी लिख रहा हूँ वह सब तो इस देश कि सच्चाई है और इसको व्यंग्य कहकर इस देश के अनपढ़ होने पर मोहर क्यों लगा रहे है ???????अनपढ़ ?????????आप कैसी बात कर रहे क्या आप को सरे देश के लोग अनपढ़ दिखाई देते है .........एक आपने लिखना क्या सीख लिया बस अपने को तीरंदाज़ समझने लगे ...........बताती आप को यह देश और इस देश के लोग किस तरफ से जाहिल और अनपढ़ दिखाई देते है ..........अरे अरे आप इतने लाल पीले क्यों हो रहे है क्या कल शाम आम ज्यादा खा लिया क्या जो पेट मरोड़ रहा है ......मेरी क्या मजाल जो इस देश के किसी भारतीय के लिए कुछ कह सकू ...........कल को मुकदमा ठोक देंगे मुझ पर ........मैं तो यह कह रहा हूँ कि इस देश के लोग है ही इतने सच्चे और कि उनको इस बात कि ग्लानि होती है कि उन्होंने ध्यान नही दिया और यही कारन है जनसँख्या इतनी हो गई कि चीटिया भी अब हमें नही पछाड़ सकती और इसी का तो हम सबको दुःख है कि मुकाबला भी किया तो किससे चीटी से ?????????? खैर इस से ज्यादा कि हमारी औकात भी नही है .....और अब हमको इतनी शर्म आ रही है कि इसी जनसँख्या के कारण नदी के साथ , हवा के साथ , जमीं के साथ ........सभी के साथ हमने इतना आलिंगन कर लिया कि हवा . पानी , जमीं सबको एड्स ह गे अहै और वे सब इस लायक ही नही बचे कि वो अब हमें बचा सके क्या कि उनके एड्स की दवा तो हम किस फैक्ट्री में बना भी नही रहे है ?????????? तो क्या आपको लगता है कि प्रकृति के साथ हर तरह का कुकर्म करने के बाद हम बेशर्मो को शर्म नही आती है ????????आती आती पूरी आती और इसी लिए इस देश के लोगो ने जहा डाल डाल पर सोने की चिडिया करती है बसेरा .....जहा सूरज आकर डाले पाना डेरा .............जहा हर एक बालक मोहन है ...........और राधा हर एक बाला ( वो बात अलग है कि अगर मोहन राधा से प्यार करे तो उसको खाप पंचायत मार देती है )...... जहा ऋषि मुनि जपते हरी नाम की माला .............जहा सत्य अंहिंसा डाले अपना डेरा .......आखिर इस देश के लिए हम कुछ तो करे सब तो बर्बाद कर डाला ......क्या करे क्या करे ....जी जी इस देश के लोगो ने निर्णय लिया हैं ( जो इस देश के नही है वो मेरी किसी बात से बिलकुल आहत ना हो ...और अगर चाहे तो मुझे माँ बहन कि गाली का भारत रत्न दे सकते है ....क्योकि आखिर हमारे देश में एक माँ बहन की ही तो इज्जत है ..और फिर सभी भारतीय भाई बहन जो है ( पता नही यहा शादी कैसे हो पति है ...मैंने तो मरे शर्म के शादी नही की ...जी मैं भारतीय कहा हूँ ) खैर सभी ने सोचा है कि जब सारी प्रकृति कि माँ बहन हम सबने ही मिल कर की है तो प्रायश्चित भी हम ही करेंगे और अब पूरी तरह प्राकृतिक और प्रकृति के सहारे रहेंगे ताकि मरने से पहले कुछ तो ऋण हम सब चुका दे ............लीजिये शुरू हो गया पश्चाताप का सिलसिला .......ना तो अब हम पेड़ो के सहारे रह सकते है और ना ही अपने मल मूत्र से अपनी माओ ओह हो भैया गंगा मैया , यमुना मैया ...और ना जाने कौन कौन ....दूर ले जा सकते है .....हम विकलांग है ही तो बिना गाड़ी के चलने का सवाल ही नही उठता और फिर जब मिस्टर वर्मा के घर कार आई है तो मैं क्यों न खरीदू ????कर्जा क्यों लू ????????घुस से काम चल ही जायेगा और वैसे भी देश कौन पाने बाप का है ...फिर अपना अन्ना लगा ही है ...सामजिक जमादार .....है अगर मरे कुत्ते जैसी सरकार को प्रजातंत्र की नदी से निकालने सफल हो गया तो हम भी कार को बैल से चला लेंगे पर अभी तो भारत माँ को बेच लिया जाये ...जय भारत माँ ....सर कटा सकते है लेकिन सर झुका सकते नही ...भले ही कपूतो के कारण आपका सर कोल्हू पे पिस जाये ...खैर फिर क्या करे लीजिये सुन लीजिये खबर बहनों के देश में कल कुछ लोगो ने एक एक लड़की ( या बहन????????) का कार में सामूहिक बलात्कार किया गया वाह वाह क्या तरीका निकला है प्राकृतिक तरह से रहने का ............हम प्रकृति की इतनी सहायता तो कर ही सकते है कि अन्य जीव जन्तुओ की तरह हम भी अब अपने को सिर्फ नर और मादा मानेगे ...आखिर भाई बहन कह कर भी तो हम प्रकृति के नियम को ही बर्बाद कर रहे है और यह हमारा सबका फर्ज है कि अब हम पाने स्तर पर प्रकृति को बचने के लिए जो भी कर सकते ...अब हम हर पल करेंगे ......क्या हर साल करीब १.२०००० से १३०००० ही बलात्कार आप लोग कर पा रहे है ....इतने कम इस से तो प्रकृति का कर्ज आप काफी लम्बे समय तक उतारते रहेंगे .....एक बार तो इस देश को मन से जी लीजिये ....पुरे देश को बल्त्कारियो का देश बना दीजिये किसी मामले में तो हम पूरी तरह प्राकृतिक हो जायेंगे ........इस तरह काम नही चलेगा कम से कम पूरा विश्व जाने तो हम प्रकृति कि रक्षा के लिए क्या कर रहे है ...आखिर इस बार भाई बहनों के देश ने प्रकृति के लिए जीने कि कसम कही है ...वो वो देखिये ...एक लड़की बिलकुल अकेले निकली अपने घर से दौडिए ......जल्दी पकडिये ......वाह अपने घर बलात्कार के बाद ही लौतनी चैये वरना आप भारत माँ को क्या मुह दिखायेंगे और फिर प्रकृति का कर्ज भी तो चुकाना है .....आप अपने वादे के लिए तो जान तक दे देते है ......................रात में भी लडकिय निकलती है .....आप देर रात तक पीछा कीजिये ....चिकियेगा नही ...आखिर आप मर्द है किस बात के .....सोच लिया तो सोच लिया ...जा भारत माँ को फाड़ डाला तो ये तो उनकी लडकिया है .....उअर प्रकृति भी तो ....आपके प्राणों में बस्ती है .....उसको पहले ही आप बर्बाद कर चुके है ....तो कम से कम उसके आंसू तो आप पोछेंगे ही ........घबराइए आपके प्रकृति प्रेम को देख कर मादा भ्रूण हत्या बढ़ है है ....कोई बात नही तब भी करीब ६० करोड़ है ...आपकी भूख और प्यास से कही ज्यादा ....इतनो कि बलि से प्रकृति खुश ही नही होगी वो तो बाग बाग़ हो जाएगी ......आखिर उसके लिए आप अपनी प्रकृति पर जो उतर आये है ......................लीजिये एक तीन साल कि लड़की से भी बलात्कार हो गया ....कितना सुखद है एहसास कि हम हर स्तर पर इस देश के सच्चे भारतीय है ..............काश कोई समझ पता आपके इस बलिदान को ............खैर क्या आपको नही लगता कि हम सब भारतीय भाई बहन ही है .................लगता है ना ..........बिलकुल आप ही तो समझे ...वरना इस देश में २०० लडकिया रोज वेश्या क्यों बनायीं जाती ????????????? हम प्रकृति का इतना नाश कर चुके है कि सब कुछ अप्राकृतिक होता जा रहा है ...पर आप जो कर रहे है वो पूरा प्राकृतिक है ....पूरा पूरा .....चलिए आप प्रकृति के किसी स्तर पर तो रक्षक है .....रिश्ते तो बनते ही है बिगड़ने के लिए ..............वो देखिये ४ लडकिया स्कूल अकेले जा रही है ..........................क्या आप जा रहे प्रकृति की रक्षा करने ????????हे ये क्या क्या .....देश में तो प्रकृति रक्षा दल बा गया है ....कहा कहा सब लोग जा जा रहे है ...क्या पूरा देश प्रकृति और प्राकृतिक हो गया ...वाह ......चलो हमने कुछ तो प्रकृति का संजो लिया है ......आप धन्य है ................कौन कहता है हम देश के लिए सोचते नही ..................डॉ आलोक चान्टिया
आज मुझे एक साहब मिल गए और बोले कि भाई चान्टिया जी आज कल आप व्यंग्य बहुत सटीक लिख रहे है ........मैंने कहा व्यंग्य और मैं ???????यह तो सबसे बड़ा व्यंग्य है क्योकि मैं जो भी लिख रहा हूँ वह सब तो इस देश कि सच्चाई है और इसको व्यंग्य कहकर इस देश के अनपढ़ होने पर मोहर क्यों लगा रहे है ???????अनपढ़ ?????????आप कैसी बात कर रहे क्या आप को सरे देश के लोग अनपढ़ दिखाई देते है .........एक आपने लिखना क्या सीख लिया बस अपने को तीरंदाज़ समझने लगे ...........बताती आप को यह देश और इस देश के लोग किस तरफ से जाहिल और अनपढ़ दिखाई देते है ..........अरे अरे आप इतने लाल पीले क्यों हो रहे है क्या कल शाम आम ज्यादा खा लिया क्या जो पेट मरोड़ रहा है ......मेरी क्या मजाल जो इस देश के किसी भारतीय के लिए कुछ कह सकू ...........कल को मुकदमा ठोक देंगे मुझ पर ........मैं तो यह कह रहा हूँ कि इस देश के लोग है ही इतने सच्चे और कि उनको इस बात कि ग्लानि होती है कि उन्होंने ध्यान नही दिया और यही कारन है जनसँख्या इतनी हो गई कि चीटिया भी अब हमें नही पछाड़ सकती और इसी का तो हम सबको दुःख है कि मुकाबला भी किया तो किससे चीटी से ?????????? खैर इस से ज्यादा कि हमारी औकात भी नही है .....और अब हमको इतनी शर्म आ रही है कि इसी जनसँख्या के कारण नदी के साथ , हवा के साथ , जमीं के साथ ........सभी के साथ हमने इतना आलिंगन कर लिया कि हवा . पानी , जमीं सबको एड्स ह गे अहै और वे सब इस लायक ही नही बचे कि वो अब हमें बचा सके क्या कि उनके एड्स की दवा तो हम किस फैक्ट्री में बना भी नही रहे है ?????????? तो क्या आपको लगता है कि प्रकृति के साथ हर तरह का कुकर्म करने के बाद हम बेशर्मो को शर्म नही आती है ????????आती आती पूरी आती और इसी लिए इस देश के लोगो ने जहा डाल डाल पर सोने की चिडिया करती है बसेरा .....जहा सूरज आकर डाले पाना डेरा .............जहा हर एक बालक मोहन है ...........और राधा हर एक बाला ( वो बात अलग है कि अगर मोहन राधा से प्यार करे तो उसको खाप पंचायत मार देती है )...... जहा ऋषि मुनि जपते हरी नाम की माला .............जहा सत्य अंहिंसा डाले अपना डेरा .......आखिर इस देश के लिए हम कुछ तो करे सब तो बर्बाद कर डाला ......क्या करे क्या करे ....जी जी इस देश के लोगो ने निर्णय लिया हैं ( जो इस देश के नही है वो मेरी किसी बात से बिलकुल आहत ना हो ...और अगर चाहे तो मुझे माँ बहन कि गाली का भारत रत्न दे सकते है ....क्योकि आखिर हमारे देश में एक माँ बहन की ही तो इज्जत है ..और फिर सभी भारतीय भाई बहन जो है ( पता नही यहा शादी कैसे हो पति है ...मैंने तो मरे शर्म के शादी नही की ...जी मैं भारतीय कहा हूँ ) खैर सभी ने सोचा है कि जब सारी प्रकृति कि माँ बहन हम सबने ही मिल कर की है तो प्रायश्चित भी हम ही करेंगे और अब पूरी तरह प्राकृतिक और प्रकृति के सहारे रहेंगे ताकि मरने से पहले कुछ तो ऋण हम सब चुका दे ............लीजिये शुरू हो गया पश्चाताप का सिलसिला .......ना तो अब हम पेड़ो के सहारे रह सकते है और ना ही अपने मल मूत्र से अपनी माओ ओह हो भैया गंगा मैया , यमुना मैया ...और ना जाने कौन कौन ....दूर ले जा सकते है .....हम विकलांग है ही तो बिना गाड़ी के चलने का सवाल ही नही उठता और फिर जब मिस्टर वर्मा के घर कार आई है तो मैं क्यों न खरीदू ????कर्जा क्यों लू ????????घुस से काम चल ही जायेगा और वैसे भी देश कौन पाने बाप का है ...फिर अपना अन्ना लगा ही है ...सामजिक जमादार .....है अगर मरे कुत्ते जैसी सरकार को प्रजातंत्र की नदी से निकालने सफल हो गया तो हम भी कार को बैल से चला लेंगे पर अभी तो भारत माँ को बेच लिया जाये ...जय भारत माँ ....सर कटा सकते है लेकिन सर झुका सकते नही ...भले ही कपूतो के कारण आपका सर कोल्हू पे पिस जाये ...खैर फिर क्या करे लीजिये सुन लीजिये खबर बहनों के देश में कल कुछ लोगो ने एक एक लड़की ( या बहन????????) का कार में सामूहिक बलात्कार किया गया वाह वाह क्या तरीका निकला है प्राकृतिक तरह से रहने का ............हम प्रकृति की इतनी सहायता तो कर ही सकते है कि अन्य जीव जन्तुओ की तरह हम भी अब अपने को सिर्फ नर और मादा मानेगे ...आखिर भाई बहन कह कर भी तो हम प्रकृति के नियम को ही बर्बाद कर रहे है और यह हमारा सबका फर्ज है कि अब हम पाने स्तर पर प्रकृति को बचने के लिए जो भी कर सकते ...अब हम हर पल करेंगे ......क्या हर साल करीब १.२०००० से १३०००० ही बलात्कार आप लोग कर पा रहे है ....इतने कम इस से तो प्रकृति का कर्ज आप काफी लम्बे समय तक उतारते रहेंगे .....एक बार तो इस देश को मन से जी लीजिये ....पुरे देश को बल्त्कारियो का देश बना दीजिये किसी मामले में तो हम पूरी तरह प्राकृतिक हो जायेंगे ........इस तरह काम नही चलेगा कम से कम पूरा विश्व जाने तो हम प्रकृति कि रक्षा के लिए क्या कर रहे है ...आखिर इस बार भाई बहनों के देश ने प्रकृति के लिए जीने कि कसम कही है ...वो वो देखिये ...एक लड़की बिलकुल अकेले निकली अपने घर से दौडिए ......जल्दी पकडिये ......वाह अपने घर बलात्कार के बाद ही लौतनी चैये वरना आप भारत माँ को क्या मुह दिखायेंगे और फिर प्रकृति का कर्ज भी तो चुकाना है .....आप अपने वादे के लिए तो जान तक दे देते है ......................रात में भी लडकिय निकलती है .....आप देर रात तक पीछा कीजिये ....चिकियेगा नही ...आखिर आप मर्द है किस बात के .....सोच लिया तो सोच लिया ...जा भारत माँ को फाड़ डाला तो ये तो उनकी लडकिया है .....उअर प्रकृति भी तो ....आपके प्राणों में बस्ती है .....उसको पहले ही आप बर्बाद कर चुके है ....तो कम से कम उसके आंसू तो आप पोछेंगे ही ........घबराइए आपके प्रकृति प्रेम को देख कर मादा भ्रूण हत्या बढ़ है है ....कोई बात नही तब भी करीब ६० करोड़ है ...आपकी भूख और प्यास से कही ज्यादा ....इतनो कि बलि से प्रकृति खुश ही नही होगी वो तो बाग बाग़ हो जाएगी ......आखिर उसके लिए आप अपनी प्रकृति पर जो उतर आये है ......................लीजिये एक तीन साल कि लड़की से भी बलात्कार हो गया ....कितना सुखद है एहसास कि हम हर स्तर पर इस देश के सच्चे भारतीय है ..............काश कोई समझ पता आपके इस बलिदान को ............खैर क्या आपको नही लगता कि हम सब भारतीय भाई बहन ही है .................लगता है ना ..........बिलकुल आप ही तो समझे ...वरना इस देश में २०० लडकिया रोज वेश्या क्यों बनायीं जाती ????????????? हम प्रकृति का इतना नाश कर चुके है कि सब कुछ अप्राकृतिक होता जा रहा है ...पर आप जो कर रहे है वो पूरा प्राकृतिक है ....पूरा पूरा .....चलिए आप प्रकृति के किसी स्तर पर तो रक्षक है .....रिश्ते तो बनते ही है बिगड़ने के लिए ..............वो देखिये ४ लडकिया स्कूल अकेले जा रही है ..........................क्या आप जा रहे प्रकृति की रक्षा करने ????????हे ये क्या क्या .....देश में तो प्रकृति रक्षा दल बा गया है ....कहा कहा सब लोग जा जा रहे है ...क्या पूरा देश प्रकृति और प्राकृतिक हो गया ...वाह ......चलो हमने कुछ तो प्रकृति का संजो लिया है ......आप धन्य है ................कौन कहता है हम देश के लिए सोचते नही ..................डॉ आलोक चान्टिया
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